पटना में बिहार भोजपुरी अकादमी १० जुलाई के स्व॰ भिखारी ठाकुर के पुण्यतिथि का अवसर पर एगो कार्यक्रम आयोजित कर के उनुका के श्रद्धांजलि दिहलसि.
कार्यक्रम के उद्घाटन करत बी॰एन॰तिवारी उर्फ भाईजी भोजपुरिया कहनी कि भिखारी ठाकुर अपना नाटकन का जरिए समाज में पसरल कुरीतियन का खिलाफ आवाज उठवले रहीं.
समारोह के अध्यक्षता अकादमी के अध्यक्ष प्रो॰ आर॰ के॰ दूबे कइनी आ कहनी कि बिहार भोजपुरी अकादमी का तरफ से भिखारी ठाकुर पर शोध करे वाला विद्यार्थियन के आर्थिक सहायता दिहल जाई आ भिखारी ठाकुर के पाण्डुलिपियन के प्रकाशन करावल जाई.
एह मौका पर मशहूर गायक आ गीतकार ब्रजकिशोर भिखारी ठाकुर के बिदेसिया गीत के सस्वर पाठ कर के सभका के भाव विभोर कर दिहलन.
समारोह में प्रमोद किशोर, लक्ष्मीकांत पाण्डेय, लल्लन जी, मोहम्मद नवाब, शिवजी सिंह वगैरह दर्जन भर वक्ता आपन विचार व्यक्त कइलें.
(स्रोत : अकादमी के प्रेस विज्ञप्ति)
भिखारी ठाकुर का पोता से (जहाँ तक इयाद पर रहल बा) आउरो दोसरा संस्था से मिल-ओल के भिखारी ठाकुर के सब लिखल चीज छापल जा रहल बा, अइसन ओह किताब में लिखल बा। 2011 के संस्करन ह। संपादक के वीरेंद्र नारायण यादव बा, जिन एकरा पहिले परिषद् के निदेसक रहलें आ छपरा में हिन्दी के बिभागाध्यक्षो रलऽहन तुरंत।
राउरो बात ठीके बा कि बोले में का लागऽता। अबहीं ले अकादमी के कवनो काम लउकत नइखे। पुस्तक मेलो में अकादमी गाएब रहल बाऽ।
वचने किं दरिद्रम्?
ना नौ मन तेल होखी ना राधा के नाचे के पड़ी.
अबहीं थोरके दिन पहिले ‘भिखारी ठाकुर रचनावली’ बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् से ले अइनी। जवना में कहल बा कि सब रचना सामिल बा। अब कवन पांडुलिपि छपी?