उदय शंकर के दू गो कविता
(1) नून इक दिन बहुत हाहाकार मचल भात, दाल, तरकारी में। काहे भैया नून रूठल बा बइठक भइल थारी में। दाल-तरकारी गुहार लगईलक नून के बइठ गोरथारी में तरकारी कहलक…
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(1) नून इक दिन बहुत हाहाकार मचल भात, दाल, तरकारी में। काहे भैया नून रूठल बा बइठक भइल थारी में। दाल-तरकारी गुहार लगईलक नून के बइठ गोरथारी में तरकारी कहलक…