गोरखपुर के भोजपुरी साहित्यकारन के संस्था “भोजपुरी संगम” के बइठकी हर महीना करावल जाले. २८वीं बइठकी पिछला १० जून के साहित्यकार सत्यनारायण सत्तन का घरे भइल रहे जवना के अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो॰ सुरेन्द्र दुबे कइले रहनीं.

एह बइठकी का पहिलका सत्र में (बिना बैनरवाला फोटो में बाँए से) चन्द्रेश्वर “परवाना”, प्रो॰ सुरेन्द्र दुबे, प्रो॰ जनार्दन, प्रो॰ रामदेव, गिरिजाशंकर राय “गिरिजेश”, प्रो॰ चित्तरंजन मिश्र, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी. माहेश्वर कुमार शुक्ल, (बैनरवाला फोटो में बाँए से) रामसमुझ साँवरा, सूर्यदेव पाठक “पराग”, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, हरिवंश शुक्ला हरीश, श्रीधर मिश्र, सत्यनारायण “सत्तन”, ई॰ राजेश्वर सिंह, केशव पाठक “सृजन”, रामनरेश शर्मा, ज्योतिशंकर पाण्डेय के अलावा लल्लन पाण्डेय आ अवधेश शर्मा “सेन” के भागीदारी में भोजपुरी गीत पर बतकही कइल गइल.

दुसरका सत्र में एह लोग के काव्यपाठ भइल.



भोजपुरी संगम के २९ वीं बइठकी

भोजपुरी संगम के २९ वीं बइठकी में अध्यक्षता करत प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार आ उपन्यासकार मदन मोहन जी कहनी कि “कवनो रचना के खासियत इहे होखे के चाहीं कि ऊ अपने समय आ समाज के हूबहु उजागर करे आ अपनी भासाई संपदा में कुछ अउर जोड़ सके.”

पहिलका सत्र मे रुद्रदेव नारायन श्रीवास्त के व्यंग लेख “मूल्य से वैल्यू ले” पर चरचा में प्रो॰ रामदेव शुक्ल के सुझाव रहल कि “भोजपुरी लिखे के समय लेखक के भुला जाए के चाहीं कि ओकरा हिन्दी आ खासकर अँगरेजिओ आवेला.”

समीक्षक गिरिजाशंकर राय “गिरिजेश” एह व्यंग के कथ्य तथ्य से भरल पूरल एगो सार्थक रचना बतावल सुझाव दिहलीं कि रुद्रदेव जी में सफल व्यंगकार के पुरहर सामरथ बा. उहाँ के, लेखक के, भोजपुरी गद्यलेखन के अउर अभ्यास करे के सुझाव दिहलीं.

छपरा विश्वविद्यालय से आइल डा॰ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी बजार आ नैतिकता के “मूल्य” से, दामाद आ पतोहि के बापन के “वैल्यू” ले के लेखक के नाप तौल के खूबे सरहनी. बाप के कइल पुरनका पंखा के घनघनाहट में बेटा के फटकारत समझावत बाप के मौजूदगी आ नैहर से मिलल पंखा के रख रखाव में ससुरारीवालन के साथे मेहरारुन के उपेक्षाभाग त सिद्धार्थ जी के भावुक क देलस. सूर्यदेव पाठक “परागो” एकर समीक्षा कइलीं.

कृष्णानगर कालोनी में सुधा संस्कृति संस्थान का कार्यालय पर भइल एह बइठकी के दुसरका सत्र में रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, नरसिंह बहादुर चन्द, धर्मदेव सिंह “आतुर”, आचार्य ओमप्रकाश पाण्डेय, रामसमुझ “सांवरा”, चन्देश्वर “परवाना”, के॰ एन॰ “आजाद”, अवधेश शर्मा “सेन”, हरिवंश शुक्ल “हरीश”, केशव पाठक “सृजन”, आ अब्दुर्रहमान गेहुआँसागरी के काव्यपाठ भइल.


(बइठकी के संयोजक आ संचालक सत्यनारायण मिश्र सत्तन के रपट)

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