अपना मूल के जनला समझला के माने

- डा. अशोक द्विवेदी गँवई लोक में पलल-बढ़ल मनई, अगर तनिको संवेदनशील होई आ हृदय-संबाद के मरम बूझे वाला होई, त अपना लोक के स्वर का नेह-नाता आ हिरऊ -भाव…

फगुनवा मे

- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी बियहल तिरिया के मातल नयनवा, फगुनवा में ॥ पियवा करवलस ना गवनवां, फगुनवा में ॥ सगरी सहेलिया कुल्हि भुलनी नइहरा । हमही बिहउती सम्हारत बानी अँचरा…

देवलास : अदभुत धार्मिक स्‍थल

- देवकान्त पाण्डेय उत्‍तर प्रदेश के मऊ जिला के मुहम्‍मदाबाद गोहना तहसील में मऊ शहर से करीब 28 कि.मी. दूर आजमगढ़-मुहम्‍मदाबाद गोहना-घोसी रोड पर स्थित देवलास मऊ जिला के प्रमुख…

दू नाव पर पैर रखला पर जिनगी ना चली.

- अभय कृष्ण त्रिपाठी "विष्णु" एक व्यक्ति दू नाव पर सवारी, कइसे ? समस्या विकट बा आ ओहु से विकट बा ओकर समाधान. सबसे बड़ बात ई कि समाधान के…

फार, फारल भा फरला से लगवले फरिअवता भा फरिआवल के चरचा : बतकुच्चन – 197

फार, फारल भा फरला से लगवले फरिअवता भा फरिआवल के चरचा करे चलनी त नीर-क्षीर विवेक के बात धेयान में आ गइल. कहल जाला कि हंस नाम के पक्षी में…

‘बिहारी बन गइल हीरो’ बंपर ओपनिंग ले के मुंबई में रिलीज

अनुग्रह फिल्म्स के बनावल भोजपुरी फिलिम ‘बिहारी बन गइल हीरो’ पिछला दिने बम्पर ओपनिंग ले के मुंबई आ अगल बगल के सिनेमाघरन में रिलीज कइल गइल. कुछ अउर सिनेमाघरन में…

केकरा पर करीं हम गुमान रामप्यारे !

- शिलीमुख उनइस बरिस पहिले हम प्रसिद्ध कवि चन्द्रदेव सिंह क एगो रचना पढ़ले रहलीं. साइत 1997 में "पाती" अंक -२३ में छपल रहे. बरबस आज ओकर इयाद आ गइल…

गजल

- अशोक द्विवेदी आपन भाषा आपन गाँव, सुबहित मिलल न अबले ठाँव । दउरत-हाँफत,जरत घाम में, जोहीं रोज पसर भर छाँव । जिनिगी जुआ भइल शकुनी के, हम्हीं जुधिष्ठिर, हारीं…

भारत के बढ़न्ती ला भारते के भाषा जरूरी काहे ?

भारतीय जीवन के बहुते खास क्षेत्रन में अंग्रेज़ी भाषा के दखल से भारत के बड़हन नुकसान होखत बा. एह दखल का पाछे सबले बड़हन कारण बा कुछ गलतफहमी जवन हमनी…

होरी आइल बा आ खुलल मुँह बा : 2 गो कविता

- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी होरी आइल बा जरत देश बा-धू धू कईके सद्बुद्धि बिलाइल बा. कइसे कहीं कि होरी आइल बा. चंद फितरती लोग बिगाड़ें मनई इनकर नियत न ताड़ें…