मंगल पाण्डे से कांप उठल रहलें अंग्रेज

by | Apr 8, 2010 | 0 comments

– धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय, गोरखपुर

Mangal Pandey

देश के पहिलका स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी बलिया के मंगल पाण्डे के बगावत अंगरेजन के कँपा दिहले रहुवे. मंगल पाण्डेय के सैनिक कोर्ट से दू गो अंगरेज अफसरन के हत्या आ सेना से बगावत का आरोप में फाँसी के सजाय दिहल गइल. फाँसी के तारीख कोर्ट तय कइले रहे १८ अप्रेल १८५७ बाकिर उनका बगावत से डेराइल अंगरेज उनका के तय तारीख से दस दिन पहिलही चुपे चोरी फाँसी पर लटका दिहलें.

अलगा बात बा कि उनकर ई चालबाजी कवनो कामे ना आइल. अपना प्रान के आहुति दे के मंगल पाण्डे जवन चिंगारी जरवलन तवना का आग में ईस्ट इण्डिया कंपनी के हुकूमत देखते देखत राख होखे ललागल. एह वीर बाँकुड़ा मंगल पाण्डे के जन्म, उत्तर-प्रदेश का पूर्वाचल के बागी जिला बलिया के नगवां गांव में भइल रहे. अंगरेजन का फौज के ३४वां नेटिव इन्फेण्ट्री के सिपाही का रुप में उनकर नम्बर रहुवे १४४६. बंगाल का बैरकपुर छावनी मैदान में 29 मार्च, 1857, दिन अतवार के सबेरे मंगल पाण्डे सफेद टोप, लाल रंग का बंद कोट आ पैजामा का बदले दू पोछिटा धोती पहिरले बन्दूक हाथ में लिहले आ तलवार खोंसले अपना साथियन के ललकारल शुरु कइलें, भाई लोग बैरक से बहरि निकलऽ लोग आ चलऽ हमरा साथे अंगरेजन के मार भगावे आ ओकनी के कब्जा खतम करे. मंगल पाण्डे के ललकार से चारो ओरि सनसनी फइल गइल. मैदान में आवाज सुनके लेफ्टिनेंट जनरल हृयूसन पहुंचलें आ जमादार ईश्वरी प्रसाद के हुक्म दिहले कि मंगल पाण्डेय को गिरफ्तार कर लो. बाकिर ईश्र्वरी प्रसाद जमादार अपना अंग्रेज अफसर के एह आदेश के नकार दिहलन. एही बीच घोड़ा पर सवार लेफ्टिनेंट जनरल वाफो मैदान में आ गइलन. मंगल पाण्डे वाफ के निशाना पर राख गोली दाग दिहलन. निशाना चूकल आ घोड़ा के लाग गइल. घोड़ा पर से गिरल वाफ तब मंगल पाण्डे पर गोली चलवलन बाकिर उनकरो गोली निशाना पर ना लागल. वाफ के मदद में हृयूसन आगे बढ़लन. मंगल तब उनका पर गोली दगलन आ हृयूसन ढेर हो गइलें. ओकरा बाद जोश में भरल मंगल पाण्डे अपना तलवार से वाफ के काट डललन. बाद में जब मंगल पाण्डे गिरफ्तारी से बचे खातिर अपनो के गोली मार लिहलन. बाकिर ऊ घवाहिल त भइलन बाकिर मुअलन ना. घवाहिल हालत में मंगल पाण्डे के गिरफ्तार कर लिहल गइल.

अपना अंग्रेज अफसर के आदेश ना माने वाला जमादार ईश्वरी प्रसाद के ६ अप्रैल का दिने फांसी पर लटका दिहल गइल. घवाहिल मंगल पाण्डे पर सैनिक न्यायालय में कोर्ट मार्शल चलल आ आठ अप्रैल 1857 का दिने बैरकेपुर में उनका के फांसी पर लटका दिहल गइल. अंगरेज त साते तारीख के फाँसी पर लटका दिहल चाहत रहलें बाकिर ओह दिन कवनो जल्लाद एह काम खातिर तईयार ना भइल. अगिला दिने कलकत्ता से चार गो जल्लादन के बोला के मंगल पाण्डेय के लटका दिहल गइल. जबकि कोर्ट के आदेश १८ तारीख के फाँसी देबे के रहुवे बाकिर अंगरेज दहशत में आ गइल रहलें आ दस दिन के इन्तजार ओकनी का जोखिम भरल बुझात रहे. मंगल पाण्डे के फाँसी का बाद बैरकपुर छावनी में असंतोष पसर गइल आ डेराइल अफसर अपना बीबीयन के कोलकाता भेज दिहलें. एह फाँसी के खीस १० मई के मेरठ छावनी में फूटल आ ओहिजा के सिपाही अपना के आजाद घोषित करत दिल्ली का तरफ कूच कर दिहलन. इहे सिपाही 11 मई के दिल्लीओ के अंग्रेजी दासता से मुक्त करावत बहादुर शाह जफर के भारत के बादशाह घोषित कर दिहलें. बाद में लंदन के महारानी भारत के सत्ता ईस्ट इंडिया कम्पनी से छीन के हुकूमत के बागडोर अपना हाथे ले लिहली.

महारानी का शासन में अइला का बाद हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुकूमत के कसाई वाला घिनावन चेहरा सामने आ गइल. ओह घरी हिन्दुस्तानी आबादी के एगो बड़हन हिस्सा अंगरेजन के पाशविक अत्याचार आ कत्लेआम के शिकार भइल. आजु देश आजाद बा बाकिर आजु ले मंगल पाण्डे के शहादत के सही मूल्यांकन नइखे हो पावल. आजुओ ऊ सरकारी उपेक्षा के शिकार बाड़ें. देखल जाव देश कब एह भोजपुरिया बागी के सही सम्मान दे पावत बा.

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