भोजपुरी के सम्मान में दुसरका नाट्योत्सव
– ओमप्रकाश अमृतांशु रंगमंच पर किसिम-किसिम के रंग के भाव मंचित होखेला. ऊहे भाव दर्शक लोगन के मन आ दिल पे राज करेला. कुछ देर खातिर सभागार में बइठल लोग…
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– ओमप्रकाश अमृतांशु रंगमंच पर किसिम-किसिम के रंग के भाव मंचित होखेला. ऊहे भाव दर्शक लोगन के मन आ दिल पे राज करेला. कुछ देर खातिर सभागार में बइठल लोग…
– डा॰ अशोक द्विवेदी फजीर होते, भीम आश्रम से निकलि के सीधे जलाशय का ओर चल दिहलन. माता के प्रातः दरसन आ परनाम का बाद, उनसे कुछ सलाह निर्देश मिलल.…
– गंगा प्रसाद अरुण संता, जाने कइसन महभारत फेर आइल बाटे चकराबिहू रचाइल बाटे ना! केकर कइसे गोड़ कबारीं केकरा के कइसे हम जारीं डेगे-डेग इहाँ पर लाखा-घर सिरजाइल बाटे…
बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष रहल डा॰ रविकान्त दुबे के शनिचर देर रात निधन हो गइल. अतवार का दिने उनकर अंतिम संस्कार बक्सर घाट पर कइल गइल. डा॰ रविकान्त दुबे…
– विजय मिश्र लइका हनेला जवाब, अब सयान हो गइल बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल. पहिला रिस्ता टूटल जाता, नवका रोज धराता ननिअउरा त याद ना आवे, बढ़ल…
शनिचर 14 फरवरी का दिने बलिया का यारपुर बेदुआ मुहल्ला में शशि प्रेमदेव जी का घर पर विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बलिया ईकाई का तरफ से एगो वासन्ती काव्य गोष्ठी…
– डा॰ शत्रुघ्न पाण्डेय, बाबूजी के हम रहुईं आँखि के पुतरिया राखसु करेजवा में मोर महतरिया आवते ससुरवा अघोरनी रे, सासु कहे कुलबोरनी. हवे मतवाली ह कुलछनी मतहिया सासुजी कहेली…
(शनिचर, 14 फरवरी के खबर) भोजपुरिया जगत खातिर एगो बढ़िया सुविधा देत भोजपुरी के आनलाइन न्यूज साइट टटकाखबर डाॅट काॅम पर अब खबर पढ़ियो के सुनावल जात बा. संजोग से…
– डा॰ अशोक द्विवेदी अइसे त प्रकृति के एक से बढ़ि के एक अछूता, अनदेखा मनोहारी रूप ओह विशाल बनक्षेत्र में रहे बाकिर कई गो मुग्ध करे वाला जगह, हिडिमा…
– डॉ॰ उमेशजी ओझा छुटी के दिन रहे. हम सुरेश का घरे छुट्टी मनावे गइनी त हमरा के देखते सुरेश कहलन, ‘अहो भाग्य कि रउआ पधरनी हमरा दुआर प.’ ‘अरे…