– ओमप्रकाश अमृतांशु
जब कवि के भाव उमड़-उमड़ के छलके लागेला त सुनेवाला लोगन के हिरदय पुलकित हो उठेला. भाषा चाहे कवनो होखे सभ्यता के पहचान ओकरा लोक भाषे से होखेला. लोक भाषा के फुलवारी जेतने हरियर आ कचनार रहेला भाव के फूल ओतने टहटहात आ गम-गमात रहेला. भलहीं भोजपुरी के सुगंध केन्द्र सरकार के नाक तक ना पहुँचत होखे, बाकिर भोजपुरी के डंका देश-बिदेश में जोर-जोर से गूँजत बा. मैथिली के मीठ-मीठा बोली से शायदे केहु अनजान होखी. समय-समय प मैथिली-भोजपुरी के रस जब-जब दिल्ली में बरसेला तब-तब दिल्ली के दिल खिलखिला उठेला.
पिछला बारह जनवरी के दिल्ली के सांझ मैथिली-भोजपुरी कवि सम्मेलन के नाम समर्पित रहल. सम्मेलन दिल्ली के मण्ड़ी हाउस में श्रीराम कला केन्द्र में आयोजित भइल रहे जवना मे एक से बढ़ के एक कवि-रचनाकार-विद्वान लोगन के जुटान भइल. थपरी के थपथपाहट आ वाहवाही बटोरे में सभे कामयाब रहल. कबो भोजपुरी के भाव के रस चुअत रहे त कबो मैथिली के भाव लहलहात रहे.
मैथिली-भोजपुरी के तेइस गो रचनाकार-विद्वान लोगन के रचना जमीन से जुड़ल आ लोक-जीवन से प्रेरित रहे. मैथिली के अजीत कुमार ‘आजाद’ से लेके कुमकुम झा, तारानन्द वियोगी, मंजर सुलेमान, मृदुला प्रधान, शेफालिका वर्मा, अविनाश झा, कुमार मनोज कश्यप, बुद्विनाथ झा, मानवर्धन कंठ आ रवीन्द्र लाल दास के रचना सुनेवालन के रोम-रोम हुलसावे में कवनो कसर ना छोड़लसि.
भोजपुरी के जानल-मानल रचनाकार हरिराम द्विवेदी के बिआह, बाप-बेटी संवाद गीत से लेके अनिल ओझा, डा॰ अशोक द्विवेदी, कुबेर नाथ मिश्र ‘विचित्र’, देवकान्त पाण्ड़ेय, रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी’, शुभद्रा वीरेन, रमाशंकर श्रीवास्तव, विनय कुमार शुक्ला, मानोज भावुक, गोरख प्रसाद मस्ताना आ मुन्ना पाठक के खाँटी भोजपुरिया सुभाव आ भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, महंगाई वगैरह के चित्रण सभे कान लगा के सुनल आ महसुसो कइल.
भोजपुरी कवि रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी’ जी के मंच संचालन मजेदार रहल. सम्मेलन के अध्यक्षता मैथिली कवि गणेश गुंजन जी कइनी. कवि सम्मेलन के उद्घाटन दिल्ली सरकार में भाषा, समाज कल्याण, महिला अउर बाल कल्याण मंत्र राखी बिड़ला दिया जरा के कइली. उद्घाटन करत राखी बिड़ला कहली कि दिल्ली मे चालीस फीसदी लोग मैथिली-भोजपुरी के बा. इ लोग दिल्ली के संवारे में बहुत बड़हन योगदान दिहले बा. रउरा लोग के कला-संस्कृति के बढ़ावा दीहल दिल्ली सरकार के प्राथमिकता रही.
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष अजित दुबे मंत्री जी के अभिवादन कइलन आ गणतंत्रा दिवस के अवसर प बोलावल एह कवि सम्मेलन के सांस्कृतिक गौरव के संज्ञा दिहलें. लगातार सफलता के सीढ़ि चढ़त दिल्ली के मैथिली-भोजपुरी अकादमी के इहो कार्यक्रम सफल आ ऐतिहासिक रहल. हम त बस एतने कहब जय भोजपुरी! जय मैथिली! जय भारत!
धन्यवाद विमल जी ,
रउरा सभे के आशीर्वाद रही त सब कुछ होई। ….
ओमप्रकाश अमृतांशु जी, हमार बधाई कबूल करीं । जो संपादक जी के सहमति होखे त हम एगो आग्रह कइल चाहबि कि खाली भोजपुरिए प्रोग्रामन के ना बलुक हिंदी आदि के भी रिपोर्टिंग भोजपुरी माध्यम में दिहल जाव ।
रामरक्षा मिश्र विमल
आदरणीय विमल जी,
राउर सुझाव माने जोग बा बाकि आदमी के आपनो बेंवत देखे के पड़ेला. भोजपुरी जगत के त सम्हार नइखी पावत हिंदी के कहाँ ले सम्हारब?
वइसहु हिंदी बड़हन भाषा हिय, सामर्थ्यवान हिय. ओकर हित चिंतन करे ला ढेरे लोग आ साधन मौजुद बा. भोजपुरी का संगे वइसन बात नइखे.
तबहियो कोशिश रही कि भोजपुरी इलाका से हिंदी समारोह, हिंदी साहित्य आ साहित्यकारन से जुड़ल खबर दीहल जाव. रउरा विचार से हमार सैद्धांतिक सहमति जरूर बा.
सादर,
राउर,
ओम
बहुत बहुत धन्यवाद। संपादक जी रउआ त हमारा के खरीद लिहनी ….
हमार का औकात कि हम केहु के खरीद सकी. इ त राउर नेह आ लगन बा जवन हमरा के मजबूर क दिहलसि राउर मान करे ला.