रोेजे सुख के साँझ निहारत, जागेला भिनसहरे गाँव

KuberNathMishraVichitra
भोजपुरी के रूप-रंग, सुभाव, संघर्ष आ कबो हार ना माने के प्रवृति ओकर आपन खासियत ह. नियतु आ भ्रष्टाचार का पाटन में पिसा, श्रम संघर्ष आ जिजिविषा का बूते उठ खड़ा होखे वाला भोजपुरिहा जइसे अपना भासा में प्रेम आ उल्लास के छन ना भुलाले सन, ओइसहीं भोजपुरी कविता में प्रेम, करुणा, आस-विश्वास, सपना, श्रम-संघर्ष का साथे झलकत मिली.

पिछला 19 अप्रैल का दिने बलिया के टाउन हाॅल – बापू भवन – में भइल पाती सांस्कृतिक मंच के कवि समागम में हाॅल के सभागार में मौजूद लोग धरती के लय-ध्वनि आ भासाई तरलता से भाव विभोर हो गइल. आजमगढ़ के भालचन्द्र त्रिपाठी के सरस्वती वंदना हिया के तार झंकृत कइलस त उनकर चइती-गीत मरम के छू लिहलस. उनका गीतन के पंक्तियन से सुनवइयन के मन भींज गइल –
कबके दिया बुताइल, अबले निनिया कहाँ भुलाइल बा?
आपन सुधि, अपने हियरा में ढेर दिनन पर आइल बा.

शिवजी पांडेय ‘रसराज’ सुनेवालन के नागमति-विरह के चइत-राग में उतरलन त भगवती प्रसाद द्विवेदी मातृभासा के मातृत्व आ नेह-छोह के बखान कइलन. वाराणसी के विजय शंकर पाण्डेय आस्था-विश्वास के दिया जरावत लउकलन त प्रकाश उदय गरीबी, दिखावा आ सपना के चित्र खींचत मनुष्य के हिया के भाव उजागर कइलन.

डा॰ कमलेश राय जब गाँव का सुभाव के चित्र खिंचलन त सुनवइया वाह-वाह कर उठलें –
बहरे, घरे, खेत- खरिहाने, सूते भले निखहरे गाँव.
रोजे सुख के साँझ निहारत, जागेला भिनसहरे गाँव.

शशि प्रेमदेव के गजल का शेरन के खूब वाहवाही मिलल त हीरालाल हीरा के किचेन-शास्त्र प्रतीकात्मक रूप से सामाजिक राजनीतिक विसंगतियन के उघारत लउकल. आरा से आइल शिवपूजन लाल विद्यार्थी आ देवरिया के गिरधर करुण के गीतो सराहल गइली सन. मऊ के दयाशंकर तिवारी के गीत – ‘बइठल सँझिया से होला सबेर बलमा,/ काहें बिसरवलऽ हमके अनेर बलमा?’ हिया छू लिहलसि.

डा॰ अशोक द्विवेदी कविकर्म आ रचनाशीलता के प्रासंगिकता पर सवाल उठावत नया तेवर क गीत ‘केकरा खातिर’ सुनवलन. त्रिभुवन प्रसाद सिंह ‘प्रीतम’, शत्रुघ्न पाण्डेय, कन्हैया पाण्डेय, अशोक तिवारी, विजय मिश्र, नवचन्द्र तिवारी, बी॰एन॰ शर्मा, फतेहचन्द, डा॰ राजेन्द्र भारती वगैरह कवियन का बाद हास्य रसावतार कुबेेर नाथ मिश्र ‘विचित्र’ के अध्यक्षीय कविता सुनवइयन के गुदगुदावत, चिकोटी काटत लउकल.

एह कवि समागम के संचालन डा॰ कमलेश राय कइलन.

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4 thoughts on “रोेजे सुख के साँझ निहारत, जागेला भिनसहरे गाँव”
  1. कवि समागम के अध्यक्षता करत विचित्र जी के.

  2. जय भोजपुरी। जय जय भोजपुरी।

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