देश में सबले पहिले नेहरु लगातार तीन बेर देश के प्रधानमंत्री पद के शपथ लिहले रहलन आ अब मोदी वइसने करे जा रहल बाड़न. स्वाभाविक बा कि कांग्रेस के ई नीक ना लागत होखी कि ओकर बनावल रिकार्ड के बरोबरी कर लिहलन मोदी.
अतने ना. अब मोदी 18वीं लोकसभा में उहे करे जा रहल बाड़न जवन पहिलका लोकसभा में भइल रहुवे. तब संविधान सभा के सदस्य रहल जी वी मालवंकर के नाम लोकसभा स्पीकर खातिर नेहरू सामने कइलन. बाकिर प्रतिपक्ष चाहत रहुवे कि डिपुटी स्पीकर के पद पर कवनो प्रतिपक्षी के चुनल जाव. कांग्रेस पार्टी आ जवाहर लाल एह बात ला तइयार ना भइलन आ लोकसभा स्पीकर के चुनाव करावे पड़ल. कांग्रेस का लगे बहुमत रहबे करुवे से मालवंकर के 394 वोट मिलल जबकि प्रतिपक्षी उम्मीदवार रहल शंकर शान्ताराम मोरे के 55 वोट से संतोष करे के पड़ गइल. ओही दिन एगो परंपरा शुरु हो गइल कि सत्ता पक्ष चाहे त डिपुटी स्पीकर खातिर ऊ प्रतिपक्ष के ठेंगा देखा सकेला. पता ना आजु के कांग्रेस के ई इतिहास याद बा कि ना.
लोकसभा स्पीकर के चुनाव के नौबत 1952 का बाद 1976 मेंं आइल. ओहू बेरा देश में कांग्रेसे के सरकार रहुवे आ इन्दिरा गाँधी पीएम रहली. ऊ स्पीकर पद ला बलिराम भगत के नाम प्रस्तावित कइली. अबकियो प्रतिपक्ष एह से सहमत ना रहल आ उहो आपन उम्मीदवार जगन्नाथराव जोशी के नाम प्रस्तावित कर दिहलसि. बलिराम भगत के 344 वोट मिलल जबकि जोशी के 58 वोट.
दू बेर एगो परंपरा स्थापित कर चुकल कांग्रेस पता ना अब कवना मुँह से लोकसभा डिपुटी स्पीकर खातिर सत्ता पक्ष का सोझा शर्त राख दिहलसि. मजे के बात इहो बा कि अबहीं इहो सुने में आवत बा कि एन्डी अलायंस का तरफ से पिछलका स्पीकर ओम बिरला के नाम प्रस्तावित भइला का बाद इंडी अलायंस का तरफ से एगो कांग्रेसी सांसद के नाम प्रस्तावित कइला से तृणमूल कांग्रेस सहमत नइखे. ममता बनर्जी के कहना बा कि उनुका से एह बारे में कवनो राय विचार भइले नइखे. से एक त कमली अपने गोर ओह पर से लिहलसि कमरी ओढ़ वाला हालात बन गइल. इंडी का लगे पहिलहीं जरुरी संख्याबल नइखे आ अगर तृणमूल समर्थन ना दिहलसि त ओकर संख्याबल अउरी घट जाई. एंडी के मुकाबला करे खातिर इंडी के आपन गोल सम्हार के राखे के पड़ी ना त हल्ला हंगामा बवाल का भरोसे संसद में काम ना होखे दीहल ओकर मजबूरी बन जाई.