जर जोरु जमीन जबरदस्त के (बतकुच्चन – 176)
बतकुच्चन 182 बात विजयादशमी के दिन के ह. ओह दिन कई जगहा मूर्ति भसान ले के झगड़ा फसाद हो गइल आ हम सोचे लगनी कि केकरा के अबर भा दुबर…
First Bhojpuri.website
बतकुच्चन 182 बात विजयादशमी के दिन के ह. ओह दिन कई जगहा मूर्ति भसान ले के झगड़ा फसाद हो गइल आ हम सोचे लगनी कि केकरा के अबर भा दुबर…
पिछला अतवार के बाबा लस्टमानंद से भेंट हो गइल. बाबा के आदेश भइल कि हम बतकुच्चन में झाड़ू पर चरचा करीं. बाबा के त ना बतवनी बाकिर रउरा के बता…
टिकैत त सभे सुनले होई, कुछ लोग टकैतो का बारे में सुनले होखी, बाकिर ई एकदम तय बा कि टकरइत भा टकरैत शायदे केहू सुनले होई. टिकैत का बारे में…
आजु बतकुच्चन लिखे बइठल बानी त खबर में बाँट-बखरा के चरचा गरम बा आ हम सोचत बानी कि बाँट-बखरा कि बाट-बखरा. बखरा के चरचा का पहिले बाट आ बाँट के…
अंगरेजी में ए, हिंदी में ए, ऐ, न आ व, बाकिर भोजपुरी में आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, क, त, द, ध, न, प, ल, स आ ह.…
ना नीमन काम करे ना दरबारे ध के जाव! बतकुच्चन लिखे बइठल रहीं त इहे कहाउत ध्यान में रहल. लिखे के कुछ अउर रहल बाकिर मन में कुछ दोसरे सवाल…
माई बाबूजी कब मम्मी डैडी हो गइल लोग केहू के पता ना लागल. बाकिर आजु टीचर के गुरू कहला पर बखेड़ा खड़ा करे के कोशिश हो रहल बा. एहसे कि…
लागत ब कि मउराइल लोग फेरु मउराइल हो गइल बा. जान में जान आ गइल बा. कहल जात बा कि दहाड़त शेर प काबू पा लिहले बाड़े जंगल के सियार…
बात कहिले खर्रा, गोली लागे चाहे छर्रा. कहे सुने ला त ई ठीक लागी बाकिर बेवहार मे आदमी सोच समुझ के बोलेला. साँच बोलल जरूरी होखेला बाकिर जहाँ ले हो…
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून. पानी गए ना उबरे मोती मानुष चून. पानी के महत्ता हमनी सभ के मालूम बा. जाने वाला लोग बतावेला कि तिसरका विश्वयुद्ध पानिए…
परुआ बैल के हेहव के आसा एह पर तनी रुक के चरचा होखी कि परुआ कि पड़ुआ. अबहीं मान के चलल जाव कि परुआ बैल ओह बैल के कहल जाला…