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डमरू एक भोजपुरी फिल्म है,जिसकी कहानी एक ऐसे आदमी के इर्द गिर्द घुमती है जिसकी भगवान शंकर के प्रति अटूट श्रद्धा है, इस फिल्म में यह दर्शाया गया है की कैसेएक इन्सान का विश्वाश अगर अडिग हो तो भगवान भी मजबूर हो जाते हैं उसकी सहायता के लिए ,मूलतः यह कहानी एक भक्त के अपने भगवान के प्रति विश्वाश और समाज में फैले भ्रस्टाचार, लालच और सामाजिक कुरीतियों से लड़कर उससे ऊपर आने की कहानी है, इस कहानी कुछ दृश्य समाज में फैले अन्ध्विश्वाशों को बड़े ही व्यंगात्मक और हास्य तरीके से दिखाते हैं ,तथा उन अन्ध्विश्वाशों से ऊपर उठने का सुझाव देते हैं .
सामाजिक दृष्टिकोण,
इस फिल्म के कहानी का सारा ताना बना समाजिक कुरीतियों, अन्धविश्वाशों,समाज में फैले भ्रष्टाचार,लालच, सत्ता के दुरपयोग इन सब बातों को ध्यान में रख कर बुना गया है,इस फिल्म के माध्यम से निर्देशक बड़े ही मनोरंजनात्मक और मार्मिक तरीके से ऑडियंस कोयहदर्शाते हैं की , कैसे सामाजिक कुरीतियों से ऊपर उठा जा सकता है, यहफिल्म बड़े ही सुन्दर ढंग से समाज में फैले धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठने का सुझाव देती है
पर्यटन दृष्टिकोण ,
इस फिल्म की सारी शूटिंग वाराणसी और सारनाथ के पास होगी, जो की पर्यटन को बढ़ावा देगा, फिल्म के दृश्यों में वाराणसी और आस पास के इलाकों के मनमोहक दृश्य दिखाए जायेंगे, जो पर्यटन को बढ़ावा देगा, आज भोज्पुरिफिल्मो का विस्तार बहुत बड़ा है जिसके चलते बहुत सारे लोग इन पर्यटक जगहों की तरफ आकर्षित होंगे जो की इस फिल्म के दृश्यों में दिखाए जायेंगे.
राजनीतिक दृष्टिकोण :-
यह फिल्म उत्तर प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी नीति का समर्थन करती है,इस फिल्म में यह दिखाया जाता है की अगर सत्ता का दुरपयोग होता है तो कैसे सामाजिक दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं,तथाआम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यह फिल्म महिलाओं को सबल बनाने का समर्थन करती है, की वो समाज में आगे बढकर अपने निर्णय खुदले.
यह फिल्म किसी भी धर्म की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचाती,और पूरी तरह से मर्यदाओं की सीमा के अंतर्गत रहते हुए ,एक पूर्णतः पारिवारिक ,सामाजिक, और मनोरंजक फिल्म है,
चूंकि इस फिल्म का कांसेप्ट एक बड़े ही संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है तो इस फिल्म के निर्देशक ने यह ध्यान रखा है की यह फिल्म कही से भी अश्लील न लगे ,
(द्वापर टीवी)