ए बबुआ !

अरे भउजी तूं ? आजु सुुरुज पच्छिम से उगीहें का ?

ना भाई. लोग फिलिस्तिन के दूतावास ले चल जात बा चायपानी करे. आ हम अपने लहूरा देवर का घरे ना आ सकीं !

ऊ लोग चाए पिए थोड़े गइल बा. ऊ लोग त इजरायल आ हमास का बीच फिलिस्तिन से आपन अपनापा देखावे गइल बा.

त हमहूं चाए पिए थोड़े आइल बानी, हमहूं त कुछ जाने आइल बानी कि का हो गइल हमरा देवरजी के कि सगरी दुनिया से नाता तूड़ी लिहलन. सुननी हऽ कि रउरा आपन फेसबुक आ ट्वीटर अकाउन्ट बन्द कर दिहनी. का हो गइल ?

भइल कुछऊ ना भउजी. असल में हम ट्वीटर पर त जबतब चलियो जात रहनी बाकिर फेसबुक पर जाए के मौका ना निकाल पावत रहनी. अलगा बाति बा कि अँजोरिया पर अँजोर होखेवाला हर रचना फेसबुक आ ट्विटरो पर पठा देत रहनी. कुछ लोग के शिकायत रहुवे कि हम ओह लोग का टाइमलाइन पर ना आईं. “किस किस को सुनाऐंगे जुदाई का सबब हम”, से अकाउन्टे बन्द कर दिहनी. दोसरे हम शिकायत त ना करे चाहीं बाकिर बहुते कम लोग हमरो टाइमलाइन पर आवत रहुवे, इहो ओतने साँच बा. मन वइसहीं कई दिन से अनसाइल रहुवे. अँजोरिया के बीस बरस भइला पर कुछ लोग से उमेद रहुवे कि आउर कुछ ना त सनेस त पेठाइए दी लोग. नेवताहकारी त दूर के बाति बा. वइसे कुछ लोग लिफफो भेजले बा, ओह लोग के अभिनन्दन. बाकिर बाकी लोग का संगे त उहे भाषा बोलब जे ऊ लोग बोलेला.

चलीं हम त रउरा टाइमलाइन पर आ गइनी. बढ़िए बा कि अब देवर भउजाई के गपशप बेसी होखल करी. आ अब अपना हाथ से बनावल चाय पिआईं. कनियवा के परेशान मत करीं. तबले हमनी दुनु गोतनी आपन गपोशप कर लेब सँ.

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कुछ त कहीं......

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