भक्त, दल्ला आ टार्ड के चरचा : बतगंड़ 37
– ओ. पी. सिंह जब सोशल मीडिया ना रहल त जवन रहल ऊ टीवी चैनल. जब टीवी चैनल ना रहल त जवन रहल ऊ अखबार. पता ना जब अखबार ना…
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– ओ. पी. सिंह जब सोशल मीडिया ना रहल त जवन रहल ऊ टीवी चैनल. जब टीवी चैनल ना रहल त जवन रहल ऊ अखबार. पता ना जब अखबार ना…
– ओ. पी. सिंह समाज के अनुभव इहे बा कि नीमन काम करे वाला के आए दिन मुसीबत झेले के पड़ेला. ओकरा से सभकर उमीद अतना बढ़ि जाला कि ओकर…
– ओ. पी. सिंह अपना देश के राजनीति दू गोले ह, भलही हर गोल में अलग अलग कई गो अउरी गोल समाइल रहेला. सबले बड़का दू गो गोल ह हिन्दू…
– ओ. पी. सिंह रोज ब रोज खोबसन सुने के आदत पड़ गइला का बादो आजु भोजपुरी कवि अशोक द्विवेदी के कविता – रेवाज – के एगो टुकड़ा दिमाग में…
– ओ. पी. सिंह सुदर्शन के लिखल कहानी – हार की जीत – आजु बरबस याद आ गइल. ओह कहानी में त बाबा भारती से छीनल घोड़ा खड़ग सिंह लवटा…
– ओ. पी. सिंह अबहीं चुनाव में हार के दरद कमो ना भइल रहे कि मोदी के राजनीति के तिरशूल आ के करेजा में धँसि गइल. आहो नइखे निकल पावत,…
– ओ. पी. सिंह जइसे – नाचे ना जाने अङनवे टेढ़ – वाला सहारा ले लीहल जाला जब चाल सही ना बइठे, वइसहीं अपना गलती के खीसि दोसरा प मढ़…
– ओ. पी. सिंह अगर कवनो समाज के खतम करे के होखे त ओकरा नाभि प चोट करे के चाहीं. आ समाज के नाभि ओकरा भासा, ओकरा परम्परा, ओकरा संस्कार,…
– ओ. पी. सिंह महामहिम राष्ट्रपति जी, राउर बतिया हमरा से बरदाश्त नइखे होखत. अब रउए बता दीं कि हम कहाँ जाईं. कोच्चि मे 2 मार्च के दीहल राउर उद्बोधन…
– ओ. पी. सिंह जे सुधरल बा ऊ त चुपाइल बा बाकिर जेकरा अपना मरजी का खिलाफ सुधरे के पड़ल बा ओकर पीड़ा उहे बता सकेला जे भोगत बा भा…
– ओ. पी. सिंह दुअरा सवतिया के पिया के बरतिया, देखि देखि फाटे रामा पथरो के छतिया. जिनिगी के जरेला सिंगार, दइबा दगा कइलें. एह घरी स्मार्टफोन के जमाना बा…