Ashok-Vinod-Jay-Braj-Kanhaiya
काल्हु सोमार का दिने बलिया के श्रीराम बिहार कालोनी में “पाती” कार्यालय पर भोजपुरी आ भोजपुरी साहित्य का हाल पर बिचार बतकही करे खातिर मुजफ्फरपुर (बिहार) से डा॰ब्रजभूषण मिश्र आ डा॰ जयकान्त सिंह पहुँचल लोग. इहाँ, विश्व भोजपुरी सम्मेलन, बलिया इकाइयो से जुड़ल कवि साहित्यकारन के जमावड़ा हो गइल जवना में श्री विजय मिश्र, कन्हैया पाण्डेय, हीरालाल हीरा, नवचंद्र तिवारी, शिवजी पाण्डेय रसराज, विनोद द्विवेदी, आदि का उपस्थिति से ई वैचारिक गोष्ठी अउर सार्थक हो उठल.

भोजपुरी के भाषा-सम्मान, स्वीकार आ मान्यता का नाँव पर बहुत ढेर दिनन से, बहुत लोग, कई एक संस्था, दल आ जमात आन्दोलन चलावत आ रहल बा. इतिहास इहे बा कि चाहे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन होखे भा विश्व भोजपुरी सम्मेलन; चाहे क्षेत्रीय आधार प बनावल भोजपुरी संगठन, ऊ या त बँट गइल या थाक के बइठि गइल या कुछ लोगन निजी वर्चस्व आ एकाधिकारी व्यवहार से अलस्त पड़ गइल. भोजपुरी में बहुत कामो भइल, साहित्यिक विकासो तेज भइल बाकि भोजपुरी स्वाभिमान खाली एगो थोथा नारा बनि के रहि गइल. बतकही में, कतने निष्ठावान लोग भइल, जे लागि भीरि के एह भाषा साहित्य का सँग सँग भोजपुरी कला, संगीत आदिके गहिराई, ऊँचाई आ विस्तार दिहलस. अपना कइला के बखान ना बाकि गुनावन जरूर होखे के चाहीं.

आज के स्थिति अउर निराश के वाली बा. मौका परस्तन आ आत्मप्रदर्शन का अति का चलते ना त भोजपुरी के उत्कृष्टता के मूल्यांकन होता, ना त सम्मान. आपन आपन डफली बजावे आ भोजपुरी के स्वयम्भू मसीहा बने के होड़ का कारन ना त आजु ले भोजपुरी के राज्य स्तर पर अपना भाषा में प्राथमिक शिक्षा के अधिकार मिलल ना पूरा संरक्षन; हँ एकर राजनीतिक उपयोग जरूर भइल. भोजपुरी के सरकार भाषा तक ना माने आ सबले पहिले एकरा के गैर अनुसूचित भाषा के मान्यता दिआवल जरूरी बा आ ओकरा बादे अठवीं अनुसूची में डाले के बात उठावल सही रही.

BrajBhushanMishra
वैचारिक बतकही का बाद भोजपुरी साहित्य पर कुछ महत्वपूर्ण अकादमिक काम के योजना बनावल गइल आ फेर डा॰ अशोक द्विवेदी का आवास पर एगो कवि गोष्ठी आयोजित भइल, जवना में ब्रजभूषण मिश्र के हालही में प्रकाशित कविता संकलन “खरकत जमीन / बजरत आसमान” के कुछ कविता पाठ मिश्रजी का मुँहें सुनल गइल.

एह कवि गोष्ठी में हीरालाल’हीरा’, शिवजी पान्डेय रसराज, कन्हैया पाण्डेय, जयकान्त सिंह’जय’, अशोक द्विवेदी, विजय मिश्र, अशोक तिवारी, नवचंद्र तिवारी आदि लोग आपन कविता सुनावल.

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कुछ त कहीं......

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