१६ जनवरी के सिवान के पत्रकार भवन में भोजपुरी अकादमी के प्रादेशिक भोजपुरी कवि सम्मलेन के शानदार आयोजन भइल. ” भोजपुरी में हर तरह के अभिव्यक्ति के क्षमता बा. एकर लेखक बिना कवनो सहायता आ संरक्षण के स्तरीय साहित्य के सृजन कर रहल बाड़े.” ई बात भोजपुरी अकादेमी के भोजपुरी जाग्रति अभियान के तीसर पड़ाव सिवान के आयोजित भइल कवि सम्मलेन के उदघाटन करत स्थानीय भाजपा विधायक विक्रम कुंवर कहले. कवि सम्मलेन के अध्यक्षता करत भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष प्रो. रविकांत दुबे जी बतवनी कि ” एही साल बाबु रघुबीर नारायण के प्रसिद्ध गीत ‘बटोहिया’ के सौ साल पूरा होता आ एह अवसर पर साल भर बिहार के कोना कोना में कार्यक्रम आयोजित होई.” सम्मलेन के संयोजक डॉ.जीतेन्द्र वर्मा आगत अतिथियन के स्वागत कइनी.
कवि सम्मलेन के शुरुआत प्रो. सुभाष यादव के स्वर में रघुबीर नारायण के अमर गीत “बटोहिया” के प्रस्तुती से भइल आ पूरा वाताबरण देशभक्तिमय हो गइल. उहें युवा स्वर कवि सुनील पाठक सिवान के महिमा गीत गावत कहले,
” सुन्दर सिवान जिला बाटे ई बिहार में, चहुँ दिशी में सुनला मोरे भईया……
एक सुवास आ विकास के सुभग गति, निरखि नयनवा जुडाला मोरे भईया ”
बेतिया से पधारल सुप्रसिद्ध कवि डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना आत्म गौरव से भरल आपन कविता से श्रोतन के मंत्रमुग्ध कर दिहनी,
” भासा भोजपुरी ला बा अर्पित उमिरिया पुरबिया हई ….. हम हई भोजपुरिया पुरिबिया हई …”
कवि सम्मलेन के संचालक प्रसिद्ध शायर तंग ईनायतपुरी अपना हास्य व्यंग से लोगन के खूब मनोरंजन कइनी. सासाराम से आइल भोजपुरी अकादमी के वरीय सदस्य आ अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन के महामंत्री डॉ. गुरुचरण सिंह आपन ग़ज़ल कहत कहनी –
“परेशानी के जहर पी रहल बा आदमी ….
फिर भी कइसे न पता जी रहल बा आदमी …”
भोजपुरी के वयोवृद कवि अक्षयवर दीक्षित आपन मुक्तक से भोजपुरी के वैचारिक उर्जा के संचार कइनी,
” जब अपने आपन न होई, त दोसर आपन न होई
जब दोसरे आपन बन जाई, त अपने आपन न होई ”
हास्य व्यंग के धरा बहावत पांडे रामेश्वर प्रसाद जी आपन कविता से लोगन के खूब गुदगुदवले
” हमरा साँझ निक लागे, रउरा भोर निक लागे
एगो रास्ता निकाली जा कि दिन कट जाये ….”
युवा कवि डॉ.जीतेन्द्र वर्मा आपन कविता सुनवले
” जेहि पर सगरी जिनिगिया नेछावर भइल
ओकरे गउवा में दर ब दर हो गइल ”
कवि सम्मलेन के छपरा से आइल दक्ष निरंजन भोजपुरी लोग के गरिमा के कविता सुनइलन. ई कवि सम्मलेन के गवाह सैकडो लोग रहे. जइसे जइसे रात चढ़ल कवियन पर रंग चढत गइल. सिवान में ई पहिला बार प्रदेश स्तरीय कवि सम्मलेन देख के जनता निहाल हो गइल.
(रिपोर्ट : संतोष पटेल, संपादक “भोजपुरी जिंदगी” )
332 total views, 2 views today