भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट जब शुरु कइले रहीं तब अइसन ना लागत रहुवे कि एकरा के चलावल बहुत मुश्किल हो जाई. मुश्किल त ओहू घरी रहुवे जब साल 2003 में एकर शुरुआत बलिया के एगो इन्टरनेट कैफे से कइले रहीं. ओह घरी सबले बड़का समस्या रहुवे देवनागरी फॉन्ट के. जबले रउरा कंप्यूटर में देवनागरी के फांट ना रही तब ले रउरा देवनागरी फांट वाला बेबसाइट पढ़िये ना सकत रहीं, काहे कि जवन गबर झबर लउके ओकरा के पढ़ले ना जा सकत रहुवे. अंजोरिया के एह इतिहास के चरचा कइ बेर कर चुकल बानी बाकिर जब जब घाव रिसेला तब तब एकरा के दोहरावे के मन कर जाला.
ओह घरी जब एकर रजिस्ट्रेशन करावे चलनी त भोजपुरी डॉटकॉम नाम के एगो डोमेन पहिलहीं से केहू रजिस्टर करवा के रखले रहुवे. आजुवो ले ऊ डोमेन मौजूद बा बाकिर ओकरा पर कुछ होखे ना. शायद ऊ आदमी भा सस्था एह उमेद में होखी कि केहू आ जाई ओह डोमेन के मुॅहमाँगा दाम दे के खरीदे ला. एह तरह के सौदा होखते रहेला बाकिर भोजपुरी के अइसन बाजार नइखे जवना खातिर केहू लाख रुपिया दे के डोमेन खरीदे. से अंजोरिया का नाम से एह डोमेन के रजिस्टर करवा लिहनी . अब 21 वां साल चलत बा आ अगिला 19 जुलाई 2025 से 22वां शुरु हो जाई. बेटी सयान हो गइल बाकिर ओकरा जोग दामाद नइखे मिलत जे एकर जिनिगी के साथी बन सको. से जइसे चलत बा वइसहीं चलत रही.
तब अपना अध्यवसाय से अतना कमाई हो जात रहुवे जवना से एह वेबसाइट के खेवा-खरचा चलत रहो. बाकिर उमिर के आखिरी पड़ाव में अइसन का, कवनो कमाई नइखे जेकरा से एकर संचालन जारी राखल जा सके. डोमेन, एचटीटीपीएस सर्टिफिकेट आ वेबहोस्टिंग पर नाहियो त करीब तीस हजार के खरचा सालाना बा. मोबाइल के डाटा से काम चलेला बाकिर मोबाइल के खरचा एकरा में जोड़ला के जरूरत नइखे काहे कि मोबाइल त हर हाल में रखहीं के बा. दोसर ई कि चूंकि पीर बावर्ची भिश्ती खर सब हमहीं बानी आ अपना के तनखाह दिहला के ना त जरुरत बा ना औकात. अगर जे कहीं एकरा ला कुछ कर्मचारी राखे के पड़ित त एकर राम नाम बहुत पहिलहीं सत्य हो गइल रहीत.
घाव रिसला का पीछे रुपिया पइसा कारण नइखे. कारण बा भोजपुरिहा समाज के बेरुखी. रउरा आइलें, देख लिहिलें बाकिर दुबारा आवे के जहमत ना उठाईं. नीमन बाउर जवने लेख मिलल तवना के पढ़ लिहनी आ गँवे से सरक गइनी. टीका टिप्पणी कइल भोजपुरिया शान का खिलाफ होखेला शायद. भा इहो हो सकेला कि आर्थिक सहजोग त दूर रउरा सभे एकरा के आपन बोखारो ना दीहल चाहीं. त कवनो लेख पर आपन विचार काहे ला देब !
घर परिवार त होखबे करी राउरो. केहू ना केहू रसोई सम्हारते होखी. एक बेर ओकरा से पूछ के देख लीं कि ओकरा कइसन लागेला जब ओकर बनावल खा-पी के लोग डकारो ना लेब. का सवदगर लागल का ना सेहू केहू ना बतावे. आखिर हम रोज रोज कवनो नया पोस्ट काहे आ का डालीं जब हमरा पते ना चले कि रउरा नीक का लागल ! अगर पता चले कि रउरा कवना तरह के पोस्ट पसन्द बा त ओह तरह के पोस्ट डालल करे आदमी.
ई त भइल पढ़निहारन से शिकायत. लिखनिहारनो से बहुते शिकायत बा. जब भोजपुरी में दुनिया के एह पहिलका वेबसाइट के शुरु कइले रहीं त जतना लोग से संपर्क कर सकत रहीं कर लेत रहीं आ ओह लोग का सहारे जवने जुड़े तवना के अंजोर कर देत रहनी. इकइस बरीस के कार्यकाल में हमरा एकहू नाम इयाद नइखे जेकर पठावल रचना हम अंजोर करे से मना कर दिहले होखीं. कवनो संस्था सम्मेलन भोजपुरी के ना रहल जवना के भेजल रपट अंजोर करे से मना कइले होखीं. हँ शिकायत जरुर कर देत रहीं कि भोजपुरी के संस्था अगर आपन रिपोर्ट भोजपुरी में ना भेज सके त ओकरा भोजपुरी के संंस्था कहाए के अधिकारे नइखे. हो सकेला कि हमार उहे सभ शिकायत भोजपुरी के सस्था सम्मेलन चलावे वालन के अखर जात होखी. भोजपुरी में अंजोरिया भलहीं पहिलका वेबसाइट हवे बाकिर एकरा बाद दर्जनों वेबसाइट अइली सँ. सभले बरियार आ समर्थ वेबसाइट रहल भोजपुरिया डॉटकॉम. ओकरा लगे तकनीक, संसाधन आ सहजोग सभ कुछ रहुवे. दुर्भाग्य से भोजपुरियन के उहो बरदाश्त ना भइल आ अतना मुसीबत खड़ा कर दिहल लोग कि थाक हार के ऊ बन्द हो गइल. एगो अउर वेबसाइट रेखरियावे जोग आइल रहुवे – जोगीरा डॉटकाम. पता ना उहो चलत बा कि ना. आजु चेक करब. रउरो खोज के देख लीं.
हँ त भोजपुरिया लिखनिहारन के अलगे समस्या बा. जे पढ़ेला से लिखे ना आ जे लिखेला से ओकरा के टाइप ना कर सके, भा करे के जरुरत ना समुझे. अधिकतर लिखनिहार उमिरदारज हो चुकल बाड़ें आ जे नवही लिखनिहार बा से अतना ताव में रहेला कि `अंजोरिया में अंजोर करेला आपन रचना भेजल ओकरा आपन बेइज्जति लागेला. आखिर अतना बड़हन लिखनिहार अंजोरिया जइसन घटिहा साइट ला आपन रचना कइसे भेजी. मजबूरन अपने जे जतना हो सकेला ओतना लिख के कुछ ना कुछ परोसत रहीलें. भोजपुरी के नौ गो जोगी नब्बे गो मठ बना के बइठल बाड़न. भोजपुरी के एगो इहो खासियत हवे कि एकरा में विश्व सम्मेलन से कम ना होखे, जे ही बा से कवनो ना कवनो भोजपुरी सम्मेलन बना के बइठल बा. बाकिर उहो लोग अपना गतिविधि के जानकारी दोसरा से साझा ना कइल चाहे.
नौ गो जोगी के नब्बे गो मठ के हालत अइसन बा कि एगो ह्वाट्सअप ग्रूप हमरा पोस्ट के डिलीट कर दिहलसि बिना कवनो कारण बतवले. ओकरा एडमिन में एगो महानहस्ती बाड़ें जे भोजपुरी के कई गो सस्थन के खेवा खरचा देत रहेलें आ ओकरे ताव में उनुका बरदाश्त ना भइल कि आखिर भोजपुरी के कवनो संस्था भा भोजपुरी में काम करे वाला अइसन आदमी कइसे आ गइल जे ओकरा सोझा भीख के कटोरा ले के ना आइल. भामाशाहन से निहोरा त हम कर लिहिलें, भलहीं ओह लोग के गिनिती अंगुरी पर गिने से बेसी ना भइल. बाकिर कवनो धनपशु से भीख लीहल हमरा गवारा नइखे. भाँड. में जा तूं आ तोहार धन.
रउरो मन ई सब पढ़ के झनझना गइल होखी. बाकिर सोचीं का रउरा एह पोस्ट भा अंजोरिया पर अंंजोर भइल कवनो पोस्ट पर आपन विचार बतवले बानी ? का कबो अपना ग्रूप में साझा कइले बानी ? हजार लाख के दान त मांगत नइखीं एक कप चायो के दाम दान दिहले बानी ? कहे खातिर सभ केहू आपन, आपन कहाए वाला के बा ! कहे खातिर कहा जाला कि भोजपुरी बोले वाला तीस करोड़ लोग बा बाकिर इकइस बरीस में पचासो लाख लोग नइखे आइल अंंजोरिया पर. कई बेर कहनी कि कवनो जरुरी नइखे कि रउरा अंजोरिया पर आईँ. बाकिर हर दिन कवनो ना कवनो भोजपुरी साइट पर जाए के आदत जरुर राखीं. कवनो ना कवनो भोजपुरी पत्रिका के सालाना गाहक जरूर बनीं. आपन राय विचार जरुर बताईं.
बाकिर हमहूं पागल भईस का आगा बीन बजावत बानी आ भईंस पगुराए में लागल बिया. अतना देर ले हमार बकबक बरदाश्त कइनी एह योगदान के भोजपुरी के इतिहास में सोनहूला अक्षर में लिखाए के चाहीं. बाकिर लिखी के ! नौ गो जोगी नब्बे गो मठ बना के बइठल बाड़ें. केहू अगड़ा हवे, केहु पिछड़ा, केहू दलित. हँ आदिवासी भोजपुरिया जमात हमरा जानकारी में नईखे. हम ना त तीन मेंं रहनी ना तेरह में. आ हमार सभले बड़का कमजोरी इहे रहल. माफ करीं सभे.