– आशुतोष कुमार सिंह
देश दुनिया में भोजपुरी भासा बहुते तेजी से आपन पांव पसार रहल बिया. भोजपुरी अब खाली बिहार के भासा नइखे रह गइल बलुक ई अब एगो अंतर्राष्ट्रीय भासा के रूप में आपन पहचान बना रहल बिया. एकरा के बोले वाला भारत के अलावा विश्व के 20 गो देशन में बाड़े. भोजपुरी भासा हिन्दी, अंग्रेजी अउर चीनी भासा के बाद दुनिया में सबसे जादा बोले जाए वाला भाषा बिया. भोजपुरी भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा जइसन राज्यन के मुख्य भासा के रुप में आपन पहचान बना रहल बिया. मॉरीशस, ओशियाना, अफ्रीका, लैटिन यूगांडा, थाईलैंड आदि देशन में भोजपुरी भासा जम के बोलल जा रहल बा. एह देशन के स्थानीय लोगो प्रभावित होके एह भासा के सीखत बाड़े. कुछ महीना पहिले मॉरीशस में विश्व भोजपुरी सम्मेलन के आयोजन भइल रहे, जवना में भोजपुरी भासा के प्रति भारत से जादा दोसर देशन के लोगन के बीच रूचि देखके हैरानी के साथे-साथे अपार खुशियो भइल. जवना भासा के भारत में दोयम दरजो के ना समझल जाला ओह भासा के विदेशन में केतना सम्मान के साथे आत्मसात कइल जा रहल बा.
जब भोजपुरी एतना विस्तार पा रहल बिया त एह क्षेत्र के मूल लोगनो के एकरा प्रति कुछ फर्ज बनत बा. लोगन के एकरा के बढ़ावे खातिर आगे आवे के चाहीं. अउर जवन सबसे अहम सवाल बा कि हमनी के कवना तरह के भोजपुरी के देश-दुनिया के आगे परोस रहल बानी जा. का ए घरी जवन भोजपुरी बाजार में लउकत बा, ओकरा से रउरा लोग सहमत बानी? का इहे हमनी के असली भोजपुरी ह? फिलिम आ गीतन में जवन भोजपुरी बोलल आ गावल जा रहल बा ओह से भोजपुरी के फैलाव त होखत बा बाकिर एगो दोयम दर्जा के फूहड़ भासा के रूप में. त का रउआ लोग इहे चाहत बानी कि राउर पहचान दोयम होखे? राउर पहचान फूहड़ होखे? रउआ जब बाहर भोजपुरी में बात करीं त बाहरी लोग रउआ के असभ्य के रूप में देखे? रउआ बात के हल्का ढ़ंग से लिहल जाव? रउआ के बिहारी कह के भगावल जाव? अगर एह सब कुछ से अपना के बचावे के चाहत बानी त हमनी सब के एकजुट हो के आपन भासा, संस्कार आ संस्कृति के लड़ाई लड़े के पड़ी. मुंह के ताला खोले के पडी़. तन-मन आ धन से एकरा खातिर जुटे के पड़ी.
रउआ लोग देखत होखब कि एह घरी भोजपुरी के नाम पर एतना संस्था आ संगठन चल रहल बाड़ी जा कि ओकर गिनती कइल मुश्किल हो गइल बा. ई सब संगठन भोजपुरी के नाम प आपन रोटी सेकत बाड़ी सन. भोजपुरी साहित्य के सांचहू में उत्थान करे खातिर अइसन कई गो लोग बा जेकरा के रउआ सब जानत बानी? हमरा समझ से अइसन लोगन के गिनती अंगुरी प हो जाई. खाली सभा आ सम्मेलन क लेहला भर से भोजपुरी के नइखे होखे वाला. भोजपुरी के पीड़ा हम कई साल से अनुभव करत बानी. एही अनुभव आ दरद के हम पिछला दिने दिल्ली आइल रहल अश्वनी कुमार सिंह(संपादक, बिहारी खबर) से कइनी. हमार बात सुन के भोजपुरी के प्रति उनकर लगाव आ एकर स्थिति देख के उनका मन में जवन दरद रहे ऊ साफ-साफ लउकल. लगभग चार घंटा तक ले एह सब मसला पर विचारन के आदान प्रदान भइल. एह संवाद के परिणाम ई निकलल कि हमनी के भोजपुरी के विकास खातिर दू गो माध्यम से काम करे प सहमत भइनी जा. आ एकरा खातिर दू गो अलग-अलग मंच के गठन करे के फैसला भइल. पहिला बनल ‘भोजपुरी साहित्य संग्रह समिति’, एह समिति के माध्यम से देश-विदेश में भोजपुरी में हो रहल लेखन कार्य के प्रोत्साहन देबे आ जेतना साहित्य बा ओकरा के संग्रह करे के काम कइल जाई. दूसर बनल ‘भोजपुरी अस्मिता मंच’ जवना के मुख्य उद्देश्य ई रखल गइल कि भोजपुरी साहित्य, संस्कृति आ संस्कार के जे केहू कवनो रूप में बिगाड़े के कोशिश करी ओकर विरोध कइल जाई. खासतौर से भोजपुरी गीतन आ फिलिमन में जे तरह से अश्लीलता परोसल जा रहल बा, ओकर हर संभव विरोध कइल जाई. साथे-साथे ई मंच भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में जगहा दिलावे खातिर जमीनी लड़ाई लड़ी. साथे-साथे ओह सब भोजपुरियन के एक मंच प लावे के प्रयास करी जे भोजपुरी के पीड़ा आ दरद के समझत बा. त रउआ सबे से ई गुजारिश बा कि रउआ लोग एह दूनों समिति आ मंच के हाथ आ नाक-कान बनीं. समय-सयम प हम एकरा बारे में रउआ सबे के बतावत रहब.
त आज से ना अबहीं से रउआ सब कमर कस लीहीं. जय भोजपुरी जय भोजपुरिया के साथे हम आपन बात खतम करत बानी अगिला हाली एगो दोसर विषय के साथे रउआ सबे से फेर मिलब.
राउर
आशुतोष कुमार सिंह
(संपर्क-bhojpuriamashal@gmail.com)
फोन : 09891798609
भोजपुरिया मशाल के नाम से ई कॉलम बिहारी खबर साप्ताहिक पत्र में छप रहल बा.
आप लोग आपस मे लङने क्योँ लगते हैँ । आपको ऐशा क्योँ लगता है कि भोजपुरी के नाम पर लोग अपना नाम चमका रहे हैँ । अंजोरीया,जयभोजपुरी,भोजपुरीया जैसी कई साइटे और संगठन भोजपुरी की सेवा कर रहे है । पर आप लोगोँ के सक का कोई इलाज नही है । ऐसी बातोँ और शब्दोँ का प्रयोग करने के लिऐ मै माफी चाहता हूँ ।
सब केहू आपन आपन भोजपुरी के संस्था बना के अपने के चमकावा भइया, भोजपुरी त बढति आ आ एही तरे बढत रही. कभी एक ही मंच पर आवे के भी प्रयास करा जा लोगन त उहे असली प्रयास होई भोजपुरी आ भोजपुरिया लोगन के विकास के ।
आशुतोष भाई
नमस्कार
कईल जाव भा करे के पड़ी से काम न चली. रउरा सभी संस्था पर ऊँगली उठा देले बनी. त चूँकि हम कई गो संस्था से जुडल बानी त हमर फर्ज बा की राउर बात के जबाब शालीनता से दिही.
१. हम मानत बनी की संस्था व्यक्तिवाद औरी जातिवाद से ग्रसित बाड़ी सन. रउरा भी ऐ गो संस्था से जुडल बनी जवान रास्ट्रीय भोजपुरी सम्मलेन दिल्ली के गाँधी शांति में पिछला साल आयोजित कईले रहे. कई गो संस्था आइल रहली सन.सारा संस्था ख़राब नईखी सन.पूर्वांचल एकता मंच, भोजपुरी समाज के साथै भोजपुरी के सम्मलेन दू साल से आयोजित करत बा.महासचिव पद पर बनी त हमारा मालूम बा की पैसे केतना खर्चा होला आ घटेला त के देला. रउरा भी भोजपुरी के सम्मलेन आयोजित कैनी कवन कवन पापड़ बेले के पडला उ त रउरा मालूमें होई. आ केतना पैसे बचेला.उहो मालूम हो.दुसर बात, साहित्य सेवा खातिर हम भोजपुरी के पत्रिका ” भोजपुरी जिनिगी” निकले नी, संपादन से लेके, प्रूफ तक, प्रेस से लेके, लिफाफा में भरे तक के कम हम, हम्मर परिवार के लोग करेला. किताब लिफाफा में भर के टिकेट भी हमही साते नी औरी डाक से लोग तक हमही भेजेनी. दू चार गो भाई बड़े जे कबो कबो मदद कर देले. बाकिर जादा तर भाग दौर सब हमारे करे के पड़े ला. पत्रिका के कोई पैसो न देवे. आज छ गो अंक के खर्चा अपने पाकिट से जा ता. ” सच ता एहे बा”
२. भोजपुरी के जे भी संस्था चलावत बा का रउरा उहाँ के कबो संपर्क किले बानी. संजुक्त पर्यास खातिर कोनो ब्लू प्रिंट बा रउरा लगे.
रउरा आदरनीय सर्व श्री अजित दुबेजी, शिवजी सिंह जी, ओंकर्नेश्वर पाण्डेय जी, निरण जी, प्रभुनाथ्जी, मनोजजी, गुरुचरण जी, अजय ओझाजी, प्रभुनाथ भैठा जी, जनार्दन सिंहजी, सुर्यकर्जी, त्रिपाठीजी, जितेंदर वेर्माजी, अदि गन मान्य लोगन से बात कर सकेनी. जैसे अश्वनी भाई से बात कैनी. पत्रकार बानी रउरा चाहेब त बहुत कुछ हो सकेला.
चूल्हा तुर के चूल्हा न बन सकेला.रउरो संस्था बा ली सवागत बा. लेकिन जरूरी बा ऐ गो संजुक्त प्रयास के.उहे हामी के सही मंजिल पर ले जा सकेला.
३.इन्टरनेट पर लिखल भा अपन अख़बार में लिखल ओतने आसान बा जेतना जमीं पर आ के काम कराल कठिन. अपन पैसा, अपन समय, अपन उर्जा करे के पडला.ह, रउरा एकरा के हमर स्वांत सुखाए के रूप में देख सकिला. हमारा संतुस्थी भी मिलेला ओही से हम जुडल बनी.
लेकिन लाख रोइपाया के सवाल ई बा की जमीं पर केतना लोग करत बा.जे करत बा भा करे के चाहत बा ओह्के संपर्क कराल जव आ कहल जव की अपन संस्था रउरा सभे चलाई लेकिन भोजपुरी के ऐ गो केंद्रीय कोरे कमिटी बनो. विश्व भोजपुरी सम्मलेन बनल बा लेकिन भागीदारी सबके नइखे. ऐसन करे के होई के अ गो केंद्रीय समिति के बना के सब संस्था के लगन के निवेदन कराल जाव. जरूरत बा अहम् के त्याग करे के उ हमनी के युवा पीढ़ी के लोग निमं तारे कर सकेला.
४. आशुतोष भाई, हमर बात के प्रतिउत्तर मत समझ लेब लिकिन निवेदन बा के रउरा जैसन युवा के उर्जा आ लिखनी के साथ रही त उ दिन दूर न रही की भोजपुरी भाषा, संस्कृति, आ साहित्य के विस्तार के फलक बड जाई.हमनी के ररुआ के साथै बानी, कबो साथै बनी. याद करब.
हमर बात पर ध्यान देब.
ईहे उमीद में
राउरे
संतोष पटेल.
भइयाजी, नमस्कार।
आप लिखले बानी की “भोजपुरी के पीड़ा हम कई साल से अनुभव करत बानी. एही अनुभव आ दरद के हम पिछला दिने दिल्ली आइल रहल अश्वनी कुमार सिंह(संपादक, बिहारी खबर) से कइनी.”
इहाँ हमरा एगो जिग्यासा बा उ इ की राउर लेख बिहारिए खबर में छपेला (जवन आपकी लेख में नीचे लिखल गइल बात से पता चलता)अउर रउआँ कहतानी की रउआँ संपादकजी से भेंट कइनी। अउर एक चीज हम आपके बता दीं कि ए दुनन संस्थन के हेड भी संपादकेजी होखबि अउर जरूर रउरो के कबनो बड़हन पद मिलल होई।
भाईजी, जबले मन से, अपनी सवार्थ के तेयागि के कवनो भी समाज, भाषा आदि की उत्थान के बाति ना होई तबले उ कबो संभव ना हो पाई।
खैर चलिं हमरा खुसी बा की भोजपुरी एतना समरीध हो गइल बिया की एकरी नाव पर दुकान चलावेवाला लोगन के कमी नइखे अउर भोजपुरी ओ लोगन की चाय-पानी के जोगाड़ क दे तिया। अरे खालि चाय-पान के ही जोगाड़…काँहे…अउर भी बहुत कुछ…..
लागल रहीं सभे।
अपने के चिन्ता बहुत जायज बा कि जब तक मूल भोजपुरिया समाज अपना भाषा-बोली के प्रति सकारात्मक तरीका से ना सोची तब ले भोजपुरी के आपन सही स्थान ना मिली । राऊर चिन्ता आ चिन्तन से बहुत हद तक सहमत होते हुए एगो जिज्ञासा भी बा । अपने कहनीं हईं कि “एह घरी भोजपुरी के नाम पर एतना संस्था आ संगठन चल रहल बाड़ी जा कि ओकर गिनती कइल मुश्किल हो गइल बा. ई सब संगठन भोजपुरी के नाम प आपन रोटी सेकत बाड़ी सन.” ई बात त सहिए बा। अब तक भोजपुरी के नाम जेतना संगठन खड़ा भईल बाड़ी सन, सभे के स्थापना तऽ भोजपुरी के विकास हेतु ही भईल रहे, लेकिन बाद के समय में शायद व्यक्तिवाद, अहंवाद या कुछु औरी स्वारथ जुड़ गईलऽ । अब जवन बाद में अपने दुगो संस्था के नाम सुझवनीं हईं, ई अपना उद्देश्य से ना औरी सब संस्थवन खानीं ना विमुख हो जावऽ, एहु पर ध्यान देवे के आवश्यकता बा।
Delhi mumbai me bailth ke Khali Internet pe likhala aa magzin me padhla se kuch naikhe hokhe wala..
kuch kare ke baa t jameen pe aai. du char paisa kharach kari garib logn ke padai aa swastha pe .. aise dusra ke gariyawt rahla me kauno fayda naikhe
Pawan
बहुते नीक बिचार बा। पर एगो बाति समझ में ना आइल एक तरफ रउरा इहो कहतानि की भोजपुरी की नाव पर बहुते संस्था बनि गइल बानीसन जवन खाली आपन रोटी सेंकतानी कुलि अउर एकतरफ दुगो अउर संस्थन के खोलि के ओसे जुड़े के कहतानि।
खैर भगवान करें की इ संस्था जवने के रउरा जिक्र करतानी इ भोजपुरी की उत्थान खातिर साकारात्मक काम करेसन।
खैर जवन भी होखे पर रउरी ए लेख की चारिगो पैराग्राफ में से ऊपर की दुगो पैराग्राफ से हम पूरा तरह से सहमत बानी।
हमरी खेयाल से भोजपुरी के बिकास कइले के जरूरत बा..एकर एकर बिकास होत रही त ए के जबरजस्ती आठवीं अनुसूची में सामिल करे खातिर सम्मेलन, संस्था आदि के जरूरत ना पड़ी पर अपनी विकास की बदउलत इ खुदे आपन इ मोकाम हासिल क ली।
जय भोजपुरी।।