एक कप चाय ला तरसि गइल भोजपुरी
मथैला पढ़ि के माथ घूमत होखे त घुमावले हमार मनसा बा. काहे कि आजु हम कुछ तीख परोसे जा रहल बानी. पूरा पढ़ि के देखीं आ सोचीं कि हमरा बाति…
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मथैला पढ़ि के माथ घूमत होखे त घुमावले हमार मनसा बा. काहे कि आजु हम कुछ तीख परोसे जा रहल बानी. पूरा पढ़ि के देखीं आ सोचीं कि हमरा बाति…
भउजी हो ! आँय ! बबुआ ? रउआ आ गइनी ? रउआ त बराते गइल रहनी ? बराते थोड़े गइल रहुवीं ? अबहीं त बरात के तइयारिए के चरचा होखत…
- भगवती प्रसाद द्विवेदी भोजपुरिया समाज शुरुए से कबो ना थाके वाली मेहनत, जीवटता, संघर्षशीलता आ अपना दम-खम आउर बल-बेंवत का बदउलत मन माफिक मुकाम हासिल करे खातिर जानल जाला।…
भउजी हो ! का बबुआ ? कमजोरका के जोरु भर गाँव भतार. कांग्रेस का बारे में बतियावत बानी का ? तू कइसे बूझ गइलू ? एहघरी एकरे त चरचा बा…
भोजपुरी लोक-रंग के प्रतीकःभिखारी - डॉ0 अशोक द्विवेदी अपना समय सन्दर्भ में भिखारी ठाकुर, अपना कला-निष्ठा आ कबित-विवेक वाला रंग-कर्म से अपना समय के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार रहलन। ऊ लोकनाट्य-परम्परा…
आजुकाल्ह हम बहुते फिकिरमन्द बानी. अँजोरिया चलावत युग बीत गइल बाकिर हम बाकी लोग जइसन ना बन सकनी. ना त हमार कवनो गुट बनल, ना हम कवनो गुट में शामिल…
श्री सत्यवादी छपरहिया ‘अगस्त’ संस्कृत ‘अगस्त्य’ आ अँगरेजी ‘औगस्ट’ के भोजपुरी रूप हवे. एह शब्द से कई एक गो माने-मतलब निकलेला. पौराणिक युग में अगस्त नाँव के एगो लमहर ज्ञानी-ध्यानी…
मुक्तेश्वर तिवारी ‘बेसुध’ (चतुरी चाचा) नाँव सुनिके चिहुकीं, चिहाईं जनि. मलेरिया, फाइलेरिया, हिस्टीरिया, डायरिया वगैरह बेमारिये नीअर ‘चेयर-चिपकेरियो’ एगो बेमारी हवे जेवन आजु काल्हि हमरा देश में बड़ा जोर-शोर से…
सौरभ पाण्डेय एह में कौनो संदेह ना, जे लोकसभा के 2014 के चुनाव से, आ फेरु 2019 के आमचुनाव में दोहरियाइ के, एगो अइसना केन्द्र-सरकार के गठन भइल बा, जवन…