गीतकार अशोक सिंहा आज सिनेमा भोजपुरी में हर जगह काम करत बाड़े त एकरा पाछा इनकर लगन, मेहनत, आ व्यवहारे बा. बतावेलें कि बहुते लड़ाई लड़ले. भूखे पियासे पैदल चल के लोग से काम माँगे जात रहसु. केहू काम दे देव त केहू मजाक उड़ा देव तबो चेहरा पर कवनो शिकन ना आवे देत रहलें. मन में बस एगो सपना रहल कि इनको के लोग बाग जाने पहिचाने. लोग जाने लागल इनका काम के, आ कामे का चलते लोग इनकर इज्जत करे लागल त बहुते खूश बाड़न अशोक सिन्हा. कहेलें कि बहुते खुशी के बात बा कि भोजपुरी भाषा, भोजपुरी समाज इनका ला मुंबई में जिए खाए के सहारा बन गइल. गर्व करेलें कि भोजपुरी हर दिन आगा बढ़त बिया. भोजपुरी अलबम से लाखों लोग के रोजी रोटी चलत बा.
बाकिर अशोक सिंहा अबहीं थिराइल नइखन. कहेलें कि अबहीं त पचासो सीढ़ी पार नइखन कइले जबकि टारगेट सौ गो सीढ़ी पार करे के बा. बस लोग के प्यार मिलत रहो हम त लागले बानी, कहेलें अशोक सिंहा जिनकर लिखल गीत फिलिम पंचायत गरदा, दुल्हिन हमार, सइया रंगदार, रंग द प्यार के रंग में, बलमा बिहार वाला, डर, मैदाने जंग वगैरह फिलिमन में आवत बा. कुछ अलबमो पर काम लागल बा आ जल्दिए सुने के मिली.
(संजय भूषण पटियाला)
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