आप कहाँ के हईं आ फिलिम निर्देशन में आवे के मन कइसे भइल?
हम पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के हईं. कैमरा के शौक रहल त फोटोग्राफीए से आपन कैरियर १९८० से शुरू कइनी. बाद में निर्देशन के मैदान में आ गइनी.
सिनेमेटोग्राफी से निर्देशन करे अइला के कारण का रहल ?
एक बेर हम गायक उदित नारायण जी आ श्रेया घोषाल के संगे ओह लोग के एगो कार्यक्रम शूट करे लंदन गइल रही. लंदन के रायल अल्बर्ट हॉल में कैमरा ले गइला पर पाबंदी रहल बाकिर हमहूं लुकावल कैमरा से एगो ना तीन गो प्रोग्राम शूट कइनी. ओही के विजअल देख उदित जी हमरा के ’कब होई गवनवा हमार’ फिलिम के निर्देशन ला अनुबंधित कइलन आ हमार निर्देशन के सफर शुरू हो गइल.
राउर शूट कइल कुछ फिलिमन के नाम ?
परिंदा, 1942 लवस्टोरी, मिशन काश्मीर, करीब, देवदास वगैरह में हम कैमरा सम्हरनी. आ सहारा में सहायक डीओपी पर ज्वाइन कइले रहीं.
भोजपुरी फिलिमन के अधिका से अधिका दर्शक मिलसु एह ला राउर सलाह का बा ?
हमरा लागेला कि भोजपुरी फिलिमन से अगर दूअर्थी संवाद आ फूहड़पन निकाल दिहल जाव त पहिलहीं जइसन सभका देखे लायक बने लागी भोजपुरी फिलिम. दर्शक अब फूहड़पन से उबिया गइल बाड़ें. ओकरा अब फिलिमन में भोजपुरी संस्कृति के झलक चाहीं.
फिलिमन में कथावस्तु के का महत्व बा ?
हम त इहे मानीलें कि असल में फिलिमन के नायक कथावस्तुए होखेला. एक बेर रविकिशन जी कहले रहन कि हॉल में त हम दर्शकन के रोक सकीलें बाकिर बढ़िया कथानक बिना बढ़िया बिजनेस मुश्किल बा.
अपना आवे वाली फिलिमन का बारे में कुछ बताईं?
लड़ाई, खेला, कट्टा माफिया तीनों विषय प्रधान फिलिम बाड़ी स
भोजपुरी दर्शकन ला कवनो संदेश ?
दर्शके लोग त हमार सहार बा. ओही लोग के बढ़ावल उत्साह अउरी बढ़िया करे ला उकसावेला. एहसे हम त इहे कहब कि फिलिम देखत रहीं आ हमनी में समाज ला कछ बढ़िया कर जाए के जुनून जनमावत रहीं.
(संजय भूषण पटियाला)