– डा॰ जनार्दन सिंह

“भोजपुरी समाज के धरती आ लोग” ई अइसन विषय बा कि केतनो आ कुछउ लिखाई त उ समुन्दर के सामने एगो छोटहन नदिये रही. काहे कि जन साधारण अपना भावोद्गार के सामूहिक अभिव्यक्ति के परम्परा से उद्भूत बा, लोक गीत, लोकगाथा, लोककथा, लोकोक्ति अउर लोक नाट्यपरम्परा. ई सबके अभिजातवर्ग के संस्कारित, सुसंस्कृत आ परिमार्जित दिव्य अभिव्यक्ति के श्रेष्ठ आ श्रेयस्कर सिद्ध करे खातिर उनके शिष्ट साहित्य के संज्ञा दिहल गइल. वेद यदि भारत में सबले पुरान उपलब्ध मानवीय भावना के सृजन के प्रमाण ह त ओकरा पहिलहू परम्परा से बोलल, सुनल, गावल, बजावल, नाचल आ सोचे के परम्परा रहल होई. एही सोच के आगे बढ़ावत लोक साहित्य मर्मज्ञ भाषा शास्त्री अउर विद्वान लोग लोक साहित्य के परिभाषित कइले बा.

भोजपुरी के विदेशी भाषा शास्त्री ग्रियर्सन आ स्वदेशी विद्वान सुनीति कुमार चटर्जी, डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा, डॉ॰ उदय नारायण तिवारी वगैरह लोग भोजपुरी के असली सोन्ह माटी भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी), बलिया, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, चन्दौली, संतकबीर नगर, संतरविदास नगर, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती आ पश्चिमोत्तर बिहार के सीवान, छपरा (सारण), गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, मध्य प्रदेश के सीधी, जसपुर, आ छत्तीसगढ़ के सरगुजा का साथही नेपाल आ झारखंड के कुछ क्षेत्रन में मनले बा. एही माटी के लोग फिजी, मारीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद आ टोबेगो, ब्रिटिश गुयाना, जमाइका, नीदरलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, थाइलैण्ड आदि देशन में मजदूरी करे गइल. आज ओहु देशन में लोग अपना माटी के संस्कार के ऊँचा उठा दिहले बा. ई धीरे-धीरे एगो अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूपो धर रहल बा. भोजपुरी भाषा दुनिया में एगो जुझारू, श्रमजीवी प्रतिभा सम्पन्न, स्वाभिमान, पौरूषेय, सदाचारियन के भाषा के रूप में प्रतिष्ठित बा.

वेद, उपनिषदन आ पुराणन में भारत के इतिहास में जवना भोज के उल्लेख बा आ जेकरा पौरूष के पराक्रम से अनादिकाल से आक्रमणकारियन के खदेड़ल जात रहल बा उ शूरवीर, पराक्रमी, जीवट, जिजिविसा मेधा खातिर याद कइल जाला ओहि में भोजपुरी अपराजेय लोगन के भाषा ह.

अब देखी 21वीं सदी में जवन दोसरका दशक हमन के जियतानी जा उहवां बहुते कुछ बदलावो हो गइल बा. इहवां प्रसंगवश बतावे के चाहतानी कि हम भोजपुरी के संरक्षण आ संवर्धन के बातो कर रहल बानी. एगो अउर बात कइल प्रासंगिक होखी कि जवना तरह से कवनो आदमी के लिंग, जाति, क्षेत्र आ वंश ओकरा चाहला से ना मिलेला, आ ओकरा बादो बुद्धिमानी इहे बा कि ओकरा मिलल ए सब चीज के जिनगी भर निभावे के चाहीं. एहसे भाषो महतारी का दूध के साथही आवेला. विकास खातिर रउआ दुनिया के सगरो भाषा के विद्धान बनी बाकिर अपना मातृभाषा के बुनियाद भुलइला के कवनो समझौता ना होखे के चाहीं.

काहे कि अभी हाल के संसद सत्र में भाजपा सांसद कप्तान सिंह सोलंकी के पूछल प्रश्न के जवाब में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ॰ पूरनदेश्वरी जी कहलन कि देश में नौ गो भाषा पूर्ण रूप से मर चुकल बा अउर 103 गो भाषा के लुप्त होखे के खतरा मंडराता. एतने नाहीं, यूनेस्कों एटलस ऑफ वर्ल्ड लैग्वेंजिस ऑफ ट्रेंजर के हवाला से कहलन कि 84 गो अइसन भाषा बा जवना के बोले वाला के संख्या लगातार कम हो रहल बा. भाषा कवनो होखे, जब ओकरा के बोलल आ लिखल-पढ़ल ना जाई त ओकर हश्र का होई ? एह आंकड़ा से समुझल जा सकऽता.

“भोजपुरिया अमन पत्रिका” के 9वां अंक में “भोजपुरी समाज के धरती आ लोग” के बारे में गोरखपुर विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के उपाचार्य आ भोजपुरी के संरक्षण आ संवर्द्धन पर प्रउत गंवेषणा खातिर एगो शोध पर आधारित लेख विद्धान लोगन के प्रतिक्रिया जनला के बाद पुस्तक के रूप में प्रकाशित करे के योजना बहुत पहिले बनवले रहलन बाकिर बाद में ऊ ठंडा गइल. अगिला अंक में बाकी बातन के प्रकाशन होखे जा रहल बा आ क्रमशः शोधार्थी लोगन से एह लेख के आगे बढ़ावे खातिर सहयोग मांगल जा रहल बा. देखी जवन लखनऊ में राष्ट्रीय पुस्तक मेला लागल रहल ह एहमें भोजपुरी, अवधी, ब्रज, मैथिली, बुन्देली, बघेली कवनो भाषा के कहीं बुक स्टाल ना रहल. ई देखिके बड़ा दुख लागल.

अँजोरिया डाट काम के सम्पादक आ सगरी भोजपुरी वेबसाइटन से लिहले सगरी भोजपुरी मीडिया के सम्पादक, लेखक, महोदय, श्रीमान लोग से निहोरा बा कि अब देर ना क के भारत के कवनों शहर बाजार में पुस्तक मेला बुक फेयर लागे त सस्ता साहित्य नो लास, नो प्रोफीट के सिद्धान्त पर भोजपुरी पुस्तक पत्रिका जवन भी होखे ओकर स्टाल लगवा के प्रचार प्रसार करीं सभे.

अंत में इहे कहब कि भोजपुरी समाज धरती एतना समृद्ध सर्वसम्पन सर्वशक्तिशाली बा कि ओह पर कुछऊ लिखाई ऊँट के मुंह में जीरे कहाई. काहे कि नवको पीढ़ी में ओतने जोश बा जेतना पुरानका में रहे. धान के दाम धान के खेत में ना लागेला आ ऊँखी के दाम ऊँखी के खेत में ना लागेला. ऊ लमहरा जब बाजार में चीनी आ चाउर बनेला त महंगा बेचाला. एहसे भोजपुरी के दाम भोजपुरी क्षेत्र के बाहरा ढेर लागेला. ओकर संत, महंत, वैज्ञानिक, दार्शनिक जेही सात समुंदर पार जाला अबहियो अपना क्षेत्र में टॉप कर जात बा.


डा० जनार्दन सिंह
संपादक,
भोजपुरिया अमन,
मकान न० ३८७/१ रामगुलाम टोला (पूर्वी)
शास्त्री नगर, जनपद देवरिया, (उ० प्र०)
मोबाइल: 09793939850,9695325051
Email: bhoj.aman@gmail.com

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One thought on “भोजपुरी समाज के धरती आ लोग”
  1. Adrniy sampadak ji Ajoria.com

    Rauri wabsite anjoria.com me BHOJAPURIA AMAN timahi patrika ke kabhar pej bhojpuri samaj aur dharti ke log dekhe a padheke milal.BHOJPURIYA AMAN ke sampadak bhi Janardan ji ke lekh padhe ke bhi milal.Bhut acha lagal kabhar pej ke tasbir dekhalese sampadak ji ke vichar chintan ke abhas hota.Hamar agrah ba ki ye patrika ke agila ank me dekhe ke padhe ke mile.Hum chahub ki rauri website me bhojpuri ke durlubh bat a khabar mile.
    Rishabh bhardvaj
    Add.Dalibag tiluk marg, lucknow

कुछ त कहीं......

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