कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, अक्सर रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा.

by | May 17, 2013 | 0 comments

शायद शायर इकबाल के लिखल ह ई लाइन बाकिर आजु जवन लिखे जात बानी तवना ला बहुते मौजू लागल एहसे सोचनी की एही से शुरुआत कइल जाव.

दस साल पहिले जब भोजपुरी में पहिलका वेबसाइट शुरू कइले रहीं त ओह घरी इरादा ना रहुवे कि एह में फिलिम भा गीतो गवनई के खबर आइल करी. असल समस्या रहल कि हम बलिया से काम करीलें आ सिनेमा भोजपुरी मुंबई से. दोसरे कवनो कलाकार, स्टार, गायक भा पीआरओ लोगन से जानो पहिचान ना रहल हमरा. फोटो देख के बता ना सकत रहीं कि ई के ह. ओही समय लखनऊ के मनोज श्रीवास्तव जी का सहयोग से कुछ पीआरओ लोगन से जान पहिचान भइल आ शुरू हो गइल अँजोरिया पर फिल्मी खबरनामा. कुछ दिन बाद बनारस मे भइल ईटीवी के भोजपुरी फिल्म अवार्ड समारोह में जाए के मौका मिलल त ओहिजा कुछ कलाकारन आ कुछ अउर लोग से देखा देखी भइल. आपन आदत रहल बा कि ना ढेर सटे के बा ना ढेर हटे के. एहसे हम ना कवनो गुट में शामिल भइनी कबो ना आपन गूट बनवनी. आ जहाँ मीठा हइए नइखे तहवाँ कवनो चिउँटी चिउँटा आइबो करीहें त का करे से कवनो गूट बने के सवाले ना रहल. उपर वाला का कृपा से खाए पहिरे के कमी नइखे आ वेबसाइट के खरचा चलावे खातिर केहू से सहयोग तिकवे के जरुरत नइखे. से ना त उधो से लिहनी ना माधो के दिहनी.

एह दस साल का सफर में अनेके लोग आइल तरह तरह से एक से एक शानदार वेबसाइट ले के. ओह लोग का लगे सब कुछ रहल, साधन संपर्क जानकारी. बाकिर एक चीज के कमी रहल, धीरज के. लोग के सोच रहल कि वेबसाइट से अतना कमाई त जरूर हो जाई कि आपन ना त ओकर खरचा जरूर निकल जाई बाकिर अइसन ना त होखे के बा ना भइल. काहे कि भोजपुरी भाषा के वेबसाइटन खातिर विज्ञापन मिले के उमेद ना के बरोबर बा. मिलबो करी त भुगतान ना मिल पाई. दोसर निजी पसंद नापसंद एगो बाधा बन गइल कुछ लोग खातिर.

एने पिछला दू तीन साल से कुछ अधिके होखे लागल बा भोजपुरी वेबसाइटन का दुनिया में. बहुते धूमधड़ाका से खुलल एगो वेबसाइट कुछ दिन ले कमाल कइलसि बाकिर फेर मेहरा गइल. एने ताबड़तोड़ कुछ अउरी वेबसाइट खुलल बाड़ी सँ भोजपुरी सिनेमा के आधार बना के. पता ना कब ले चल पइहें सँ काहे कि एक चीज त जरूरी बा आ ऊ ह आर्थिक आधार बाकिर उहे सब कुछ ना हो सके. भोजपुरी सिनेमा में दोसरा भाषा के लोग कमाई करे पाई ओकरा भोजपुरी से कवनो नेह छोह ना रही आ ओह लोग से उमेदो कइल बेकार रही कि ऊ लोग कुछ अइसन करो जवना से भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के पसार हो सको. भोजपुरी वेबसाइट शुरु करे वालन के एगो सलाह दिहल चाहब कि अपना वेबसाइट के टिकाउ बनाईं. भाषा से जुड़ीं. कमाई करे का फेर में मत रहीं.

एने हालफिलहाल एगो म्यूजिक कंपनी आपन वेबसाइट शुरू कइले बिया. स्वाभाविक बा कि ओकर रुझान ओह लोग ओर ना हो सके जे लोग ओकरा से व्यावसायिक प्रतिद्वन्द्विता में बा, जवना फिलिमन के संगीत अधिकार ओकरा नइखे मिलल ओकर कतना प्रचार ऊ करी ई सहजे सोचल जा सकेला. ठीक ओही तरह कवनो एक गुट से सहानुभूति राखे वाला दोसरा गुट के कलाकारन से नेह ना राख सके. अँजोरिया परिवार का लगे अइसन कवनो मजबूरी नइखे. हमरा ला त सभे बरोबर बा बाकिर वेबसाइट का मैदान में प्रतिद्वनद्विता करे वाला लोगन के ई उमेद ना राखे के चाहीं कि हम ओह लोग के प्रचार प्रसार अपना वेबसाइटन से कर देब. ना त हम ओह लोग से कबो उमेद रखले बानी कि ऊ लोग अँजोरिया परिवार के वेबसाइटन के प्रचार करी.

एह दस साल के अनुभव इहे सिखवले बा कि हमार मुकाबला मतलबपरस्त लोग से बा. मतलब सधल त ठीक ना त हमरे जर कबाड़े में लाग जाला लोग. दस साल से हम भोजपुरी के सेवा में लागल बानी आ एह बीच अनेके लोग जुड़ल, जुड़े के कोशिश कइल बाकिर देखल कि एहिजा दाल नइखे गले वाला त दोसर दुआर ध लिहल लोग. भगवान भला करे ओह लोग के आ सफलतो देव. काहेकि ओह लोग के सफलता से भोजपुरी के फायदा होखो भा ना, असफलता से भोजपुरी के नुकसान जरूर हो जाई.

आ चलत चलत बनारस के ओह अवार्ड समारोह में गावल निरहुआ के ई गीत दोहरावल चाहब कि
पढ़ीहऽ लिखिहऽ कवनो भासा, बतियइहऽ भोजपुरी में.

भोजपुरी फिलिम के बात अंगरेजी भा हिंदी में ना कर के भोजपुरी में करे के लगन होखे के चाहीं. आ ई काम आसान नइखे आ एही से मैदान में हम टिकल बानी. जहिया लाग जाई कि केहु बा दोसर जे भोजपुरी से अइसने नेह राखत बा तहिया हम खुशी खुशी मैदान छोड़ देब ओकरा ला.

इहो बतावल जरूरी लागत बा कि दोसर तेसर कइसे पता लगा पाई कि कवन वेबसाइट कतना पापुलर बा त एकरा ला दू गो बढ़िया जगहा बा क्वांटकास्टअलेक्सा. क्वांटकास्ट पर ओही लोग का बारे में जानकारी मिल पाई जे एकर अनुमति देव. अलेक्सा संगे अइसन कवनो बाध्यता नइखे. ओहिजा कवनो वेबसाइट का बारे में जानकारी लिहल जा सकेला. जहाँ ले हमार जानकारी बा अबहीं भोजपुरी के कवनो वेबसाइट एह मामिला में अँजोरिया से आगा नइखे. अब निर्माता लोगन पर निर्भर बा कि ऊ अपना फिलिमन के प्रचार प्रसार फोकट में करवावल चाहत बाड़ें कि पइसा देके. हर निर्माता से कहब कि अपना प्रचारक के एह दिशाईं निर्देश दे देसु कि उनुका फिलिमन का बारे में अधिक से अधिक जानकारी सबले पहिले अँजोरिया के देव लोग.

आ प्रचारक लोग से कहब कि आजु का बाद anjoria@outlook.com छोड़ कवनो दोसर इमेल पर आइल सामग्री के प्रकाशन बन्द हो जाई. एहसे आजुए अपना मेलर लिस्ट से हमरा दोसर इमेलन के हटा देव लोग. आ शिकायत करे से पहिले देख लेव लोग कि ओह लोग के मेल हमरा कवनो दोसरा इमेल पर त नइखे भेजा गइल.

एतना देर ले एह पोस्ट के पढ़ला खातिर धन्यवाद आ आभार जतावत,

राउर,
ओम

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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