भोजपुरी के बहुते कम संस्था बाड़ी सँ जवना के बइठकी नियमित रुप से होखल करेले. गोरखपुर के भोजपुरी संगम अइसने संस्थन में शामिल बाटे.
हर महीने एह संस्था के बइठकी होत रहेला. स्व. सत्यनारायण मिश्र के बनावल एह संस्था के हालिया बइठकी में भोजपुरी कवि रामपति रसिया जी के सम्मानित कइल गइल. वरिष्ठ गीतकार वीरेंद्र मिश्र दीपक रामपति रसिया जी के दीहल जा रहल मानपत्र पढ़ि के सुनवलें आ एकरा साथे मंच पर उपस्थित सगरी विद्वत्-जन रसिया जी के सम्मानित कइलें.
एह मौका पर आकाशवाणी/दूरदर्शन गोरखपुर के उद्घोषिका नूतन मिश्र स्व. सत्यनारायण मिश्र के याद करत उनुकर दू गो गीत गा के सुनवली. वरिष्ठ गीतकार सुभाष चंद्र यादव सत्तन जी के स्मृतियन के समेटत आपन गजल पढ़लन.
एकरा बाद बइठकी में उपस्थित प्रमुख वक्ता आपन-आपन विचार बतवलें. आकाशवाणी/दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख डा. ब्रजेंद्र नारायण कहलन कि रसिया जी के सम्मान करिके भोजपुरी संगम अपनो सम्मानित हो रहल बा. प्रो. विमलेश मिश्र सुझाव दिहलन कि भोजपुरी लेखन में दोसरो भाषा के शब्दन के जगह देत रहे के चाहीं. अइसन कइला से भोजपुरी भाषा के शब्द भंडारो बढ़ी आ एकर विकास आ दोसरो इलाकन में पसार होखे के राह खुली. डा. सुधाकर तिवारी के काव्यगत आधार पर रसिया जी के अंजान अउर मोती बीए के पांत में खड़ा करत कहलन कि हिन्दी के विकास ओकरा बोलियन में लिखल साहित्ये से भइल बा.
गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के कृतकार्य आचार्य प्रो. रामदास राय के कहना रहल कि के का लिखलसि से आगा बढ़त के कतना लिखले बा ई महत्वपूर्ण ना होखे. रसिया जी भोजपुरी के अइसन कवि हईं जिनकर उल्लेख तमाम पत्र पत्रिकन में मिलेला. अपना संबोधन में आगे कहलन कि एगो भोजपुरी विश्वविद्यालय के स्थापना करवला के जरुरत बा.
डा. वेद प्रकाश पाण्डेय अपना संबोधन में कहलन कि भोजपुरी संगम सम्मानित करेला बहुते जेनुइन कवि रामपति रसिया के चुनलसि ई खुशी के बात बा.
बइठकी के कुशीनगर से पधारल कवि अभिमन्यु पांडेय अउर कवि-कहानीकार सत्य प्रकाश शुक्लो संबोधित कइलन. प्रमुख रूप से उपस्थित साहित्यकारन में चंदेश्वर परवाना, जेपी नायक, श्रीमती कमलेश मिश्रा, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, मसरूरुल हसन ‘बहार गोरखपुरी’, अरविंद ‘अकेला’, अवधेश शर्मा ‘नंद’, विनोद निर्भय, सृजन गोरखपुरी, नंद कुमार त्रिपाठी, अवध किशोर अवधू, राम समुझ सांवरा, राम सुधार सैंथवार, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, प्रेमनाथ मिश्रा, आकाश महेशपुरी समेत कई दर्जन रचनाकारन के नाम लिहल जा सकेला.
डाॅ.कुमार विनीत, कुन्दन लाल निगम, दिनेश दूबे, ओंकार मिश्र, कार्तिक आ कुशाग्र एह बइठकी के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभवलें. आखिर में भोजपुरी संगम के अध्यक्ष इंजीनियर राजेश्वर सिंह सगरी लोगन से आभार जतवलन.