पिछला सात आठ साल से अँजोरिया भा एकरा सहयोगी साइट पर सिनेमा के सामग्री दिहल जा रहल बा. सगरी सामग्री ओह फिल्म भा कलाकार भा फिल्मकार के प्रचारक भेजेलें. स्वाभाविक बा कि कवनो अहिरिन अपना दही के खट्टा ना कहे. बाकिर वास्तव में अइसन होखे ना. बाकिर कवनो स्वतंत्र पत्रकार एह काम में नइखन जे प्रचार ना, समीक्षा लिखसु आ भरसक कवनो बनल बनावल मानना छोड़ के. जे बता सको कि वास्तव में फिलिम कइसन रहल, ओकर भाषा कइसन रहल, संवाद अदायगी कइसन रहल, गीत संगीत के स्तर कइसन बा, फिलिम के कवन गाना, कवन डायलॉग लोग का जुबान पर चढ़े लायक बा, वगैरह वगैरह. हो सकेला कि कुछ लोग होखसु जे ओह तरफ से भुगतान ना लेके मीडिया का तरफ से भुगतान लेत होखसु. आ होखहु के चाहीं. मीडिया एगो बिजनेसे होला नफा होखे भा नुकसान. एहसे मीडियो के कुछ खरचा उठावे के चाहीं. आखिर मीडिया के चलावे पर होखे वाला खरचा त आदमी उठावते बा.

ई सब एह ले लिखे के पड़त बा कि हर रपट मे कुछ बात बार बार दोहरावल रहेला. बॉलीवुड में पहिला सुपरस्टार भइल रहलें राजेश खन्ना. आजुओ ओहिजा गिनती के सुपर स्टार मिलीहें बाकिर भोजपुरी में कवनो अभिनेता स्टार से कम ना होखसु आ जे नायक बन गइल दू चार गो फिलिम में त बस ओकरा के सुपर स्टार से कम ना कहल जाव. भोजपुरी अभिनेतन में कुणाल सिंह के महानायक, मनोज तिवारी के मेगास्टार, रवि किशन के सदाबहार सुपर स्टार, दिनेशलाल यादव निरहुआ के जुबिली स्टार, आ बाकी स्टारन जइसे कि पवन सिंह आ खेसारी लाल यादव के सुपरस्टार, कुछ लोग के भावी सुपरस्टार, यंग स्टार, स्टाइलिश स्टार, एक्शन स्टार वगैरह वगैरह.

अभिनेत्रियन का साथे साफे दुराव देखल जा सकेला. ओह लोग के हैसियत बस देह देखावे भर के बा. ओहमें केहू सुपरस्टारिन भा सुपर स्टारनी नइखे. हद से हद केहु सेक्सी बा त केहु रानी, केहू क्वीन, केहू डार्लिंग वगैरह वगैरह. आयटम डांस बिना कवनो फिलिम नइखे बनत बाकिर कवनो आयटम डांसर खातिर सुपर स्टारनी ना कहाव! कुछ लोग चउँक सकेला कि ई स्टारनी कवन बला होले, खास कर ऊ लोग जेकरा भोजपुरी से भवे भसुर वाला नाता होखे. अरे भाई डाक्टरनी होली, मास्टरनी होली, त स्टारनी होला में कवन दिक्कत ? हँ हम स्टराइन लोग के बात नइखीं करत. अब अगर रउरा स्टारनी आ स्टराइन के अंतर मालूम नइखे त तनी भोजपुरी जानल जरूरी बावे रउरा खातिर. पता लगा लीं कि मस्टराइन के होला आ मास्टरनी के.

तीसर बात, कवनो भोजपुरी फिलिम सुपर डूपर हिट से कम ना होले, फलनवा निर्देशक कमाल के निर्देशक/कलाकार/संगीतकार/फाइट मास्टर/कोरियोग्राफर हउवें, फलाँ फिलिम कमाल के बनल बिया, वगैरह वगैरह कुछ स्टॉक फ्रेज हई सँ. अलग बात बा कि कुछ गिनले चुनल निर्माता बाड़ें जे एक बेर भोजपुरी फिलिम बनवला का बाद दुबारा एने ताकेलें. कुछ लोग अइसन जरूर बा जिनका एह रहस्य के चाभी मिल गइल बा कि कइसे भोजपुरी फिलिम बना के कमा लिहल जाव आ ऊ लोग बेर बेर फिलिम बनावत रहेला. बधाई ओह लोगन के, काहें कि ओही लोग का चलते भोजपुरी फिलिम के भौकाल बनल बा आ दोसरा भाषा के निर्माता निर्देशक एह भौकाल में फँस के आपन भौकाल बिगाड़त रहेलें.

हो सकेला कि कुछ फिल्म प्रचारक लोग के हमार बात खराब लागो आ ऊ लोग आपन समाचार भेजल बन्द कर देव. बाकिर हमार आपन मजबूरी बा. अपना भोजपुरी प्रेम का चलते एह काम में लागल बानी एकरा बावजूद कि बेर बेर मन करेला कि कह दीं, “यह ले अपनी लकुटी कमरिया, यह ले अपनी सोटी. तेरी बहुत चराई गईया खा कर बासी रोटी”. उपर से वेबहॉस्ट लोग के कृपा अलगे बा, कहिया अंजोरिया पर गरहन लाग जाई केहु ना बता सके. जब लाग जाई तब पता ना रहे कि कब ले गरहन रही, आ जब टूट जाले तबो पता ना चले कि गरहन लागल त काहें. हर महीना दू महीना पर ई गरहन लागत रहत बा आ अमवसो के इंतजार ना रहे एकरा. जबे मन करेला तबे लाग जाला. एह फेर मे कई गो वेबहॉस्ट बदल चुकनी बाकिर के बड़ छोट कहत अपराधु! हर जगहा एके हाल बा. एहसे जबले चलत बा तबले चली जब ना चलाँव होखी तहिया थिरा जाई. खैर ऊ दोसर बात बा. अबहीं बात होखत बा भोजपुरी सिनेमा के आ ओकर सही छवि पेश करे के, ले दही से हट के!

जानत बानी कि एहमें खरचा बा. बाकिर मुर्दा पर जइसन नव मन तइसे सौ मन. एगो सूतल आग के खोरल जरूरी लागत बा. एहसे पन्द्रह अगस्त से हर हफ्ता पन्द्रह सौ रुपिया के पुरस्कार देबे के योजना बनवले बानी. ई पुरस्कार फर्स्ट डे फर्स्ट शो देख के ओह फिलिम के समीक्षा लिखे वाला सबले बेहतरीन समीक्षक के दिहल जाई. अगर कवनो समीक्षा बेहतर ना लागल त ई पुरस्कार सगरी समीक्षकन का बीच बाँट दिहल जाई, बशर्ते ऊ समीक्षा तरीका से लिखल होखे. प्रकाशित सगरी समीक्षा कर दिहल जाई जेहसे पाठको लोग तय कर सके कि वास्तव में कवनो समीक्षा पुरस्कार लायक रहल कि ना. हर समीक्षा का साथ कम से कम एगो फोटो होखल जरूरी बा जवन ओह फिलिम के पोस्टर देखावत सिनेमाघर के हो सकेला भा कवनो दोसर काम लायक फोटो. फोटो तबहिये प्रकाशित होखी जबन ऊ ओह लायक होखे. समीक्षा हर हाल में शुक के रात तक आ जाए के चाहीं. शनिचर भोर का बाद मिले वाली समीक्षा एह योजना में शामिल ना कइल जाई.

एह पुरस्कार योजना में शामिल होखे के कवनो शर्त नइखे आ ना कवनो तरह के शुल्क देबे के बा. ई पूरा तरह से खुलल प्रतियोगिता बा जवना में जेही चाहे से ही शामिल हो सकेला. हँ कवनो प्रचारक भा उनुकर निकट संबंधी एह में शामिल ना हो सकसु. हर समीक्षा का साथे लेखक के ई एलान होखे के चाहीं कि ऊ कवनो तरह से ओह फिलिम से जुड़ल कवनो आदमी भा संस्था से नइखे जुड़ल. दोसरे समीक्षा के भाषा लेखक के इलाका के बोलचाल वाली भोजपुरी होखल जरूरी बा. अगर टाइप करे में दिक्कत होखे त हाथ से लिख के ओकरा के स्कैन करा के भेजल जा सकेला. भोजपुरी का अलावे दोसरा कवनो भाषा में लिखल समीक्षा एह प्रतियोगिता में शामिल ना कइल जाई. समीक्षा के संपादित करे के हमरा पूरा अधिकार बा जवना के चुनौती ना दिहल जा सके.

ई योजना एगो प्रयोग ह जवना के कबहियो बन्द कइल जा सकेला, नियम कायदा बदलल बनावल जा सकेला, पुरस्कार के राशि घटावल बढ़ावल जा सकेला. बाकिर कवनो बदलाव ओह घोषणा के बादे से लागू होई. कवनो हाल में पुरस्कार के कुल राशि पहिले से घोषित राशि से अधिका ना हो सके. एह मामिला में अँजोरिया के फैसला अंतिम होई जवना पर कवनो विवाद खड़ा ना कइल जा सके.

देखल जाव कि जवन पाठक लोग दू लाइन के टीका टिप्पणी लिखे में कतरालें ओह लोग के कइसे उत्साहित कइल जा सके एगो पूरा लेख लिखे के.

संपादक प्रकाशक, अँजोरिया वेबसाइट समूह

Loading

By Editor

2 thoughts on “ले दही…”

Comments are closed.

%d bloggers like this: