भोजपुरी के तहस नहस

by | Oct 15, 2010 | 0 comments

– आर्य संपूर्णानन्द

भोजपुरी के भोजवाली पूरी समुझल केतना नादानी के काम बा, ई खाली पढ़े आ सुने वाली बाति नइखे. बहुते विचार मंथन के बाति बा. आज के माहौल के बाति अगर करीं त ठीक उहे नादानी हमरा भोजपुरिया भाई लोग आज करत बाड़े जा. ए बाति के समझे खातिर रउवा हमरा साथे आज के गीत सुनीं. साचों रउआ ई जरूर महसूस होई कि हमरे समाज पर ए गीतन के बहुत सीधा असर पड़ता. शायदे एकाध गाना नीक नीक आ जाय नाहीं त लगभग सब उहे सुने के मिली. लगभग समझीं कि, गइल जमाना स्वस्थ भोजपुरी के.

ध्यान दीहीं कि एगो गाना आइल रहे, “एगो चुम्मा ले ल राजा जी, बनि जाई जतरा”. अब रउँए बतायीं कि ए शुभ अवसर पर पँवलगी गइल आशीष गइल. का एगो चुम्मे बाचि गइल रहे ? चलीं एकर त बहुते विरोध भइल. तनि ओहू ले पहिले जो ध्यान दीहीं त एगो गाना आइल रहे, “नथुनिये पर गोली मारे सईंया हमार”. एहू जो विरोध भइल. अरे का कहीं एहू ले हद तब हो गइल, जब “ले के भौजी के देवरे फरार हो गइल”. तनी देखिला. अब बताईं ए भईया, हमरे राम जइसन भउजी, हमरी सीता. का एह में कउनो कमी रहल? कि “साँचि कहे तोरे आवन से, हमरे अँगना में आइल बहार भउजी”, ई शब्द गलत रहे? अब बताईं, सीता के सम्बोधन, “लक्ष्मी सी सूरत, अउरी ममता की मूरत” वाली भउजी के आज के भोजपुरिया लोग कतना इज्जत के निगाह से देखेला, ई त गनवे में बता दीहल गइल बा. आज भौजी अउर देवर के पवित्र सम्बन्धो पर पश्नचिह्न खड़ा करे के प्रयास हमार भाई लोग कर रहल बाड़े जा. खैर रउँओ त एही देश के जामल बानी, फेर रउँओ के जानकारी होखी, बाकिर तबहियो हम ई बता देहल चाहब कि एही भारतवंश के बच्चा लोग कबो शेर के दाँत गिनत रहले, आज उहे हाथ चोलिया में हुक लगावत बाड़े !

ढेर दिन के बाति नइखे. तनिका पिछलका ओर ध्यान दीहीं त तमाम गाना अइसन मिली जवन कि हमरा देश अउरी गाँव के साथे जुड़ल रहे जइसे कि “गंगा किनारे मोरा गाँव हो”, “घरे पहुँचा द देवी मईया”, कतना सुन्दर ओह गाँव के चप्पा चप्पा के सुन्दर चित्रण गइल गइल रहे ओह गाना में. चाहे वंशी काका के बाति लीहीं भा गंगू चाचा के, इहाँ तक कि अँगना में नीमिया के छाँव तक के बाति कइल गइल. आजो रोंआ फूट पड़ेला वइसन गाना सुनि के.

रउआँ प्रेम प्यार के बाति कइल चाहेब? चलीं, ओहू में समय रउँआ साथे बा. “लाले लाले होंठवा से चूवेला ललईया हो कि रस चूवेला”. कतना रस चूवत बा एह गाना में, रउवें बता सकीले. “काहे बँसुरिया बजवले, पिरितिया लगवले, गइल सुख चैन हमार”. अब देख लीहीं ए गाना में कतना नीक तरीका से कान में बँसुरिया के पिरीत घोरे के प्रयास होता. लागता कि या त हमनिये के बुद्धि भ्रष्ट हो गइल बा या समय बदलि गइल बा. लेकिन समय के साथे साथे हमरा के ईहो सोचे के पड़ी कि आज देश कवना ओर जा ता. चूँकि एही देश के नमक हमनियो खात बानी जा, एह से हम सबहीं के ई फरज बनेला कि सबका साथे देशो के बारे में सोचे के कूबत रखे के चाहीं. मुख्य बाति बा कि आज चाईना संस्कृति के प्रचार हमरे गाँव गाँव अउर शहर शहर में हो ता. जहवें देखी उहें चाईना मोबाइल से भद्दा भद्दा गाना तेज अवाज में सुने के मिलऽता. इहाँ त ई लागता कि हमरा नवहियन के सीधे सीधे पथभ्रष्ट कइले के कुप्रयास हो ता. सीमा पर जहाँ चाईनीज सेना के गतिविधि बढल जाता, उहें हमरा देश के अन्दरवो कदम कदम पर आतंकवाद बढ़ल जा ता. का ई समय जींस ढीला करे के बा ? आ कि सेंट मारि के चिट्ठी देवे के बा ? शमियनवे में गोली चलावे के बा आ कि लहंगा में बम फोड़े के बा.

सोंची कि एगो उहो भोजपुरिया रहले जिनका बारे में हार मान के ई लिखल गइल कि “एक्जामिनी इज बेटर दैन एक्जामिनर” (ड़ा0 राजेन्द्र प्रसाद), जय जवान जय किसान (लाल बहादुर शास्त्री) के नारा देवे वालो भोजपुरिये रहल. अरे का कहीं, एतने ना एही बल पर त भोजपुरिया लोग अतना ताल ठोंकले जा कि बलिया के पूरे भारत में पहिलहीं स्वतन्त्र करा दिहले जा. एही भोजपुरियने के ऊ कमाल रहे. अरे हमनी के त ई चाहीं कि शक्तिशाली भोजपुरी के शब्द कमान पर चढ़ि के अइसन तीर मारीं कि दुश्मन के आँखी का आगे पियरी छा जाय. अउरी ऊ हमरा ओर भुलाइयो के ताके के हिम्मत ना जुटा पावँ स. बस इहे कहल चाहेब कि आज जरूरत बा, “जगत रह भईया तूँ सोई मत जईहा” के.

जय हो भोजपुरिया अउर जय हो हमार भोजपुरी.

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