भोजपुरी संस्कार आ संस्कृति के चिंता

by | Feb 1, 2014 | 2 comments

RKAnuragi

– राज कुमार प्रसाद (आर. के. अनुरागी)

भोजपुरी भाषा, संस्कृति, संस्कार आ भोजपुरिया लोग के दुनिया भर में आपन एगो अलग पहचान बा. एगो पुरान कहावत बा कि ‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.’ एह में ‘कुछ बात है’ के अपना भाषा आ संस्कृति से जोड़ के देखल जा सकेला.

दुनिया में जहां-जहां अंग्रेजन के राज भइल ओजा-ओजा अंग्रेज आपन संस्कृति थोपे में कामयाब हो गइले बाकिर भारत एकमात्र अइसन देश रहे जहां के संस्कृति से प्रभवित होके उ गइलें. खासकर पूर्वांचल के पहचान जवना संस्कार आ रीत-रेवाज से बा उ रउरा आउर कतहीं नां मिली. जहवां आजुओ सास-पतोह, ससुर-दामाद, ननद- भउजाई, देवर-भाभी आ भवे-भसुर के बीच जवन संस्कारी परदा बा उ दुनियां में आउर कतहीं नां मिली. बाहरा से कमाके आवेला बेटा के अपना माई-बाबूजी आ बड़-बुजुर्गन के गोड़ पर रोपिया ध के गोड़ लागे के परंपरा भला आउर कहां मिली जी?

भोजपुरी भाषा पूर्वी उ़त्तर प्रदेश आ बिहार से चलके आज दुनिया के कोना-कोना में आपन अलग पहचान बनवले बा, एमे कवनों दू राय नइखे बाकिर आज भोजपुरी सिनेमा में बढ़त अश्लीलता के देख के अइसन बुझाता कि कहीं हमनी के तरक्की के संगे-संगे आपन असली पहचान त नइखीं सन भुलाइल जात. आज भोजपुरी भाषा में बढ़ल अश्लीलता से अइसन लागत बा कि हमनी अपना संस्कृति आ संस्कार के बरबाद करे में अहम भूमिका निभावत बानी सन.

भोजपुरी सिनेमा आ गीतन में बढ़ल अश्लीलता समाज खातिर एगो चिंता के विषय बा. पिछला दस बरिस में भोजपुरी के बहुत विकास त भइल बाकिर ओतने तेजी से एमे अश्लीलतो बढ़ल. अब एगो सवाल बेर-बेर मन में उठत बा कि आखिर एह अश्लीलता के बढ़ावे में केकर दोष मानल जाव? जवाब खातिर एगो उदाहरण देखीं – आज गांव में शादी-बियाह में ऑर्केस्ट्रा आम बात बा, इहाँ तक त ठीक बा, बाकिर बारात के परिछावन के बेरा दुआर प खुलेआम एह फूहड़ गीतन प अश्लील डांस हो रहल बा. गांव के बड़ छोट, लईका-सेयान सभे खूब झुमत बा, इहां तक कि घर के मेहरारूओ ओह भीड़ के हिस्सा होखे में तनिको शर्मिंदगी महसूस नइखी करत त ओह लईका सन प का असर पड़ी जवन काल्ह के भविष्य बाड़ें.

समियाना के चोंप…., लहंगा में मीटर…., आ जगहे प जाता…. जइसन द्विअर्थी आ फूहड़ गीतन के घर के आ समाज के उ लोग पसंद करत बा जेकरा पर समाज आ घर के लोग के राह देखावे के जिम्मेदारी बा त बाकी लईका-बच्चा काहे ना देखिहें आ सुनिहे सन? एगो रटल-रटावाल जवाब रोज सुने के मिलेला कि जब गन्दा आ अश्लील गीत आ फिलिम बनऽता त लोग देखी ना? ओजा नू रोक लगावे के चाहीं. बाकिर अइसन बात नइखे. जहां अश्लील आ द्विअर्थी गाना आ फिलिम बनत बा ओहिजा निमनो बनत बा. त इ हमनी के चुने के बा कि हमनी का आ कहंवा पसंद करत बानी.

आज अश्लीलता से आपन पहचान बनावे वाली एगो गायिका से जब हम पूछनी अश्लील गावे के कारन त उनकर जवाब रहे कि हमार अगर दूगो एल्बम अश्लील बा त बीस गो निमनो बा बाकिर जब केहू अश्लिले पसन करी त ओमे हमनी के का दोस बा? पहिले हमनी के जागरूक होखे के पड़ी, हमनी के इ समझे के पड़ी की अपना लईकन के का शिक्षा दे रहल बानी सं, बाहर छोड़ीं पहिले आपना घर से विरोध के शुरुवात करीं, तब गाँव आ समाज सभे जागरूक होई. हमनी के इ ठाने के पड़ी कि अश्लील फिलिम आ गाना नइखे सुने के आ देखे के आ नाहीं अपना गांव में अइसन गीत आ सिनेमा सुने-देखे देम सन.

बाजार में एही कलाकारन के बढ़ियो गीत बा ओकरा के सुनीं आ सुनाई. अश्लीलते से पहचान बनावे वाला ओह कलाकार लोग से निहोरा बा कि आपन पहचान बदले के कोशिश करे लोग, साफ-सुथरा गाना गावेवाला लोग के आपन एगो अलग शान बा आ एकर मिसाल भरत शर्मा आ शारदा सिन्हा जइसन कलाकार बाड़ें. आज अपना भाषा आ संस्कृति के सम्हारे के जिम्मा हमनिए के बा अइसन सोंच सभका अपना अन्दर ले आवे के पड़ी.

भोजपुरी से अश्लीलता हटावे खातिर, एगो पहल गांव के ओह जिम्मेदार लोगो के बा जे गांव के विकास आ समाज के विकास के बारे में सोंचत बा. ओह लोग के अइसन कदम उठावे के पड़ी कि अश्लील गीत-संगीत के गाँव से दूर सिनेमा घर तकले आ ऑर्केस्ट्रा तकलही सीमित राखल जाव. कुछ हद तक प्रशासनो के आगे आवे के जरूरत बा आ अश्लीलता फइलावे वाला संगीत प सख्ती से रोक लगावे खातिर कवनो प्रावधान तैयार करेके जरूरत बा. भोजपुरी के प्रचार-प्रसार में जुड़ल इलेक्ट्रानिक आ प्रिट मिडियो के आगे आवे के पड़ी. तब जाके एपर अंकुश लगावल जा सकेला लेकिन अंत में इहे कहब कि सबसे पाहिले एकर शुरुवात अपना से करे के पड़ी काहे कि पहिले हमनी के जागरूक होखे के पड़ी, हमनी के इ समझे के पड़ी कि अपना लईकन के का शिक्षा दे रहल बानी सन, बाहर छोड़ीं पहिले आपना घर से विरोध के शुरुवात करीं,

भोजपुरी के पहचान जवना संस्कार आ संस्कृति से बा ओकरा के सम्हार के राखे के जिम्मेदारी सभकर बा. त अश्लीलता छोड़ीं आ सरसता अपनाईं, आपन नजरिया बदलीं, नजारा त अपने आप बदल जाई.

आखिर में इहे कहब की भोजपुरी बोले में शरमाईं जन, भोजपुरी पढ़ीं, भोजपुरी लिखीं आ भोजपुरी बोलीं.
प्रणाम.


(हेलो भोजपुरी के दिसम्बर 2013 अंक से साभार)

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2 Comments

  1. Editor

    जय ले बेसी जरूरी बा कि भोजपुरी जिए. एहसे नारा होखे के चाहीं जिए भोजपुरी!

  2. अमृतांशु

    jay bhojpuri…

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