– पाण्डेय हरिराम

पिछला कुछ दिन से संसद में कामकाज ठप्प होत रहत बा तबहियो पहिले नाम खातिर बाकिर कुछ ना कुछ काम काज हो जात रहुवे. बाकिर आजु मंगल का दिने त अइसन लागल कि बईठक शुरु भइल आ स्थगित हो गइल. विपक्ष संसद के चलही ना दिहलसि. संसद चलावे देबे खातिर प्रणव मुखर्जी के बोलावल सर्वदलीय बईठको बेकार हो गइल. विपक्ष के मनावे खातिर प्रधानमंत्री 2 जी घोटाले के कई स्तर पर जांच के हुक्म दे दिहलन. इहाँ तक कि लोक लेखा समिति के जांचो बइठा दिहलन. बाकिर विपक्षी दल संयुक्त संसदीय दल से कम में माने के तइयार नइखन आ ऊ लोग सरकार के हर कोशिश पर पानी फेर देत बा.

विपक्ष के हरकत देख के इहे बुझात बा कि ओकरा संसद के कार्यवाही चले देबे भा 2 जी घोटाले के जाँच से कवनो लेना देना नइखे, बलुक ऊ त बस सरकार के बेसी से बेसी फजीहत करके अधिका से अधिका राजनीतिक लाभ लिहल चाहत बा. भारत बिना कामकाज के संसद के चलावे में होखे वाला खरचा ना उठा सके बाकिर एह बाति खातिर कवनो एगो सांसद के दोषी ना बतावल जा सके. संसद में बवाल करे के त लागत बा रिवाजे चल पड़ल बा. एक तरफ कुछ सांसद बाड़न जे केहू के बोले ना देबे पर भिड़ल बाड़े त दोसरा तरफ कुछ अइसनो सांसद बाड़न, भलहीं ओह लोग के गिनती अँगुरी पर गिने लायक होखे, जे बहुते निमन निमन कामकाजी बाति करेलें. अब अगर दुनु के “क्रिटीकली अनालाइज” करीं त अइसन ना लागी कि संसद के कार्यवाही फेर से शुरु ना कइल जा सके. शर्त अतने बा कि दुनु तरफ के लोग अइसन करल चाहे.

एह मामिला में एगो सुझाव हो सकता कि दुनु फरीक के चुनिंदा लोग बइठ के “लोक लेखा समिति” आ “संसदीय जांच समिति” के गुण दोष उपयोगिता पर बात कर के तय कर लेसु कि कवन बढ़िया रही आ ओकरे के जाँच के जिम्मा सँउप के काम शुरु करें.
कम से कम संसद पर गरीब करदाता के पइसा खरच होखला के उपयोग त होखे. इहो हो सकेला कि कहियो दिन भर एही पर बहस करा लिहल जाव आ जवन फैसला सामने आवे ओही हिसाब से आगा बढ़ल जाव.

हालांकि ई मसला अइसन नइखे कि आनन-फानन में सुलझा लिहल जाय बाकिर संसद के काम त करही दिहल जा सकेला. अगर संसद में सरकार के लेके विपक्ष मुखर बा त ई सरकारे के जिम्मेदारी बनेला कि ऊ अइसनका माहौल बनावे कि काम फेर से शुरु हो सके. ना त ई इतिहास में दर्ज होत घटना ह आ इतिहासकार एकरा के नकारात्मको नजरिया से पेश कर सकेलें आ लोकतंत्र पर सवाल उठा सकेलें.


पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी. अँजोरिया के नीति हमेशा से रहल बा कि दोसरा भाषा में लिखल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद समय समय पर पाठकन के परोसल जाव आ ओहि नीति का तहत इहो लेख दिहल जा रहल बा.अनुवाद के अशुद्धि खातिर अँजोरिये जिम्मेवार होखी.

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