अयोध्या पर फैसला आ गइल, बहुते इन्तजार का बाद

– पाण्डेय हरिराम

ई का फैसला आइल. एहमें जतना कानूनी पेंच रहुवे ओकरा से कहीं बेसी सियासी आ भावनात्मक मसला रहुवे. फैसला के बड़ा समुझदारी वाला आ सभका पसन्द के कहल जा सकेला. एकरा बावजूद अगर केहू का मन में कवनो दुर्भावना आवत बा त ई हमनी के भारतीय संस्कृति आ मिश्रित समाज व्यवस्था का उल्टा होखी. फैसला भारतीय लोकतंत्र का पूरा अनुरुप बावे.

वो कहते हैं तुम्हारा है
जरा तुम एक नजर डालो.
वो कहते हैं, बढ़ो माँगो
जरुरी है न तुम टालो.
मगर अपनी जरुरत है बिल्कुल अलग इससे
ठहरो हमे साँचों में मत ढालो.

एह फैसला के ले के पूरा देश डरल सहमल रहुवे. अब जवन फैसला आइल बा तवना के राजनेता साँप सीढ़ी के खेल मत बनावसु. हमनी के ई देखे के बा कि हमरा देश का लोकतांत्रिक व्यवस्था में अदालत के सम्मान बा. हमनी के देश में पंथ निरपेक्षता आ लोकतंत्र के बात खाली संविधाने के अंतर्गत ना होला, बलुक हमनी का एकरा के अपना रोजमर्रा का जिनिगीओ में चरितार्थ करीले. दुनिया के देखा देबे के बा कि हमनी का सबले पहिले अपना देश के नागरिक हईं जा. हिन्दू भा मुसलमान होखला का शर्त से पहिले भारतवासी हईं जा. एहिजा इहो चर्चा बेहद जरुरी बा कि एगो आम भारतीय का जिनिगी में रामजन्मभूमि भा बाबरी मस्जिद के ओतना महत्व नइखे जतना कि दोसरा चीजन के.

हमरा फुरसत कहाँ बा रोटी का गोलाई का चक्कर से
ना जाने केकर मन्दिर ह, ना जाने केकर मस्जिद ह.
ना जाने के अझुरावेला सीधा सच्चा धागन के.

पिछला चार सौ साल में देश में जवनो सार्थक आ रचनात्मक कोशिश भइल वा ऊ सब मेल मिलाप आ सद्भावना के नजीर बा. पता ना आपन टीआरपी बढ़ावे का चक्कर में लागल इलेक्ट्रानिक मीडिया के नजर अतना कमजोर काहे बा कि ओकरा ई ना लउके कि बस अयोध्ये फैजाबाद के जुड़वा शहर में ना, बलुक पूरा हिन्दुस्तानी समाज का आपसी सद्बावना में पर्याप्त नमक आ मिठास बा. वइसे अपना के तरक्की पसन्द कहे वाला आ पश्चिमी चश्मा पहिरले लोगन के ई सद्भावना रास ना आवे. ओह लोग के कबहियो कवनो कीमत पर गोस्वामी तुलसीदास आ मीर अनीस के समन्वित स्पंदन महसूस ना हो सके.

अगर हिन्दू आँधी हवें आ मुसलमान तूफान हवें
त आवऽ दुनु यार मिल के कुछ नया कर लिहल जाव.
आवऽ नजर डालल जाव कई अहम सवालन पर
कई कोना अन्हार बा रोशनी करावल जाव.


पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी. अँजोरिया के नीति हमेशा से रहल बा कि दोसरा भाषा में लिखल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद समय समय पर पाठकन के परोसल जाव आ ओहि नीति का तहत इहो लेख दिहल जा रहल बा.अनुवाद के अशुद्धि खातिर अँजोरिये जिम्मेवार होखी.

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