आईं आपन छान्हि छवाईं
– डा. कुमार नवनीत काठ करेजी भईल समईया पल पल बदलत दाव, बिछिलायीं जनि, धरीं थहा के आपन एकहक पाँव। सभ धवते बा, आप न धाईं सगरी सपना बेंचि न…
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– डा. कुमार नवनीत काठ करेजी भईल समईया पल पल बदलत दाव, बिछिलायीं जनि, धरीं थहा के आपन एकहक पाँव। सभ धवते बा, आप न धाईं सगरी सपना बेंचि न…
– शिवानन्द मिश्र रामजी के प्यारा ह, कृष्ण के दुलारा ह, बाबा विसवामीतर के आंखी के तारा ह। बोले में खारा ह, तनीकी अवारा ह, गंगाजी के धारा के नीछछ…
“आजु सत्तन जी हम्मन के बीच नइखीं, आ अपने उहाँ के 75 ले नाइ पंहुचि पवलीं, बाकिर आजु उनके लगावल पेड़ फरत-फुलात बा. आजु हीरक जयन्ती ले पंहुचि गइल बा.”…