भउजी हो !

का बबुआ ?

महापंच लोग त आजु लाजहया बचा के राख लीहल.

हँ बबुआ, ना त हमरा त अनेसा रहुवे कि आजु एह लोग के अइसन फैसला आ सकेला जवना से परिवार के नींवे खोखर क दीहल जाई.

कोशिश त कइबे कइले बा लोग, बाकिर दुलहवो के भाई, कनियवो के भाई बने का फेर में बहुते कुछ कहियो के अनकहल राख लीहल लोग. भला बतावऽ कि जवना से परिवार चलहीं के नइखे, बढ़हीं के नइखे, ओकरा के बिआह कहले कइसे जा सकेला.

एगो त ई एलजीबीटीक्यू के इस्तेमाल करिके लोग आम आदमी के बतियावल आसान क दीहल बा. ना त एह मसला पर अगर बतियावे के पड़ जाव त भोजपुरी के लठधर लाठी भाँजत खोजे लगीहें हमनी के.

हँ भउजी, लेस्बियन, गे, उभयसंबंधी, लिंग परिवर्तित, अउर क्वियर लोग का बारे में बतियावे के पड़े त हिन्दी शब्द त लिखलकहल जा सकेला बाकिर ठेंठ भोजपुरी में बतियावे के पड़ जाव त सआदत हसन मंटो का तरह लोग कोर्टकचहरी ले खींच ले जाई कि भोजपुरी में अश्लीलता बढ़ावत बा ई लोग.

रउरा त कहबे करीले कि भोजपुरी अश्लील भाषा ह, आ एकरा के अश्लीले रहे दीहल ठीक रही.

बाकिर एहसे पहिले त इहो तय हो जाए के चाहीं कि अश्लील कहल केकरा के जाला. जंगल में रहत आदमी के श्लीलता से भेंटे ना भइल रहुवे एहसे ऊ लोग जानते ना रहल कि अश्लील होला का. बाद में जब कुछ लोग पतई, गाछि के छाल, चमड़ा वगैरह से आपन देह तोपेढाँपे लागल लोग तब लोग के पता चलल कि अरे हमनी का त अश्लील रहनी ह स. आम आदमी आजुओ अश्लीले होखेला. चूतिया के पतित भा च्यूत कहे के फजीहत ना उठावे. चूतड़ के नितम्ब कहऽ, छाती के स्तन, संभोग के सहवास कहल श्लील होला. जुम्मा के जुम्मा चुम्मा के वादा जबले हिन्दी में गवाई तबले ऊ फूहड़ भा अश्लील ना होखी बाकिर अगर जे कहीं भोजपुरी में केहू गा दीहल कि एगो चुम्मा दिहले जइह रजऊ त ऊ बहुते अश्लील मान लीहल जाई. जबले आदमी आम बा तबले ऊ नन्हकन के गाँड़ धोवे के बाति करी बाकिर श्लील होखते ऊ पॉटी क्लीन करे लागी.

इहे त सभ्यता आ संस्कार होला बबुआ कि बोली अइसन बोलीं जवन केहू के खराब ना लागे.

बाकिर ओइसन बोली बोलला से का फायदा जे कुछुवे लोग बुझे आ कुछ लोग बुझिये ना पावे.

बबुआ बूझे के त कई बेर राउर भोजपुरिओ ना बुझाव बहुते लोग के. आ आजु त बहुते कुछ वइसन बोललिख गइल बानी कि ढेरे लोग के एतराज हो जाई.

होखल करे एतराज, केकरा ओकरा फिकिर बा. एही से त हम सगरी सोशल मीडिया से अलोप हो गइल बानी कि कोणार्क आ खजुराहो के मंदिरन में भीतर उहे लोग आवे जे बाहर दीवाल पर बनल तरहतरह के मूर्तियन से ऊपर उठ चुकल होखे.

हँ बबुआ, बाकिर किल्ली लगा के कोठरी में का होखत बा ई सभका मालूम रहेला, एकर मतलब ई त ना कि ऊ काम बइठके में करे लागल जाव.

त भउजी, किल्ली लगावल जाव का आजु ?

भागब कि ना !

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कुछ त कहीं......

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