अँजोरिया पर रोज कई घंटा लगाइले तब जा के एकरा के अद्यतन राखल जा सकेला. बाकिर कबो कबो लागेला कि अनेरे अतना मेहनत करत बानी. कुछ लोग के छोड़ बाकी लोग कुछ टिप्पणी ना देव. जवन टिप्पणी आवेला तवना में से शायदे कवनो एह लायक रहेला जवना से अँजोरिया के सुधारे में इस्तेमाल कइल जा सको.

बहुत कोशिश कइला का बाद अँजोरिया पर आवे वाला पाठकन के गिनिती त जरुर बढ़ल बा बाकिर दुनिया भर में पसरल भोजपुरियन का तुलना में ऊ गिनिती कुछ नइखे. भोजपुरी के वेबसाइटन में से अकेले अँजोरिया हिय जे अपना विजिटर्स के आँकड़ा सार्वजनिक कर के राखले. कि रउरो देखीं कि का हो रहल बा, के आ रहल बा, कहाँ से आ रहल बा. हम ओह आंकड़ा के इस्तेमाल एह खातिर करीले जवना से हमरा पाठकन के रुचि, पसन्द के कुछ अनुमान लाग सको.

एगो वेबसाइट ह Quantcast.comजवना पर विजिटर्स के आँकड़ा सही सही दिहल जाला अगर ऊ वेबसाइट अपना के आडिट करावे के तइयार होखे. रउरा जान के अचरज होखी कि अँजोरिया छोड़ दोसर कवनो वेबसाइट ओकर सेवा ना लेवे कारण का बा हम नइखीं जानत. बाकिर अगर उहो लोग ओहिजा रहीत त हमरा तुलना करे में सुविधा रहीत कि हम कहाँ पीछे पड़ रहल बानी.

ओहि क्वान्टकास्ट का आंकड़ा मुताबिक आजुकाल अँजोरिया के विजिटर्स के संख्या महीना भर में लगभग पाँच हजार से तनी बेसी बा. एकर मतलब ई भइल कि करीब पाँच हजार अलग अलग लोग एक महीना का भीतर अँजोरिया पर आवेले. सप्ताह में एकर आँकड़ा बहुते कम बा आ रोज आवे वाला विजिटर्स के औसत देखल जाव त पूरा दुनिया से २३१ आदमी आवेले जवना के सबले अधिका संख्या २८९ बा. एहमें से १३९ आदमी हिन्दुस्तान से आवेले जवना के अधिकतम संख्या १६८ बा.

सोचीं कि दुनिया से अगर तीनो सौ लोग नइखे आ पावत त गड़बड़ी जरुर बा कहीं ना कहीं. ई गड़बड़ी ना त ओह आँकड़ा में बा ना आँकड़ा बिटोरे वाला में. असल बात बा कि अँजोरिया का बारे में लोग के जानकारिये कम बा. एकरा खातिर रउरा सभे तनी सहयोग कर देतीं त अधिक से अधिक लोग के अँजोरिया का बारे में बतावल जा सकेला.

बाकिर अँजोरिया का बारे में बतावे से पहिले दोसरो बहुत सारा वेबसाइट जे भोजपुरी में बा ओकरो के देख लीं. सब के देखला का बाद अगर रउरा अंजोरिया भोजपुरी के सेवा खातिर सबले बढ़िया वेबसाइट लागे त अपना सगरी परिचित के ईमेल से ओकर जानकारी दीं. अगर रउरा अँजोरिया से बेहतर दोसर कवनो वेबसाइट लागत बा त हमरा के बताईं. बतावत में इहो जरुर बताईं कि कवना मामिला में, रुप में, गुन में, प्रकाशित लेख के गुणवत्ता में, सबके खुला मौका देबे बे, कवना मामिला में हम कमजोर पड़ीले. हमरा एक बाति मालूम बा कि हम दोसरा के बुराई में, गलत के बखिया उधेड़े में, जरुर कमजोर पड़ जानी. धीरे धीरे हम ओहू कमजोरी के दूर करल चाहब बाकिर राउर सहयोग मिले के चाहीं. हालांकि हम भोजपुरी का दुनिया से जुड़ल लोग का मामिला में जरुर उदार रहीलें देश दुनिया का मामिला में जवन सही लागेला तवन कहीले. छोटका के बुराई बतियावे में सबले बड़ दिक्कत ई होला कि छोटका ओकरा के आपन दुश्मनी का तरह ले लेला. ई ना देखी कि ओह कमजोरी भा गलती के दूर कइल जाव, बस हमरे के गरियावे लागी.
दोसरे अगर कवनो बरियार आदमी छोटका के खिलाफ में बा त हम बिना गुण दोष देखले बड़का के बाति ना मान लेनी अपना हिसाब से देखीले कि केकर कतना गलती बा. अगर छोटका के गलती हमरा ना लउके त हम चुप लगा जाइले भा अगर लागो कि छोटका का साथे अन्याय हो रहल बा त हम छोटका के साथ दीहिले.

आजु एह बात पर रउरा मन खोल के आपन राय दीं. बस अपशब्द मत लिखीं. काहे कि कुछ लोग जे सुनत आइल बा ओकरा के सुनावे में आपन बहादुरी देखावेला. रउरा ओहमें के ना हईं एहसे रउरा के कहत बानी.

आजु आपन टिप्पणी देबे के पूरा आजादी बा. बिना रजिस्टर भइले, बिना आपन सही नाम पता दिहले रउरा अपना मन के बाति कह सकीलें. प्रकाशित उहे टिप्पणी होखी जवन प्रकाशित करे जोग होई.

संपादक, अँजोरिया

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3 thoughts on “जंगल में मोर नाचल के देखल ?”
  1. संपादक जी ,

    राउर ‘अँजोरिया’ के अंजोर पुरे दुनिया के अंजोर करत बा .रउरा नया लिखेवाला के मौका दिहिंला .राउर मेहनत आ लगन साफ -साफ लउकेला.अँजोरिया के एगो आपन स्तर बा .हम अँजोरिया के आपन वेबसाइट समझ के लोगन से खोलेके के बोलिला .एने -ओने दोस्त-साथी के लिंक मेल भी कर दिहिला . सुबह ८.३० से साँझ ४.३० बजे तक हमार धेयान अँजोरिया पे हीं रहेला .रउआ कवनो मामिला में कमजोर नईखीं .इहे एगो वेबसाइट बा जेकरा पर सभे अजाद बा .

    धन्यवाद !

    ओ.पी.अमृतांशु

  2. Your site is good in comparison to other bhojpuri websites. I think it should contain some local news related to Ballia, some more info matter reader’s comment. I also expect a regular update of this site. Currently I am in Oman, out of India. I belongs to Pashuhari village, near Bilthara Road town.

  3. बात ई बाS कि जे भी नेट चलावे आला बा ओकरा आडियो आ वीडियो माध्यम जादे पसन्द बाS। तS जाहिर बाS कि पढेवाला के कमी बाS। दोसरका भोजपुरी में लोग आपन बराई नइखे समझत काहे कि अब तS गांवो में लोग अन्ग्रेजी माध्यम स्कूले चाहता। टीभी आ फिलिम देख के सब लोग अपना के एडभान्स बुझे आ बनावे लागता। अगर केहू कह कि हम भोजपुरी के लेखक हईं तS लोग के नजर में तS ऊ अजब प्रानी बन जाला। जब लोग हिन्दी जवन देस के भासा हS ओपर ध्यान ना देला तS भोजपुरी के कवन बात बाS। भोजपुरी शायद पूरा भारत में सबसे ज्यादा बोलल जाय वाला भासा होई। लेकिन एहूजी लोग के मानसिकता दोसी बा।

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