BhojpuriSammelanBallia2014अतवार का दिने बलिया में ‘हिंदी के भेद से भाषिक अस्मिता को नुकसान’ विषय पर बोलावल गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि आइल विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय सचिव डॉ.अरुणेश नीरन कहलन कि हिंदी के श्रेष्ठ साहित्य लोके भाषन में रचाइल बा. कहलन कि भोजपुरी साहित्यो के हिंदीए के साहित्य माने के चाहीं. नीरन एह बाति पर दुख जतवलें कि ई भेद कुछेक हिंदीएवालन के उपजावल ह जवना चलते भोजपुरी में श्रेष्ठ साहित्य होखतो ओकरा उ महत्व ना मिलल जवन ओकरा मिले चाहत रहुवे.

विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बलिया इकाई आ भोजपुरी के सांस्कृतिक साहित्यिक पत्रिका ‘पाती’ के मिल के बोलावल एह गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि आइल डॉ.प्रेमशीला शुक्ल भोजपुरी के बढन्ती के हिंदी के बढन्ती से जोड़ते कहली कि भोजपुरी भाषी अपना भाषिक अस्मिता के परवाह ना करत हिंदी के घर भर दिहलें.

गोष्ठी के विषय प्रवर्तन तुषारकांत उपाध्याय कइले. संबोधित करे वालन में डॉ.विष्णुदेव, डॉ.रघुवंशमणि पाठक वगैरहो रहले. गोष्ठी का बाद भोजपुरी के दू गो चर्चित कवियन, दयाशंकर तिवारी (मऊ) अउर डॉ.कमलेश राय (गाजीपुर) के मुख्य अतिथि डॉ.अरुणेश नीरन आ पाती के संपादक डॉ.अशोक द्विवेदी का हाथे अंगवस्त्रम से अलंकृत कइल गइल.

कार्यक्रम संचालन शशि प्रेमदेव आ आभार जतावे के जिम्मेदारी डॉ.श्रीराम सिंह निबहलें.

एही मौका पर भोजपुरी कवि सम्मेलनो भइल जवना में कवि लोग आपन आपन उत्कृष्ट रचना परोस के वाहवाही लूटलें. एह कवियन में भगवती प्रसाद द्विवेदी, दयाशंकर तिवारी, डॉ.कमलेश राय, आनंद संधिदूत, मिथिलेश गहमरी, गिरिधर करुण, शत्रुघ्न वगैरह शामिल रहले.

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By Editor

One thought on “हिंदी खातिर भोजपुरी के बिसार दिहलें भोजपुरिया साहित्यकार”

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