मंगल का साँझ बलिया के ददरी मेला के समापन का मौका पर मेला के भारतेन्दु कला मंच पर ‘ददरी महोत्सव’ में भोजपुरी गायकी के जलवा रहल. साँझ से शुरू भइल कार्यक्रम बुध का भोर में बन्द हो सकल. आ तबहियो सुनेवालन के जुटान बनले रहुवे. केहू हटे के नाम ना लेत रहुवे. आ एह गायकी के खासियत रहल कि एह दौरान कवनो दुअर्थी गाना भा बोल सुने के ना मिलल. सगरी गायक गायिका फूहड़ता से परहेज कइलन आ उमेद जागल कि भोजपुरी गायकी के लोकप्रियता फूहड़पन का चलते नइखे आ नीमनो गाना सुने वाला लोग भरपूर मौजूद बाड़े.
कार्यक्रम के आनन्द तब अउर बढ़ गइल जब भोजपुरी गायकी के पितामह कहाए वाला डीरेन्द्र सिंह ‘धुरान’ के मंच पर सम्मानित कइल गइल. नब्बे साल के ई पुरनिया गायक आपन गीतो सुनवलन जवना पर पूरा समारोह ताली के गड़गड़ाहट से गूंज उठल.
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