– पाण्डेय हरिराम

आजु बिहार के चुनाव के अंतिम दौर पूरा हो चुकल बा आ अबले मतदान के जवन आंकड़ा रहल बा ऊ लगभग 50 फीसदी के बा. आजुवो के तनी मनी ऊँच नीच का साथ उहे रहे के चाहीं. एहिजा मतदान के आंकड़ा पर बहस नइखे कइल जात, बलुक मकसद बा ओकरा नतीजा से. भारतीय चुनावन का बेहद प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में लोग जवना “हवा” का बुनियाद पर तखमीना करेला ओ कबहियो आपन दिशा बदल सकेले. बाकिर तमाम कानूनी रोक का बावजूद एहिजा जोखिम उठावल जा रहल बा आ एगो पूर्वानुमान बा कि नीतीश कुमार बिहार में भारी बहुमत का साथे लवटे जा रहल बाड़े.

जे हालफिलहाल बिहार के नइखे देखले भा बिहारीपन के शिद्दत से महसूस नइखे कइले ऊ ना समुझ पाई. बिहार में फिलहाल कवनो “हवा” भा “मंद बयार” नइखे बहत. ओहिजा तकरीबन एक तरह के आन्ही उठल बा जे लागत बा एह राज्य के राजनीतिक समाजशास्त्र के नया सिरे से लिख डाली. नीतीश के आंधी खालि लालूए ना बलुक राहुल गांधी के कांग्रेसो के किनारे कर दिहले बा. अगर पिछलका साल उत्तरप्रदेश हिंदी पट्टी में कांग्रेस के भाग्योदय के संकेत दिहले रहुवे त अब बिहार एह बाति के साफ कर सकेला कि पैराशूट पॉलिटिक्स के आपन सीमा बा. राहुल गांधी के अंगुरी पर गिने लायक रैली जमीनी सियासी संगठन के भरपाई ना कर सके. नीतीश कुमार राजनीति के नया “एसएसएस” रचले बाड़न, “सड़क, शिक्षा, सुरक्षा”. जगमगात हाईवे आ गाँव के पक्का सड़क अब बिहार के नया गौरव बाड़ी सँ.

नउवीं क्लास में पढ़े वाली लड़कियन ला साइकिल महिला सशक्तीकरण के प्रतीक बन गइल बा. बाकिर पिछला पाँच बरीस के नीतीश राज के सबसे बड़हन उपलब्धि बा कानून-व्यवस्था. बॉलीवुड बिहार के चोर आ अपहरण करेवालन के धरती बता के ओकर मखौल उड़ावत रहल बा, बाकिर नीतीश ओकरा के गलत साबित कर दिहले. राज्य में फइलल गिरोहन में से कईगो धरा गइल बाड़े आ बाकी लापता हो गइल बाड़े. अब कवनो गैंगस्टर के गिरफ्तार करे से पहिले पुलिस अफसर मुख्यमंत्री के घरे फोन ना करसु.

अबसे बारह-तेरह साल पहिले जानल मानल लेखक आ पत्रकार अरविंद एन दास लिखले रहले, “बिहार विल राइज फ्राम इट्स ऐशेज”. माने कि बिहार अपना राख में से उठ खड़ा होई.

एगो बिहारी का नजर से ओकरा के पढ़ीं त ऊ कवनो भविष्यवाणी ना एगो प्रार्थना रहे. पिछला लगभग एक साल में जेकरा बिहार जाये के मौका मिलल होखी ऊ यकीन का साथ कह सकेलें कि बिहार में सब कुछ बदल चुका बा आ बिहारो “शाइनिंग इंडिया” का चमक से दमकत बा. परेशानी अबहियो बाड़ी स, लोग के शिकायतो बा. बाकिर कुछ नयो बा. अर्थव्यवस्था तरक्की के संकेत दे रहल बा. हर दूसरका मनई कानून व्यवस्था के खरी- खोटी सुनावत भा अपहरण उद्योग के बात करत नइखे लउकत.

दुपहरिया में स्कूल के छुट्टी का बाद साइकिल से घरे लवटत लड़कियन से भविष्य के नया उम्मीद झलकत बा. डॉक्टर मरीज के देखे घर से बहरी निकले लागल बाड़े. उनुका अब ई डर नइखे कि निकलते केहू उनुका के उठा ले जाई. किसान खेती में पइसा लगावे से झिझकत नइखन काहे कि बेहतर सड़क आ बेहतर कानून व्यवस्था बड़का बाजारन तक उनकर चहुँप बना दिहले बा. कम शब्दन में कहीं त लागता कि बिहार में उम्मीद के इजाजत मिल गइल बा. एह चुनाव में नीतीश कुमार समेत सगरी राजनीतिक खिलाडिय़न खातिर बहुत कुछ दांव पर बा. लालू-राबड़ी दंपत्ति के त पूरा राजनीतिक भविष्ये एह चुनाव से तय हो सकता. बाकिर बिहारियन खातिर दांव पर बा उम्मीद. उम्मीद कि शायद अब बिहार के राजनीतिक व्याकरण उनकर जात ना विकास के मुद्दा तय करी. उम्मीद कि बिहारी होखे के मतलब भाड़ा के मजदूरे बनल ना रहि जाई, उम्मीद कि भारते ना दुनिया के कवनो कोना में बिहारी कहलाइल मान के बात होखी. आ नीतीश कुमार के माने बा एगो उम्मीद, ऊ उम्मीद जवना के इजाजत बिहारियन के एही पिछला पांच बरीस में मिलल बा.


पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी. अँजोरिया के नीति हमेशा से रहल बा कि दोसरा भाषा में लिखल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद समय समय पर पाठकन के परोसल जाव आ ओहि नीति का तहत इहो लेख दिहल जा रहल बा.अनुवाद के अशुद्धि खातिर अँजोरिये जिम्मेवार होखी.

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