बलिया, 27 मई. विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बलिया इकाई आ पाती-रचना मंच के साझा आयोजन में आजु बिहार आ यूपी के सुदूर जनपदन से आइल विद्वान, रचनाकार, अउर सृजनकर्मी तिक्खर घाम आ गर्मी का बावजूद बढ-चढ़ के हिस्सा लिहलें.
बलिया के बापू भवन (टाउन हॉल) में आचार्य रह चुकल आ हिन्दी संस्कृत के विद्वान डॉ नन्द किशोर तिवारी का अध्यक्षता में मुख्य अतिथि डॉ अर्जुन तिवारी, विशिष्ट अतिथि डॉ नीरज सिंह, डॉ जयकान्त सिंह, डॉ ब्रजभूषण मिश्र, डॉ प्रेमशीला शुक्ल, कृष्ण कुमार वगैरह खासमखास लोगन का मौजूदगी में सम्मेलन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अउर भोजपुरी दिशाबोध के प्रतिष्ठित पत्रिका “पाती” के संपादक डॉ अशोक द्विवेदी सगरी अतिथियन के माला पहिरा के आ अंगवस्त्र शॉल से सम्मानित कइलन.
एकरा बाद भोजपुरी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान करे वाला चुनाइल साहित्य-सेवियन के स्मृति चिह्न आ शॉल का साथे “पाती अक्षर सम्मान” से सम्मानित कइल गइल. अध्यक्ष आ मुख्य अतिथि का साथे गणमान्य लोगन का हाथे अक्षर सम्मान श्रीमती प्रेमशीला शुक्ल (देवरिया), श्री अनिल ओझा नीरद (कोलकाता), डॉ शत्रुघ्न पाण्डेय (बलिया), अउर श्री विजय शंकर पाण्डेय (वाराणसी) के दीहल गइल.
दीप प्रज्वलन वगैरह का बाद शुरू भइल अधिवेशन के पहिला सत्र में “भोजपुरी साहित्य के बढ़त डेग” विषय पर विमर्श-विचार गोष्ठी में बोलत मुख्य अतिथि डॉ अर्जुन तिवारी भारतीय साहित्य में भोजपुरी के विपुल सृजनात्मक साहित्य के चरचा करत सरकार का तरफ से एकर अनदेखी कइला के चिन्ताजोग बतवलन आ कहलन कि संविधान के अठवीं अनुसूची में भोजपुरी के शामिल करे में होखत देरी दुर्भाग्य भरल बा.
डॉ नीरज सिंह आ डॉ जयकान्त सिंह विश्वविद्यालयन में भोजपुरी के पठन-पाठन आ शोध के चरचा करत चालीस बरीस से प्रकाशित हो रहल भोजपुरी पत्रिका “पाती” के योगदान के सरहलें. डॉ ब्रजभूषण मिश्र, डॉ प्रेमशीला शुक्ल, कृष्ण कुमार, आ भगवती प्रसाद द्विवेदी वगैरह वक्ता अपना संबोधन में “पाती” पत्रिका के एतिहासिक योगदान के भूरि-भूरि सराहत एह बात के रेघरियवलें कि यूपी में आजु ले भोजपुरी अकादमी के गठन नइखे हो सकल जबकि बिहार, मध्य प्रदेश आ दिल्ली में एकर गठन हो चुकल बा.
अपना अध्यक्षीय संबोधन में डॉ नन्द किशोर तिवारी कहलन कि लोकभाषा भोजपुरी के हजारन मौलिक शब्द संस्कृत से निकलल बाड़ें आ भोजपुरी के हिन्दिओ से पुरान भाषा बतवलें. कहलें कि भोजपुरी अपना मौलिक सर्जन शक्ति से आजुओ अचंभित करेले.
भोजपुरी गायक ओमप्रकाश आ उनुका साथियन के प्रस्तुति गोंड़ऊ नाच के सांस्कृतिक स्वरुपो के देखनिहार-सुननिहार लोग आनन्द उठावल. पहिला सत्र के संचालन श्री केके सिन्हा कइलन.
दुसरका सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में कई जनपदन से आइल कवि अपना अपना कविता से लोकभाषा भोजपुरी में अनूठा कविताई, गीत आ गजलन से समाँ बांध दिहलें.
सर्वश्री ब्रजभूषण मिश्र, भगवती प्रसाद द्विवेदी, गुलरेज शहजाद (मोतिहारी). आनन्द संधिदूत, जयकान्त सिंह जय, भालचन्द्र त्रिपाठी, अशोक द्विवेदी, अनील ओझा नीरद, मिथिलेश गहमरी, शशि प्रेमदेव, गुरविन्द्र सिंह, विजय मिश्र, हीरालाल हीरा, कमलेश राय, आलोक पाण्डेय, अशोक कुमार तिवारी, शिवजी पाण्डेय रसराज, भगवान पाण्डेय निराश. डॉ शत्रुघ्न पाण्डेय, राजेन्द्र भारती वगैरह कवि लोग के कवितन के सुधि श्रोता खूबे सरहलें.
दुसरका सत्र के संचालन शिवजी पाण्डेय रसराज कइलें आ आखिर में विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बलिया इकाई के अध्यक्ष श्री विजय मिश्र सभका के धन्यवाद दिहलें.
(विज्ञप्ति)
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