कबो मायावती कबो अखिलेश, कबहूँ ना सुधरी उत्तरप्रदेश

by | Mar 9, 2012 | 1 comment

मायावती के गइला आ मुलायम के अइला के माने “नाम मुलायम बा, गुंडई कायम बा”

– दयानन्द पाण्डेय

जइसन अबही सड़कि पर सपा बनाम बसपा के उत्पात चलत बा, चिन्ता लागत बा कि ई उत्पात धीरे धीरे सरकारी आफिसन ले पसर जाई? काहे कि पिछला सरकार में जवना तरह दलित अफसर आग मूतले ओहसे सचिवालय आ शक्ति भवन जइसन जगहन पर दलित आ सवर्ण अफसरान एक दोसरा का आमने सामने अइसन रहले जइसे सेना रहत होखे दू गो देश के.

साचहू आवे वाला दिन यूपी खातिर बहुते भयावह बा काहे कि मुलायम एंड कंपनी के ई हल्ला बोल फ़िलहाल बहुत आसानी से रुके वाला नइखे.

मायावती अउर मुलायम दरअसल एके सिक्का के दू गो पहलू हउवे, ठीक वइसही जइसे तमिलनाडू में जयललिता आ करुणानिधि. मान लिहल जाव कि यूपी के तमिलनाडुकरण हो गइल बा. बाकिर बाति एहिजा माया आ मुलायम के होखत बा. दुनु में बहुते फरक नइखे, दुनु मायावी हउवे. जातीय राजनीति में आकंठ धंसल, भ्रष्टाचार में मूड़ी से एड़ी ले सनाइल आ तानाशाही के मुकुट पहिरले अहंकार का समुद्र में लेटल दुनु एक दोसरा के पूरक हउवे. यूपी के जनता बढ़िया से जानेले कि एगो नागनाथ त दोसरका साँपनाथ. बाकिर चूंकि ओकरा लगे कवनो विकल्प नइखे से ऊ करे त का ? रहल बात भाजपा आ कांग्रेस के त उहो दुनु कुछ दोसर खासियत का साथे सही नागेनाथ आ साँपनाथ का भूमिका में मौजूद बाड़े भारत का राजनीति में. से हरान परेशान जनता करे त का? काहे कि इहो साँच बा कि एहमें से कवनो दल में लोकतंत्र भा लोकतांत्रिक मूल्यन में इचकी भर भरोसा नइखे. सगरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनल बाड़ी सँ. कारपोरेट कल्चर में लथर-पथर. सभही जनता के नाम पर जनते पर राज करे का फ़िराक में रहेले. सेवा-सुशासन वगैरह त एहन खातिर पुरातात्विक महत्व के बात हो चलल बा. बाकिर ई मसला अंतहीन बहस के बा से एकरो के थोड़िका देर ला मुल्तवी राखल जाव आ मायावती के विदा गीत भा विदा बयान पर गौर कइल जाव त बेहतर. मायावती साफ कहले बाड़ी कि भाजपा का डर से ७० फीसदी मुसलमान सपा में शिफ़्ट हो गइले. चलीं मान लिहनी कि मोहतरमा रउरा ठीके कहत बानी. बाकिर मुसलमान मतदाता के अइसन करे के कहल के? पहिला बीन के बजावल? याद बा रउरा?

बहुत पुरान मानना ह कि दिया बुताए से पहिले एक बेर जोर से भभकेला. से अपना राज के आखिरी दिनन में मायावती राज भभके लागल रहे. मनुवादी मीडिया से एकर शुरूआत भइल. करोड़ो रुपिया रोज के विज्ञापन माया सरकार के यशोगान में लस्त-पस्त चैनलन पर. ई उहे मायावती रही जे कबो कहत अघात ना रहली कि मीडिया मनुवादी बावे आ पूरा बेशर्मी से कहत रही कि उनुकर वोटर ना त अखबार पढ़ेला ना चैनल देखेला. बीतल ज़माना में इहे डायलाग मुलायम सिंह यादवो बहुते नाज़-अदा-अंदाज़ से मतलब कि फ़ुल लंठई आ अहम में डूबल देहल करसु. अलग बाति बा कि बाद का दिन में ऊमीडिया के कुकुर बना के आपन तलुवा चाटे में लगा लिहलन आ आखिर में कुर्सी से बेदखल हो गइलन. बावजूद एहके उनुकर ई शौक गइल बा मीडिया से तलुवा चटवावे के. आ चालू रहल.

मायावतीओ अपना कुछ हेकडीबाज़ी का साथ मीडिया से तलुवा चटवावे के शौकीन हो गइली आ प्रेस कांफ़्रेंस में लिखल बयान पढला भर से मन ना भरल त रोज प्राइम टाइम पर आपन यशोगान गवावे लगली चैनलन पर. करोडो रुपिया रोज खरच कर के. बाद में आर टी आई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर सूचना मँगलन त पता चलल कि सिर्फ़ एक साल में साढे अठारह करोड रुपिया के विज्ञापन दिहल गइल. अगिला डेग में ऊ बाभन, छत्री, बनिया, दलित, मुसलमान वगैरह रैली करवावे लगली. एहू से पेट ना भरल त प्रदेश के बंटवारा के बीन बजा के कांग्रेस के घेरे लगली. कहे लगली कि कांग्रेसी युवराज दलितन का घरे ठहरेला ज़रुर बाकिर खाना बाहर से मँगवा के खाला. वगैरह वगैरह. एहू से मन ना अघाइल त गरीब सवर्ण खास करके ब्राह्मणनो के आरक्षण देबे खातिर चिट्ठी लिख भेजली. एह चिट्ठियन पर कांग्रेस मुसुकात रहल चैनलन पर. मायावती त पहिलहू कांग्रेसी राजकुमार के भट्ठा परसौल में नकली हीरो बनवा के सपा आ भाजपा के मुँह रिगावत रहली. अइसन स्वांग भरत रहली कि लागो कि उनुकर लड़ाई सपा भा भाजपा से ना सिरिफ आ सिरिफ कांग्रेसे से बा. आ हई लीं, कांग्रेसो दिन में सपना देखल शुरू कर दिहलसि. यूपी में जहवाँ ओकरा गोड़ो भर जमीन ना रहल ओहिजा ऊ बहुमत के सरकार बनावे के कागजी जहाज उडावे लागल. खैर. माया रहली कि भभकत जात रहली. अब ऊ एगो आखिरी ब्रह्मास्त्र छोडली, मुस्लिम आरक्षण के. राष्ट्रीय राजनीति के दम भरे वाली कांग्रेसो एह लपेटा में आ गइल. आ अगर मगर करत ना करत चुनावी अधिसूचना का बावजूद मुसलमानन खातिर साढे चार परसेंट आरक्षण के मालपुआ खा बइठल. कांग्रेस ई ना सोचलसि कि ऊ मालपुआ ना जमालगोटा खात बइठल बिया. राहुल जवना दावा आदर्श वगैरह के अफीमी खेती कइले रहलन यूपी में एह एगो मुस्लिम आरक्षण के जमालगोटा से उनुकर चुनावी चूनर के गोटा उतार दी. अउर त अउर मायावती खातिर ई जमालगोटा डबल डोज बन गइल. भाजपा के सांप्रदायिक अफ़ीम के खेती पहिही सूख चुकल रहुवे, बाबू सिंह कुशवाहा ओकरा के अउरी सुखा दिहलन. अतना कि देखीं कि अटल बिहारी वाजपेयी के गढ लखनऊ तकमें भाजपा पूरा से ना सही बुरा से साफ हो गइल. भाजपा अयोध्या ले ना बचा पवलसि. राम के त खैर ऊ नाहिये बचा पवलसि आ भाजपा के डर मुलायम के ताजपोशी करवा दिहलसि. अइसन बहुमत मिलल जतना मुलायम अउर उनुकर लोग सपनो में ना सोचले रहल.

अपना देश में राजा के बाजा बजावे के पुरान परंपरा हवे.अब मुलायम के, अखिलेश के गुनगान शुरु बा. त का मुलायम पर भ्रष्टाचार के आरोप उनुका राज में ना लागल रहुवे ? लखनऊ में इहे लोहिया पथ एक किलोमीटर तब पांच करोड में बनल रहे. का लोग भुला गइल बा? लोग भुला गइल बा कि लोहिया पार्क में लगावल एकहएक पौधा तब दू दू हजार में खरीदाइल रहुवे ? कि लोग भुला गइल बा कि ब्राह्मणन के खुश करे खातिर परशुराम जयंती पर सार्वजनिक छुट्टी के घोषाण जात-जात तब मुलायमे सिंह कइले रहले ? का लोग भुला गइल बा कि एही लखनऊ में एगो सी ओ रैंक के पुलिस अफ़सर के अपना जीप के बोनट पर बान्ह के दू घंटा ले सड़कि पर घुमावल रहे. आ ओहन के हिम्मत देखी कि जीप पर सी ओ के बन्हले ऊ सीधे एस एस पी का घर में घुस गइल रहले. का त ऊ लोहिया परिवार के हउवन. ऊ त तब जनेश्वर मिश्र जिन्दा रहलन कि खुल के सामने अइलन. कहलन कि ऊ लोहिया के परिवार के ना हउवन. मुलायम राज में तब अपहरण एगो उद्योग बन चलल रहुवे, लोग का भुला गइल बा ? आज़मगढ में कइसे रमाकांत यादव लोग के बस से खींच के गोली मार दिहले रहले, इहो लोग के इयादे होखी. अखंड प्रताप सिंह अउर नीरा यादव जइसन महाभठियारा अफसरन के मुख्य सचिव के कुर्सी बारी बारी थमावे वाला मुलायमे रहलन. मुलायम त तरकीब लगा के अपना खिलाफ़ आमदनी से बेसी संपति के मुकदमा के सुनवाई सुप्रीमो कोर्ट में ना होखे देत रहलन, मायावतीओ इहे करत बाड़ी. बलुक मुलायम के मामिला के सुनवाई करे वाला एगो जज त रिटायरो हो गइलन. से अबले के सगरी सुनवाई गइल तेलहंडा में अब सगरी प्रक्रिया फेर से शुरू होई! मतलब साफ बा कि अबले कुछ ना भइल त अब आगहू खैर का होई? बाकिर ई दुनु अफसर जिनका के मुलायम मुख्य सचिव बनवले, जेलो घूम आइल लोग.

अबकीओ बेर मुख्यमंत्री चाहे मुलायम बनसु, चाहे अखिलेश. अतना त अबहिये से तय बा कि मुख्यमंत्री सचिवालय में अनीते सिंह बइठीहें. का पता मुलायम तमाम वरिष्ठ अफ़सरान के किनारे लगावत उनुका के मुख्य सचिवे मत बनवा देसु. शैलेश कृष्ण त बइठबे करीहे. एगो पूरा सूची बा अइसन अफसरा के. बाकिर अब का होखी फतह बहादुर सिंह अउर बृजलाल जइसन अफ़सरन के? का इहो लगो निलंबित होखी ? जइसे मायावती मुलायम के खास अफ़सरन के कइले रहली ? मुलायम सिंह से अबही ई सब पूछल जल्दबाज़ी होखी. वइसहू अबही ऊ एक साथ दू गो सपना देखत बाड़े. आज़म खां भा शिवपाल सिंह जइसन बैरियर हटाके अखिलेश के मुख्यमंत्री बनवावे के. आ दुसरका, तीसरा मोर्चा भा चउथका मोर्चा बना के खुद प्रधानमंत्री बने के. याद करीं, अबही बीतल लोकसभा चुनाव में मायावतीओ प्रधानमंत्री बने क सपना बुनले रहली आ वाम मोर्चे त उनुका के प्रधानमंत्रीओ बता दिहले रहुवे. अब मुलायम के बारी बा. एक बेर त लालू उनुकर गोड़ घसीट लिहले रहले, आ गुजराल प्रधानमंत्री बन गइल रहसु. अब का होखत बा देखल बाकी बा. अबही त हमनी का एन आर एच एम जइसन तमाम-तमाम भठियरपन के असीम आरोपन आ पत्थर के किला से घेराइल मायावती के ओह विदा बयान के गुनत बानी जा जवना के एगो अंतरा में ऊ कहले बाड़ी कि प्रदेश के जनता जल्दिये उनुका सुशासन के इयाद करी. फ़िलहाल त अबही नयकी सरकार किरियो नइखे खइले बाकिर सनेसा हर जगह चहुँप गइल बा. आ जगह जगह से मिलत खबरन का चलते बदस्तूर एगो नया नारा आ गइल बा कि नाम मुलायम बा, गुंडई कायम बा ! सोचीं कि जब मुलायम पहिला बेर मुख्यमंत्री बनल रहले त जवना कठोरता से अंग्रेजी हटा के हिंदी लागू कइले रहले तब कहल गइल रहे कि नाम मुलायम, काम कठोर ! ओह घरी मुलायम पर लोहिया के छापो थोड बहुत रहुवे. बाद में ऊ आज़म खां के फेरा में आ गइलन आ फेरु जल्दिये अमर सिंह का जहाज पर सवार हो गइलन. आ सगरी समाजवादी साथियन के पैराशूट थमावत पार्टी के जहाज से उतारत गइले. फ़िलिमी लोग अउर कारपोरेट भा उद्योगपतियन के पहिला पाँत में राखे लगलन. एक से एक बेनी, एक से एक मधुकर दीघे किनारे लागत गइलनॆ आ देखीं कि जाने का भइल कि अमरो सिंह एह जहाज से उतार दिहल गइलन. मोहनो सिंह किनारे कर दिहल गइलन. अब पूरा परिवार आ चहेता लोगे बाचल बा. खैर ई सब बहुत विस्तार के बात बाड़ी सं. अबही त जाने कवना अधिकार से अखिलेश लगातार ज़िलाधिकारियन के निर्देश देबे लागल बाड़े. मुलायम लगातार कार्यकर्तन के अनुशासन में रहे के बात करत बाड़न आ देखीं कि अब मुलायम डी जी पी के बोलवा के कड़ा निर्देश दे दिहलन. कवना अधिकार से भाई? लेकिन गुंडई बावे कि तबहियो कपारे चढ़ि के मूतत बिया. जाने अबही उत्तर प्रदेश के कतना आ कइसन दंश देखे आ झेले के बा. साँच त ई बा कि यूपी आ देश में कवनो अखबार भा कवनो चैनल में ना त मायावती का खिलाफ़ ना मुलायम का खिलाफ़ कुछ कहे भा लिखे के बेंवत रहि गइल बा. जेही केहू मायावती भा मुलायम भा उनुका अधिकारियन भा परिजन का खिलाफ़ लिखी भा बोली, ऊ हर हाल में मारल जाई. हल्ला बोल के दौर फेरू लवटिये आइल बा. एक बेर मुख्यमंत्री रहत ऊ अखबारन से नाराज हो के बेचारा हॉकरे सब पर हल्ला बोल दिहले रहले. लोग भुला गइल बा का ?


(सरोकारनामा से साभार)


लेखक परिचय : अपना कहानी आ उपन्यासन का मार्फत लगातार चरचा में रहे वाला दयानंद पांडेय के जन्म ३० जनवरी १९५८ के गोरखपुर जिला के बेदौली गाँव में भइल रहे. हिन्दी में एम॰ए॰ कइला से पहिलही ऊ पत्रकारिता में आ गइले. ३३ साल हो गइल बा उनका पत्रकारिता करत, उनकर उपन्यास आ कहानियन के करीब पंद्रह गो किताब प्रकाशित हो चुकल बा. एह उपन्यास “लोक कवि अब गाते नहीं” खातिर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान उनका के प्रेमचंद सम्मान से सम्मानित कइले बा आ “एक जीनियस की विवादास्पद मौत” खातिर यशपाल सम्मान से.

वे जो हारे हुये, हारमोनियम के हजार टुकड़े, लोक कवि अब गाते नहीं, अपने-अपने युद्ध, दरकते दरवाजे, जाने-अनजाने पुल (उपन्यास, बर्फ में फंसी मछली, सुमि का स्पेस, एगो जीनियस की विवादास्पद मौत, सुंदर लड़कियों वाला शहर, बड़की दी का यक्ष प्रश्न, संवाद (कहानी संग्रह, सूरज का शिकारी (बच्चों की कहानियां, प्रेमचंद व्यक्तित्व और रचना दृष्टि (संपादित, आ सुनील गावस्कर के मशहूर किताब “माई आइडल्स” के हिन्दी अनुवाद “मेरे प्रिय खिलाड़ी” नाम से प्रकाशित. बांसगांव की मुनमुन (उपन्यास) आ हमन इश्क मस्ताना बहुतेरे (संस्मरण) जल्दिये प्रकाशित होखे वाला बा. बाकिर अबही ले भोजपुरी में कवनो किताब प्रकाशित नइखे. बाकिर उनका लेखन में भोजपुरी जनमानस हमेशा मौजूद रहल बा जवना के बानगी बा ई उपन्यास “लोक कवि अब गाते नहीं”.

दयानंद पांडेय जी के संपर्क सूत्र
5/7, डाली बाग, आफिसर्स कॉलोनी, लखनऊ.
मोबाइल नं॰ 09335233424, 09415130127
e-mail : dayanand.pandey@yahoo.com

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1 Comment

  1. Madhuresh

    भोजपुरी में अइसन प्रयास देखके मन बहुते खुस भईल.
    हमारा तरफ से अनेक शुभकामना!
    मधुरेश

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