– विपिन बहार

BipinBahar
सांच कहीं त भिखारी ठाकुर जइसन महान हस्ती प टीका टिप्पणी करे के अधिकार हमरा जइसन तुच्छ आदमी के नइखे. हम त बस उनका कृतित्व आ व्यक्तित्व के मनन चिंतन क के पसंगो भर अपना जिनिगी में ढाल लिहीं त धन समझब.

अब पता ना इ सौभाग्य बा कि दुर्भाग्य कि आज जेही ना सेही सभे अपना भोजपुरिया राजनीति के शुरुआत उनके नांव से करत बा. हर गली आ शहर में उनका नांव प सम्मान लिया-दिया रहल बा, उहो खुदरा के भाव में. अइसने माहौल में उहो लोग बदनाम बा जेकरा मन में भिखारी के प्रति श्रद्धा आ ईमानदारी बा. आज जहां चारों तरफ चमचागिरी के माहौल बा, भिखारी ठाकुर के साहस प्रणम्य आ स्तुत्य बा. अपना नाच पार्टी के बिजनेस आ जिनिगी प खतरा उठावत सामाजिक बुराईयन के निर्भीकता से मंचन कइलन. जेकरा दुआर प साटा बन्हाइल बा ओहिजे बेमेल जोड़ी आ बाल-विवाह प कटाक्ष करे के मुर्खता भला आज के करी जी..? उनका धिंधिरिक के बलिहारी बा.

असल में सामाजिक कुरीतियन के प्रति जवन पीड़ा उनका हृदय में रहे उहे उनका व्यावसायिक नियम प भारी पड़ के चट्टान नियन मजबूत साहस देत रहे. मनोरंजन के मिठास में सांच के तिंताई घोरे के जोखिम, उहो मान-अपमान आ कवनो खतरा के परवाह कइले बिना. आज भोजपुरी में एक से एक लेखक आ गीतकार बाड़ें, बाकिर काहे केहू भिखारी आ महेंदर मिसिर के अगलो-बगल नइखे टिक पावत ? तुच्छ राजनीत करे वाला लोग झूठे अपना के खुशफहमी के भरम में रखले बा. खाली कलम दउरवला आ भाषण दिहला के अलावा करनीओ में त्याग, सच्चाई आ समर्पण राखे के पड़ी, तबे भिखारी ठाकुर के नांव लिहल जाइज कहाई आ ओकर फयदो मिली.

प्रणाम!


गीतकार व अभिनेता


(हेलो भोजपुरी के दिसम्बर 2013 अंक से साभार)

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