– पाण्डेय हरिराम

पेट्रोल के दाम बढ़ले कुछुवे दिन बीतल बा कि सरकार डीजलो के दाम में दू रुपिया प्रति लीटर के आ रसोई गैस का दाम में बढ़ोतरी करे के फैसला लेबे जा रहल बिया. सरकार एही हफ्ता एह पर फैसला कर ली. रहल सहल कसर प्याज के बढ़त दाम पूरा कर दिहले बा. हालांकि, सरकार का दखल का बाद प्याज का दाम में कुछ गिरावट आइल बा बाकिर अबहियो ई आम आदमी का पहुँच का बाहरे बा.

देश में मँहगाई दर के नवम्बर में आइल आँकड़ा से केन्द्र के संप्रग सरकार महँगाई कम होखे के दाबा भलही करत होखो बाकिर दिसम्बर में आम आदमी जरुरी चीजन के आसमान छूवत दामन से परेशान बा आ एह संकट के सीधा असर ओकरा चुल्हा पर पड़ रहल बा.

महँगाई हरदम खाली आमे आदमी पर भारी ना पड़ल करे. प्याज के दाम कई बेर सरकारो के रोवे पर मजबूर कइले बा. १९८० के चरण सिंह सरकार प्याज का दामे का चलते गइल रहे आ साल १९९८ में दिल्ली के भाजपा सरकार के हारे के कारणो प्याजे के दाम बनल रहे.एह दुनु मौका पर कांग्रेस के फायदा भइल रहे. साल १९८० में चरण सिंह का काम चलाऊ सरकार का खिलाफ इन्दिरा गाँधी प्याज के आसमान छूवत दाम के चुनावी मुद्दा बनवले रही त साल १९९८ में शीला दीक्षित बीजेपी का खिलाफ प्याज के दाम के चुनावी हथियार बनवले रहुवी.

अबले के अनुभव त इहे बतावत बा कि कृषि मंत्री शरद पवार “सक्रिय” होखेलें त दाम पर अंकुशा लागे का जगहा उछाल आवेला. अबकी ऊ प्याज पर बयान दिहले बाड़े जवन पिछला कई सरकारन के रोवा चुकल बा. बाकिर सरकार त बाद में चुनाव का बेरा रोवेले, जनता पहिले रोवेले. प्याज के मामिला में जनता के लोर त पिछला दू महीना से बहत रहुवे बाकिर आंध्र समेत दक्खिन भारत में बरखा भइल ना कि जमाखोर प्याज रोक लिहलें. आजु लागल फसल त बाजार में आवे ना, बाकिर आजु के फसल खराब होखे त काल्हु दाम बढ़ही के बा, खासकर तब, जब धरपकड़ आ दाम के रखवाली के जिम्मा पवार साहब जइसन जिम्मेदार लोगन का पास बा.

शरद पवार हालही में इहो बयान दिहले बाड़न कि सीबीआई के छापन से कार्पोरेट जगत में घबड़ाहट बा. अब कंपनी भा कवनो आदमी गड़बड़ी करे त मंत्री जी के त छापा के अगुवाई करे के चाहीं. खैर, एहिजा मसला ना त अकेला शरद पवार के बा बा प्याज के. जइसहीं थोक दाम के सूचकांक दहाई से नीचे उतरल बा, महँगाई के एगो नया फेरा चलावे के इंतजाम हो गइल लागत बा. प्याज त खैर इंद्र देवता आ जमाखोर मुनाफाखोरन का “कृपा” से महंग भइल बा.

अंतरराष्ट्रीय बाजार का हिसाब से चीनी के दामों में तेजी आवे वाला बा. अइसना में अगर प्रधानमंत्री अगिला मार्च तक महंगाई की दर 5.5 फीसदी होखे के भविष्यवाणी करबो करस त उनका पर केहू के भरोसा ना होखी. एने मुद्रास्फीति में गिरावट देखत रिजर्व बैंक बैंकन के नकदी तरलता अनुपात में एक फीसदी के कमी करके बाजार में लगभग 45 हजार करोड़ रुपये उतारे के रास्ता साफ कर दिहले बिया. अब बाजार में पइसा बा, सामान के कमीओ बा, आ सबले उपर लापरवाह आ आँख मूंदले सरकारो बिया. यूपीए-2 के अब तक के अवधि भ्रष्टाचार आ महंगाई, दूइये चीजन, का हंगामा में बीतल बा. असल में दुनु एके सिक्का के दू गो पहलू ह. अकेले वायदा कारोबार में दाल, आलू, प्याज आ चीनी का धंधा में जतना लूट पिछला डेढ़-दू साल में भइल बा ओकरा सोझा 2 जी स्पैक्ट्रम घोटालो छोट पड़ सकेला. एहसे आजु अगर पेट्रोल, डीजल, गैस आ प्याज का दामन से हमनी के परेशानी हो रहल बा, एकरा के कवनो तात्कालिक दोष भा मौसमी गड़बड़ भर ना माने के चाहीं. आ अगर सरकार गंभीर बिया त खाली प्याज के निर्यात रोकले भर से काम नइखे चले के. जमाखोरी, मुनाफाखोरी, वायदा कारोबार के सट्टेबाजी, सब पर अंकुश लगावे के पड़ी.


पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी. अँजोरिया के नीति हमेशा से रहल बा कि दोसरा भाषा में लिखल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद समय समय पर पाठकन के परोसल जाव आ ओहि नीति का तहत इहो लेख दिहल जा रहल बा.अनुवाद के अशुद्धि खातिर अँजोरिये जिम्मेवार होखी.

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