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जातिवाद, जोगाड़वाद आ सम्मानवाद से जूझत भोजपुरी समाज

by | Jan 7, 2012 | 3 comments

– डा॰ जनार्दन सिंह

अपना महान भारत देश के भोजपुरी इलाका, पूर्वी यूपी आ पश्चिमोत्तर बिहार, के आपन व्यथा बा, आपन त्रासदी बा. ब्रितानवी हुकुमत इहां के लोगन के बहादुरी देखि के एकरा के ‘‘मजदूर क्षेत्र’’ घोषित कइला के साथ उ॰प्र॰ आ बिहार दु गो प्रान्तन में बॉट के इहॉ के विकास के हमेशा खातिर अवरूद्ध क दिहलसि. ओह बेरा से शुरू भइल लोगन के पलायन के सिलसिला आजुवो ले बदस्तूर जारी बा. कबो एह क्षेत्र के चीनी आ धान के कटोरा कहल जात रहल. इहां के आर्थिक-सामाजिक ढॉंचा उंखी के खेती पर निर्भर रहल बाकिर शासन के बेरूखी का चलते अनइस सौ बयालिसे से आधा चीनी मिल बन्द हो गइल, अब अधवो से कम हो गइल बा. दोसर तमाम उद्योग धन्धा बन्द हो गइल बा. इहॉं के जन प्रतिनिधिओ लोगन के ध्यान विकास का ओरि कम रहेला.

जापानी बुखार से इहां के हजारन बच्चा काल-कवलित हो चुकल बाड़न. जातिवादी, माफियावाद, राजनैतिक अपराधिकरण चरमावस्था पर बा. भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता ना मिलला के प्रमुख कारण भोजपुरी क्षेत्र के सांसद आ विधायक बाड़न. खाली भोजपुरी क्षेत्र के सांसद आपन सगरो दलगत, जातिगत, इगो कम्पलेक्स, सत्तालोलुपता के थोड़ देर खातिर ताक पर राखिके एक हाली ठीक से एक सुर में जहिया आवाज उठइहैं, ओहदिने भारत सरकार भोजपुरी भाषा के अष्टम अनुसूची में शामिल क ली. पिछला दिन लोकसभा में शून्यकाल के दौरान सिने स्टार आ भाजपा सांसद फेरू से भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता खातिर प्रश्न उठवलन आ उनके समर्थन में दर्जन भर सांसदो लोग समर्थन कइल. एकरा खातिर शत्रुघ्न सिन्हा जी के भोजपुरिया अमन परिवार के तरफ से बेर-बेर बधाई आ शुभकामना बा.

अब रहि गइल भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता, भोजपुर राज्य के गठन, भोजपुर रेजीमेंट के स्थापना, भोजपुर विश्वविद्यालय के स्थापना आ भोजपुरी के उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आ महाराष्ट्र में दुसरका राजभाषा के दर्जा के मांगो खातिर भोजपुरिया भाई जवन विश्व भोजपुरी, अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी, राष्ट्रीय भोजपुरी, प्रदेश भोजपुरी, ग्लोबल भोजपुरी आ ब्रह्माण्डीय भोजपुरी के अपने आप के अगुवाई करे वाला मनीषी, विद्धान आ भोजपुरी सम्राट भिन्न-भिन्न ग्लोबल, अन्तर्राष्ट्रीय, विश्व आ राष्ट्रीय अध्यक्ष महासचिव के ओहदा ले के बड़का-बड़का भोजपुरी मठ आ भोजपुरी धाम पर आ भोजपुरी मन्दिरन में बइठ के भोजपुरी के छप्पनों भोग लगावत बालो आ बाजा बजावत बा लोग. कहनाम बा कि – ‘‘जब आजाद पखेरू बनि के कवनो भाषा डोले, तबही बिनु पिंजरा के पंछी मधुरी-मधुरी बोले’’

उत्तर प्रदेश में भोजपुरिया महाराथी लोग इंटरनेशनल बा. बाकिर इहों लोग भोजपुरी अकादमी के बात आज ले जोर शोर से ना उठावल. हँ, हम उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ आ मध्य प्रदेश, मुंबई ले तमाम विश्व, ग्लोबल, राष्ट्रीय, प्रान्तीय भोजपुरी सम्मेलन में गइल बानीं, पूरा भारत में घूमला-फिरला के बाद भोजपुरी के महारथी लोगन के नजदीक जा के झांकला के बाद इहे देखनी कि चारू ओर जातिवादी आ गोलवाद चरमावस्था पर बा आ जोगाड़वाद हावी बा. जातिवाद में सवर्णवादो आपस में बंटल बा आ उहो मारीशस से लेके भोजपुरिया जिलन ले जाति के पता लगा के लोगन के सम्मान देता आ आरोप से बचे खातिर कोरम पूरा करता. एगो बात बहुते बेबाक आ कड़ुआ सॉंच बा कि भिखारी ठाकुर, संतकबीर, संत रैदास भा चाहे दलित आ पिछड़ा वर्ग आ अल्पसंख्यक वर्ग में भोजपुरी के दोसर बलिदानी, साहित्यकार, कलाकार लोग रहले. उनके नाम पर खूब सम्मेलन होता. ओह सम्मेलनो में एह बलिदानी लोगन के जाति वर्ग के उनके गोतिया छोड़के दोसरा केहू साहित्यकार, कलाकार कार्यकर्ता आ जाव त लोग धीरे से आपन नाक दबा के जोगाड़वाद, जातिवाद आ आपना गोल के आदमी के बड़का-बड़का सम्मान आपना-2 गोतिया लोगन के देके खुश क देला लोग.

देवरिया, रोहतास, सीवान, बलिया, बनारस, आरा, पटना, छपरा, दिल्ली, जमशेदपुर, गोरखपुर, भिलाई, मारीशस, मुंबई कहीं जाई खुलेआम जातिवाद-जोगाड़वाद लउकी. अब एगो नया बेमारी मारीशस के हो गइल बा. जे मारीशस ना जाई उ छोटका भोजपुरिया ह. जोगाड़वाद में मारीशस के राष्ट्रपति मंत्री भारत आ के सम्मान दे दीहे त उ अमर हो जइहें उहे भोजपुरिया मानल जइहैं. ऊ गर्व से कहेलन कि मारीशस से सम्मान पवले बानी, मारीशस रिटर्न हउअन. आ भोजपुरी क्षेत्र के केहू कवनों वर्ग के फटहाल, बदहाल भूखमरी में रहिके एह माटी खातिर आपन सब कुछ गंवा दिहल ओकरा घरे ई ना जइहैं. ओकरा के सम्मान आ सहानुभूति ना दीहें. ओकरा के आपना हीन भावना के शिकार बनाके मनोबल के दबइहें.

एह से भोजपुरिया अमन परिवार रउआ सभन विद्वतजन से एह कटु सांच बात खातिर क्षमा मांगत निहोरा करऽता कि नैतिकता, मानवता, भोजपुरी आ भागवत धर्म के पालन करत अगिला बरिस 2012 में भोजपुरी के सब सम्मानित सम्पादक, साहित्यकार, कलाकार, भोजपुरी संगठन के अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रान्तीय अध्यक्ष, मंत्री विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग के निदेशक, अध्यक्ष तमाम सगरो भोजपुरी के नेही, छोही प्रेमी लोग आपना जातिवादी-जोगाड़वादी के नापाक नीति से ऊपर उठो जेहसे कि आखिरी समय, मरे के बेरा, ओकरा शान्ति मिली. आ ओकर नाम इतिहास में सुनहला अक्षर में लिखाव, जाति आ जोगाड़ में ना लिखाव.


(भोजपुरिया अमन साप्ताहिक के नयका अंक के संपादकीय के कुछ अंश. पूरा संपादकीय पत्रिका में मिली.)
डा॰जनार्दन सिंह के संपर्क सूत्र
09236961379

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3 Comments

  1. alok kumar

    बिलकुल सच कहा आपने …….देश की सबसे बड़ी समस्या यही है ..जिससे सभी चिंतित है …भोजपुरिया अमन पेपर पढ़ा..अच्छा लगा

  2. santosh patel

    ‘‘जब आजाद पखेरू बनि के कवनो भाषा डोले, तबही बिनु पिंजरा के पंछी मधुरी-मधुरी बोले’’
    जनार्दन भैया

    प्रणाम
    भोजपुरी के बारे में राउर सोच माकूल बा , सामायिक बा, सांच से लबरेज बा

    कुछेक लोग जे भोजपुरी के दुकानदारी कइले बा ओकरे ई प्रतिक्रिया बा ई राउर आलेख .

    संतोष पटेल

    संपादक : भोजपुरी जिंदगी

  3. abhay pratap singh

    अक्षरश: सत्य
    सादर
    अभय प्रताप सिंह

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