अपना समय समाज आ संदर्भ से जुड़ल साहित्य में परंपरा आ आधुनिकता के द्वन्द चलत रहेला. एही साँच के आँच आ अनुभूति करावत एगो कविता गोष्ठी पिछला दिने बलिया के श्रीराम विहार कॉलोनी में पाती कार्यालय पर भइल. एह गोष्ठी के आयोजन विश्व भोजपुरी सम्मेलन बलिया कइसल. बानी बुद्धि विद्या आ शक्ति के देवी स्तुति का बाद कन्हैया पांडेय आजुकाल्ह के नेता लोगन के आचरण बेवहार पर सवाल उठावत मौजूदा समय के रेघरियवलन.
चली राह जे उल्टा अपने
दोसरा के समुझाई का?
नाई डुबाई बीच भँवर में
मंजिल तक पहुँचाई का?
एकरा बाद शशि प्रेमदेवजी गजल सुनवलन.
देखि के किरदार में रावन के अपना राम के
रो रहल बा लक्छुमन सिर धुनत बाड़ी जानकी
एकरा बाद एक पखवारा से देह छेदत हडडी गलावत ठढा आ घहरावत शीत प्रकोप के जियतार चित्रण कइलन डा॰ अशोक द्विवेदी अपना सवैया में
अँगरेला हाथ गोड़ अँतरा दलकि जाला सर सर चले हिमवान बान बहरी.
पुअरो दुलम जहाँ उखिया के पतई के पतरे बिछवना पर देहिया के ठठरी.
दिनवा के खटनी में जाड़ कटि जाला भलु रतिया कमरियो के बेधे शीतलहरी.
इहाँ उहाँ धवरे के नाला कुआँ पँवरे के, आड़ छाँह मिलले पर मन उहाँ ठहरी.
फेरू अइलन विष्णुदेव तिवारी जे काश्मीर के मौजूदा हालात पर व्यग करत सुनवलन कि
कश्मीर भारत के स्वीट्जरलैण्ड ह,
पहिले ओहिजा आधा साल बरफ गिरे
आ आधा साल फूल.
अब त पूरा साल धुआँ आ धूर उड़ेला.
हीरालाल हीरा पूस के ठिठुरावत रात के बयान अपना कविता में कइलन,
पूस के जाड़ कँपावे ला हाड़
कि रात पहाड़ ना काटे कटाले.
शंभुनाथ उपाध्याय, शिवजी पाण्डेय रसराज के गीतन के करुण रस एगो अलगे समाँ बन्हलसि, त विजय मिश्र, राजगुप्त, रमेश चन्द्र वगैरह लोग सुनेवालन के भरपूर रसे रसावत समय संदर्भ के उजागर कइल लोग.
गोष्ठी के संचालन के के सिन्हा, अध्यक्षता शंभुनाथ उपाध्याय, आ धन्यवाद प्रकाशन डा॰ श्रीराम सिंह कइलन.
निस्वार्थ भाव से भरल इ गोष्ठी में खाली भोजपुरी प्रेम के रस टपकत बा . बहुत नीमन लागल . सब आगंतुक लोगन के हमार सादर प्रणाम बा .
अच्छा बा…ए तरे के आयोजन होत रहे के चाहीं….सभी कविगण के प्रणाम अउर साथे-साथे अँजोरिया के संपादकजी के भी…काहें की उहें की भइले ए रचचन के सुने के मिलल…
चली राह जे उल्टा अपने
दोसरा के समुझाई का?
नाई डुबाई बीच भँवर में
मंजिल तक पहुँचाई का?…………का बात बा…सदा सत्य।। सादर।।