– संकेत कुमार

DharmaKantaDiler
पोस्टर फिल्म धर्मकाटां का चल रही दिलेर, दर्शकों से हुआ विश्वासघात दिनेशलाल यादव व अक्षरा सिंह अभिनीत फिल्म से ठगे जा रहे दर्शक सिनेमाघर कर्मी ने कहा निर्माता और वितरक के आगे मजबूर हैं सब धर्मकाटां का नहीं है प्रमाण-पत्र, दिलेर के प्रमाण-पत्र पर हो रही प्रदर्शित. डा0 सुनील हैं फिल्म के निर्माता

यूं तो भोजपुरी सिनेमा जगत पहले से हीं जालसाजी के चलते बदनाम है. लेकिन अब यह अपनी जालसाजी का चादर और फैलाकर अब सीधे तौर पर भोजपुरी सिनेमा के दर्शकों को अपनी ठगी का शिकार बना रही है. जिस वजह से दर्शक आहत हैं.

वाक्या कुछ ऐसा है कि इस शुक्रवार प्रदर्शित हुई निर्माता डा0 सुनील की भोजपुरी फिल्म ‘धर्मकांटा’. लेकिन जब दर्शक दिनेशलाल यादव और अक्षरा सिंह अभिनीत डा0 सुनील की फिल्म ‘धर्मकाटां’ को देखने सिनेमाघर पहुंचे तो सिनेमाघर के बाहर तक उन्हें ‘धर्मकांटा’ दिखा लेकिन जब सिनेमाघर के स्क्रीन को देखने की बारी आयी तो उन्हें ‘धर्मकांटा’ के बदले 2014 की फ्लॉप फिल्म दिलेर देखने को मिली.

आपको बता दें कि दिनेशलाल यादव, अक्षरा सिंह व अवधेश मिश्रा अभिनीत भोजपुरी फिल्म दिलेर 2014 में प्रदर्शित हुई थी, जिसे दर्शकों ने साफ तौर पर नकार दिया था. जब सीधे तरीके से दर्शकों ने फिल्म को नहीं स्वीकारा तो फिल्म के निर्माता डा0 सुनील ने पोस्टर पर फिल्म का नाम बदलकर ‘धर्मकांटा’ कर मकरसंक्रांति के अवसर पर प्रदर्शित कर दिया.

भोजपुरी सिनेमा जगत आज अपने ही दर्शकों के साथ विश्वासघात कर उन्हें ठग कर अपनी जेब उंची करने पर लगा हुआ है. पोस्टर फिल्म धर्मकांटा का और फिल्म दिलेर क्यों चल रही है यह सवाल पूछने पर एक सिनेमाघर कर्मी ने नाम न उजाकर करने की बात कह कर बताया कि सिनेमाघरों के मालिक निर्माताओं और वितरकों के आगे मजबूर है. अगर वह ऐसी फिल्मों को लगाने से मना करेंगे तो ये वितरक उन्हे आगे कोई फिल्म प्रदर्शित करने के लिए नहीं देंगे, जिससे सिनेमाघर को बंद करने की नौबत तक आ सकती है.

एक सवाल जो सीधे धर्मकांटा फिल्म के निर्माता डा0 सुनील से है कि क्या वे यह चाहते हैं कि भोजपुरी सिनेमा जगत का तीसरा अध्याय समाप्त हो जाये? अगर वह ऐसा नहीं चाहते तो फिर ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि भोजपुरी सिनेमा जगत आज जो अपने दर्शकों के साथ छलिया रवैया अपना कर उन्हें ठग का काम शुरू किया है ऐसे में भोजपुरी सिनेमाप्रेमी भोजपुरी सिनेमा के नाम पर सिनेमाघर का रास्ता तक भूल जायेंगे. जिसका नतीजा साफ है कि भोजपुरी सिनेमा जगत का यह स्वर्णिम तीसरा अध्याय समाप्त हो जायेगा. जिसके लिए जिम्मेवार होगा स्वयं भोजपुरी सिनेमा जगत.

सिनेमाघर मे धर्मकाटां के बदले दिलेर मिलने पर कुछ दर्शकों ने अपनी प्रतिक्रिया ऐसे दिया कि वह सुनकर शर्म से सर झुक गया. कुछ दर्शकों ने तो यहां तक कह दिया कि जब भोजपुरी सिनेमा जगत के निर्माताओं को फिल्म बनाने की औकात नहीं है तो फिर वह फिल्म क्यों बना रहे हैं, क्यों हमलोगों को एक फ्लॉप फिल्म दुबारा देखने के लिए नाम बदल कर फिर से सिनेमाघर तक खींच रहे हैं ?

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