गजल – हीरालाल ‘हीरा’

- हीरालाल ‘हीरा’ सुर साधीं तऽ लय बिगड़े, बे-ताल के बनल तराना बा। जिनिगी गावल बहुत कठिन बा, उलझल ताना-बाना बा।। केतना अब परमान जुटाईं,अपना त्याग, समरपन के, अरथहीन अब…

शशी प्रेमदेव के दुगो गजल

-शशी प्रेमदेव (एक) खूब गतरे-गतर फरी केहू ठूँठ-जस देखि के जरी केहू रो रहल बा सिवान में कुक्कुर फेरु टूटी कहर... मरी केहू का बिरिध का सयान का लरिका फारि…

सुनऽ धरीछन अक्षय पाण्डेय के पाँचगो गीत

- अक्षय पाण्डेय (एक) सुनऽ धरीछन ! जिनिगी में बहुते जवाल बा छन भर हँसी-प्यार संग जी ले। पानी के जी भर उछाल के मुट्ठी में रेती सम्हाल के गुनऽ…

दयाशंकर तिवारी के पाँच गो कविता

- दयाशंकर तिवारी (एक) नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ पीरा पसरे लगलि पोर पोर गोइयाँ। देहिये भइल आपन अपने के भारी निरदइया अबहीं…

कादम्बिनी सिंह के गजल

- कादम्बिनी सिंह देखऽ तानी कि कबले बिहान होई ऊ अन्हरिया में कतना हरान होई। आँखि आपन उ, होई टिकवले उहाँ सोना-रूपा क जहवाँ खदान होई । बाँटि देतऽ त…

उदय शंकर “प्रसाद” के कविता – बखारी, मजबूरी

(1) बखारी बास के चचरा गोल गोल मोडाईल ऊपर से खरई सरिया के बंधाईल माटी के लेप चचरा पे लेपाईल बखारी के रूप लेके खड़ियाइल फिर टीका लगल अगरबत्ती बाराईल…

उदय शंकर के दू गो कविता

(1) नून इक दिन बहुत हाहाकार मचल भात, दाल, तरकारी में। काहे भैया नून रूठल बा बइठक भइल थारी में। दाल-तरकारी गुहार लगईलक नून के बइठ गोरथारी में तरकारी कहलक…

सोचऽ आजादी पउलस के

रामजियावन दास बावला देश भयल आजाद मगर रण कै बरबादी पउलस के,सोचऽ आजादी पउलस के ? के के आपन खून बहावल,के आपन सर्वस्व लुटावल,केकर लड़िका बनै कलक्टर ई ओस्तादी पउलस…

भोजपुरी संगम के 144 वीं ‘बइठकी’

'भोजपुरी संगम' के 144 वीं 'बइठकी' भइल त रहे कुछ दिन पहिले आ समय पर खबर मिलियो गइल रहुवे. बाकिर हमार एंजियोप्लास्टी के ऑपरेशन का चलते देरी से प्रकाशित कर…

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