भगवान चित्रगुप्त के पूजा का दिने

– प्रेम कुमार

chitragupta-darbarवइसे त भारत में हमेशा कवनो ना कवनो पर्व.त्योहार मनावल जात रहेला बाकिर चित्रगुप्त पूजा शायद एगो अइसन त्योहार ह जवना के एगो खासे जाति के लोग मनावेला.

पौराणिक मान्यता ह कि कायस्थ जाति के जनमावे वाला भगवान चित्रगुप्त के जनम यम द्वितीया का दिने भइल रहे, एही दिन कायस्थ जाति के लोग अपना अपना घर मे भगवान चित्रगुप्त के पूजा करेलें. ऊ लोग एह दिन कलम आ दवात इस्तेमाल ना करसु. पूजा का आखिर मे उ लोग पूरा हिसाब किताब लिख के भगवान के समर्पित करेला.

चित्रगुप्त के जनम से जुड़ल एगो पौराणिक कथा ह कि एक बेर सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा अपना बड़का बेटा के बोला के कहलन कि उ एगो खास मकसद से समाधि लेत बाड़े आ एह बीच उ पूरा तरह से सृष्टि के रक्षा करसु. एकरा बाद ब्रह्मा जी एगारह हजार साल ला समाधि में चल गइनी. जब समाधि टूटल त देखनी के उहाँ के सोझा एगो दिव्य पुरुष कलम दवात लिहले खाड़ बा.

ब्रह्ना जी जब परिचय पूछनी त ऊ बोलले कि हम रउरे शरीर से जन, हई आ रउरा हमार नांव रख सकीले. आ हमरा ला कवनो काम होखे त आदेश दीं. ब्रह्मा जी हंस के कहनी कि हमरा काया से जनमल एहसे कायस्थ तोहार नाम होखी आ तू एह धरती पर चित्रगुप्त के नाम से जानल जइबऽ.

धर्म अधर्म पर धर्मराज के यमपुरी मे विचार कइल तोहार काम होखी. अपना वर्ण मे जवन उचित बा ओकर पालन कइला का साथे तू संतान उत्पन्न करऽ. एकरा बाद ब्रह्मा जी चित्रगुप्त के आशीर्वाद देकर अंतर्ध्यान हो गइनी. बाद मे चित्रगुप्त के विआह एरावती आ सुदक्षणा से भइल. सुदक्षणा से उनका श्रीवास्तव, सूरजध्वज, निगम आ कुलश्रेष्ठ नाम के चार गो बेटा भइले सँ आ एरावती से आठ गो बेटा भइले माथुर, कर्ण, सक्सेना, गौड़, अस्थाना, अम्बष्ठ, भटनागर आ बाल्मीक.

चित्रगुप्त अपना बेटन के धर्म साधे के शिक्षा दीहले आ कहलन कि देवता लोगन के पूजन, पितरन के श्राद्ध तर्पण, आ ब्राह्मणन के पालन यत्न पूर्वक करसु. एकरा बाद चित्रगुप्त स्वर्ग खातिर प्रस्थान कर गइनी आ ओहिजा यमराज के यमपुरी मे आदमीयन के पाप पुण्य के लेखा जोखा राखे लगनी.

भारतीय संस्कृति के हर पर्व से जुड़ल कवनो ना कवनो लोककथा जरूर होला जवन पुरातन काल से सुनावल जात आइल बा. चित्रगुप्त पूजा का बारे में कहानी ह कि …

पुरातन काल में सौराष्ट्र राज्य मे सौदास नाम के राजा भइल रहले जे बहुते दुराचारी आ अधर्मी रहल, ऊ अपना राज्य मे घोषणा करा दिहले रहले कि उनुका राज्य मे केहू दान, धर्म, हवन, तर्पण समेत कवनो धार्मिक काम ना करी. एह से बहुते लोग राजा के राज छोड़ के दोसरा जगह चल गइले. जे रह गइल से पूजा पाठ ना करे से ओह राज्य मे पुण्य के नाश होके लागल.

एक दिन राजा शिकार करे जंगल मे निकलले त रास्ता भूला गइले. ओहिजा ऊ कुछ मंत्र सुनले. सुन के ओहिजा गइलन त देखलन कि कुछ लोग भक्तिभाव से केहू के पूजा करत बा. राजा के बहुते खीस आइल आ कहले कि, हम राजा सौदास हईं. तू सभे हमरा के प्रणाम करऽ. बाकिर सौदास के बात पर केहू जवाब ना दीहल आ अपना पूजा में मगन रह गइल.

ई सब देख राजा खीसि तलवार निकाल लिहले. ई देख पूजा मे बइठल सबले छोट लड़िका बोलल, राजन रउरा ई गलत करत बानी हमनी का अपना इष्टदेव चित्रगुप्त भगवान के पूजा करत बानी आ उनुकर पूजा कइला से सगरी पाप कर्म मिट जाला. अगर रउरो मन करे त हमनी का साथे पूजा में शामिल हो जाईं भा हमनी के मार डालीं.

राजा ओह लड़िका के बात सुन के बहुते खुश भइलन आ कहलन कि तोहरा में बहुते साहस बा. कहलन कि हमहू चित्रगुप्त के पूजा कइल चाहत बानी. हमरा के एह बारे में बतावल जाव. राजा सौदास के बात सुन लोग बतावल कि घीव से बनल मिठाई, फल, चंदन, दीप, रेशमी वस्त्र, मृदंग आ तरह के तरह के संगीत यंत्र बजाके इनकर पूजा कइल जाले.

एकरा बाद उ लड़िका बोलल कि इनकर पूजा के मंत्र ह, दवात कलम आ हाथ मे कलम काठी लेके धरती पर घूमे वाला चित्रगुप्त जी रउरा के प्रणाम करत बानी. चित्रगुप्तजी रउरा कायस्थ जाति मे उत्पन्न होके लेखकन के अक्षर प्रदान करीले. रउरा के बेर बेर प्रणाम बा. जेकरा के रउरा लिखे के जीविका दिहनी ओकर पालन करीले एहसे हमरो के शांति दीं.

राजा सौदास एह बतावल नियम विधि से श्रद्धापूर्वक पूजा कइले आ पूजा के प्रसाद लेके अपना राज्य लवट गइले. कुछ दिन बाद राजा सौदास के मृत्यु हो गइल. यमदूत जब उनका के लेके यमलोक गइले त यमराज चित्रगुप्त से कहलन, ई राजा बड़हन दुराचारी रहुवे, एकर सजा का होखी? एह पर चित्रगुप्त हंस के कहले कि हम जानत बानी. ई राजा दुराचारी ह आ बहुते पाप कइले बा. लेकिन ई हमार पुजो कइले बा एहसे हम एकरा पर खुश बानी. रउरा एकरा के स्वर्ग में जाए दीं. एकरा बाद यम के आज्ञा से राजा के स्वर्ग भेज दीहल गइल.

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के यमुना के घर पर उनकर भाई यम भोजन कइले रहले से एह दिन के यम द्वितीया भा भईया दूजो का नाम से जानल जाला. यमुना यमराज के आयु बढ़ावे के वर दिहली. मानल जाला कि जवन भाई एह दिन अपना बहिन का घरे भोजन करेले उनका घरे सुख समृद्धि बनल रहेला.


प्रेम कुमार जी पटना में पत्रकार हईं.

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