पइसवा जात कहां बा
– जयंती पांडेय राहुल गांधी अपना चुनाव प्रचार में कई हाली कहले कि गांव के विकास के खातिर जवन रुपिया आवे ला तवना में से दसे पइसा मिले ला बाकी…
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– जयंती पांडेय राहुल गांधी अपना चुनाव प्रचार में कई हाली कहले कि गांव के विकास के खातिर जवन रुपिया आवे ला तवना में से दसे पइसा मिले ला बाकी…
बाजार के दबाव में तिल-तिल कर के मरत भोजपुरी भाषा के दुर्दशा लेके हम कुछ समय पहिले एगो उपन्यास लिखले रहीं “लोक कवि अब गाते नहीं.” इंडिया टुडे में एकर…
– जयंती पांडेय जब से अखबारन में मार छपे लागल कि सरकार खेती के बढ़ावा देवे के खातिर कई-कई गो सुविधा दी तबसे गांव छोड़ के सात बरिस पहिले आइल…
– जयंती पांडेय ‘एगो कहावत बा कि पाकिट में दाम नइखे तऽ राउर कवनो मान नइखे। गांव में कहल जाला कि मरद के मरद रुपिया हऽ ना तऽ सब मरद…
भउजी हो! हैप्पी होली! का बबुआ ? रउरो अगरेज बनि गइनी का ? ना भउजी.बाकिर चारो ओर देखि के लागल कि इहे कहल ठीक रही. देखतानी कि जे सुबहित एक…
– जयंती पांडेय का हो राम चेला ई बरिस तऽ अंग्रेजी में लीप ईयर हऽ. लीप ईयर के अंग्रेजी में चाहे जवन माने होखे हमरा भोजपुरी में तऽ लीपले कहाई.…
भउजी हो ! का बबुआ ? तोहार नाँव का हऽ ? ना बताएब. तोहार उमिर कतना भइल ? ना बताएब. तोहार धरम का ह ? ना बताएब. बिआहे अइलू ओकरा…
– जयंती पांडेय बाबा लस्टमानंद कलकाता अइले. उनका गांव के लोग इहां रहऽत रहे. ओहमें सबसे जियादा नांव रहे एकसिया बाबा के बेटा ठटपाल तिवारी के. अब बाबा उनका बाप…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 19वी प्रस्तुति) – अनन्त प्रसाद ‘रामभरोसे’ भोजपुरिहा कतनो परेशानी में रहिहन, मोका पावते केहू से हँसी-मजाक करे से बाज ना अइहन.…
– जयंती पांडेय शरम कहीं चाहे लाज, इहो कतना तरहि के होला. अबही हालही के बाति ह कि अमरीका गोंड़ के बेटी दरोगा राय के बेटा संगे भाग गइल. अब…
– जयंती पांडेय बड़ा ढेर दिन के बाद रमचेलवा फेरू लउकल. रमचेलवा के संगे-संगे दो-चार जाना अउर रहलें. बुझाइल कि रमचेलवा ए घरी नेतागीरी करे लागल बा. बाकी अपना गुरु…