एक कप चाय ला तरसि गइल भोजपुरी

मथैला पढ़ि के माथ घूमत होखे त घुमावले हमार मनसा बा. काहे कि आजु हम कुछ तीख परोसे जा रहल बानी. पूरा पढ़ि के देखीं आ सोचीं कि हमरा बाति…

भोजपुरिया समाज के बदलत तेवर

- भगवती प्रसाद द्विवेदी भोजपुरिया समाज शुरुए से कबो ना थाके वाली मेहनत, जीवटता, संघर्षशीलता आ अपना दम-खम आउर बल-बेंवत का बदउलत मन माफिक मुकाम हासिल करे खातिर जानल जाला।…

रक्तबीजन के फेरा में (सामयिकी)

- सौरभ पाण्डेय कवनो सरकार आपन लउकत अछमता के बावजूद ओइसन असहाय ना होखे, जइसन कई बेर अटलजी के अगुआई में बनल केन्द्र सरकार में भइल करे। अटलजी के सरकार…

भिखारी ठाकुर के जयन्ती का अवसर पर स्मरण

भोजपुरी लोक-रंग के प्रतीकःभिखारी - डॉ0 अशोक द्विवेदी अपना समय सन्दर्भ में भिखारी ठाकुर, अपना कला-निष्ठा आ कबित-विवेक वाला रंग-कर्म से अपना समय के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार रहलन। ऊ लोकनाट्य-परम्परा…

का कहीं कहाते नइखे, कहला बिना रहातो नइखे

आजुकाल्ह हम बहुते फिकिरमन्द बानी. अँजोरिया चलावत युग बीत गइल बाकिर हम बाकी लोग जइसन ना बन सकनी. ना त हमार कवनो गुट बनल, ना हम कवनो गुट में शामिल…

अगस्त के महीना भइल बड़ा सोर

श्री सत्यवादी छपरहिया ‘अगस्त’ संस्कृत ‘अगस्त्य’ आ अँगरेजी ‘औगस्ट’ के भोजपुरी रूप हवे. एह शब्द से कई एक गो माने-मतलब निकलेला. पौराणिक युग में अगस्त नाँव के एगो लमहर ज्ञानी-ध्यानी…

चेयर-चिपकेरिया

मुक्तेश्वर तिवारी ‘बेसुध’ (चतुरी चाचा) नाँव सुनिके चिहुकीं, चिहाईं जनि. मलेरिया, फाइलेरिया, हिस्टीरिया, डायरिया वगैरह बेमारिये नीअर ‘चेयर-चिपकेरियो’ एगो बेमारी हवे जेवन आजु काल्हि हमरा देश में बड़ा जोर-शोर से…

बतरस आ पाती

अनिल कुमार राय ‘आंजनेय’ भोजपुरी अइसन भाषा ह, जवना पर केहू गुमान करि सकेला. एह भाषा के जेही पढ़ल, जेही सुनल, जेही गुनल ऊहे अगराइल, ऊहे धधाइल, ऊहे सराहल, ऊहे…

देस आजु बैचारिक जुद्धभूमि बनल बा

सौरभ पाण्डेय एह में कौनो संदेह ना, जे लोकसभा के 2014 के चुनाव से, आ फेरु 2019 के आमचुनाव में दोहरियाइ के, एगो अइसना केन्द्र-सरकार के गठन भइल बा, जवन…