महाभारत के पात्रन का काल्पनिक घटनाक्रम में गाँधारी संजय के गिरफ्तारी करवा दिहली. एह काम में ऊ अपना सेवा में लागल शिखंडी के आगा कइले बाड़ी. कहल जात बा कि गाँधारी शिखंडी के कामकाज में हस्तक्षेप ना करसु.

संजय पर आरोप बा कि ऊ धृतराष्ट्र का विरोध में साँच साँच खबर सुनावत रहलें जवना चलते गाँधारी के जवानी का दिन के कुकर्म के चरचा तेज हो गइल बावे.

सबले अचरज के बाति बा कि पांडव गुट हमेशा का तरह चुप्पी साध लिहले बावे. ऊ त तबहियों ना बोलले रहुवे जब द्रौपदी के चीर हरण होत रहुवे. भीष्म पितामह हमेशा का तरह आपन दरबारी चरित्र देखावत बाड़न. एकर नतीजा उनुको भोगहीं के बा आ आगा चलि के उनको वाणशैय्या पर अपना आखिरी दिन के इंतजार करहीं के बा.

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कुछ त कहीं......

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