२१ फरवरी के दुनिया भर में विश्व मातृभाषा दिवस का रुप में मनावल जाला. हमनी भोजपुरियनो खातिर आजु के दिन खास बा. काहे कि जइसन लागत बा देर सबेर भोजपुरिओ दुनिया के विलुप्त होत भाषा भा खतरा में पड़ल भाषा में शामिल हो जाई. काहे कि खतरा में पड़ल भाषा के परिभाषा में ओकरा के बोलेवालन के गिनिती से बेसी महत्व एह बाति के दिहल जाला कि नयकी पीढ़ी ओह भाषा के सीखत बिया कि ना. अगर नयकी पीढ़ी ओह भाषा के नइखे सीखत त ऊ भाषा खतरा में पड़ल तय बा आ अगर ई गिराव रोकल ना जाव त ऊ भाषा एक दिन विलुप्त हो जाई. उदाहरण का तौर पर लीं त इण्डोनेशिया के कुछ भाषा के बोले वालन के संख्या बीस लाख से बेसी बा तबहियो ऊ भाषा विलुप्त होखे का कगार पर बाड़ी सँ काहे कि नयकी पीढ़ी ओकरा के नइखे सीखत जानत. एकरा उलट लाडिन भाषा के बोले वाला करीब तीसेक हजार बाड़न बाकिर लाडिन खतरा में नइखे काहे कि नयकी पीढ़ी अबहियो ओह भाषा के इस्तेमाल करत बिया.
यूनेस्को के कहना बा कि अगर कुछ ना कइल जाव त आजु बोलल जाये वाली छह हजार भाषा में से आधा त एही शताब्दी के खतम होत में खतम हो जाई. यूनेस्को एह दिसाईं खास कर के सक्रिय बा कि खतरा में पड़ल भाषा के बचावे खातिर हर संभव प्रयास कइल जाव. अगर कवनो भाषा विलुप्त हो जाव त ओकरा साथही विलुप्त हो जाला एगो पूरा सभ्यता आ पूर्वजन के सम्हारल सगरी ज्ञान भण्डार. हमनी का सामने देखते देखत कैथी लिपि बिला गइल. भोजपुरी पहिले कैथिये लिपि में लिखल जात रहे. देवनागरी लिपि के इस्तेमाल से भोजपुरी अबले बाचल बिया.
दुर्भाग्य से बिहार का भागलपुर इलाका में बोलल जाये वाली भाषा अंगिका अतना सौभाग्यशाली नइखे आ ऊ खतरा में पड़ल भाषा में गिनाये लागल बिया. हिन्दुस्तान में १९८ गो भाषा के खतरा में पड़ल मानल जा रहल बा जबकि ८२ गो खतरा में फँस चुकल बाड़ी. अँगिका के गिनिती ओही में हो रहल बा.
का हमनी का चाहब कि भोजपुरीओ के गिनिती ओही में होखे ? भोजपुरी आजु जिन्दा बिया त गाँव जवार में रहे वाला ओह लोग के चलते जिनका के अशिक्षित कहल जाला, अशिष्ट कहल जाला. पढ़ल लिखल घर परिवार में त भोजपुरी कहिये से खतरा में पड़ल बिया. लोग के भोजपुरी सुने में लाज लागेला, बोले में लाज लागेला. चलीं आजु विश्व मातृभाषा दिवस का दिने तय कइल जाव कि हमनी के भाषा कबो खतरा में ना पड़ी, हमनी का एकरा के अपना नयकी पीढ़ी के जरुर सिखाएब, भोजपुरी भाषा के प्रचार प्रसार में शिक्षित लोग अधिका से अधिका संख्या में आपन योगदान दी.
जय भोजपुरी ! जय भोजपुरिया !!
अगर घरे केहू दोसर आदमी आवेला जे हमरा परिवार के सदस्य नइखे आ ओकरा भोजपुरी बोले आवेला तबो ऊ हिन्दिए में बोले लागेला तबो हम अगर भोजपुरीए में बोलीले त घर के कुछ सदस्य कहेलन कि एकरा दिमाग नइखे आ एकरा पढ़ला लिखला से कवनो फायदा नइखे काहे कि एकरा त ई बुझाते नइखे कि हिन्दी बोलेवाला से हिन्दिए में बातचीत करे के चाहीं। अब बताईं रउवे कि जब घरे में अइसन लोग बा तब बाहर के कहल जाव
आज हम भोजपुरियन के शपथ लेवे के चाहीं कि जतना सम्मान अंगरेजी आ हिंदी के हमनी के देत बनी जा उतने बलुक उहसे ढेर सम्मान भोजपुरी के देहब जा . आपना लड़का -लड़की के भी भोजपुरी भाषा के ज्ञान दिहल जाई. आपन संसकृति,बोली ,रहन -सहन सब कुछ से परिचय करावल जरुरी बा आज के भोजपुरी से दूर भइल नया पीढ़ी के .
धन्यवाद !
ओ.पी.अमृतांशु