माया माहाठगिनि
“माया माहाठगिनि” डॉ. गदाधर सिंह के भोजपुरी ललित निबंध संग्रह हटे, जवना के द्वितीय संस्करण के प्रकाशन सन् 2013 में निलय प्रकाशन, वीर कुँअर सिंह विश्वविद्यालय परिसर, आरा, भोजपुर (बिहार) से भइल बा. एकर कीमत 100 रुपया बाटे आ एह्में 120 गो पन्ना बा.
एह ललित निबंध संग्रह में लेखक के 14 गो ललित निबंध बाड़े सन. डॉ. गदाधर सिंह के नाँव सबसे पुरान जीवित लेखकन के पीढ़ी में भोजपुरी भाषा आ साहित्य के जानकारन में लियाला. इहाँका वीर कुँअर सिंह विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भोजपुरी विभाग के अध्यक्ष भी रह चुकल बानी.
श्री कृपाशंकर प्रसाद एह पुस्तक के समीक्षा के उपसंहार में लिखतानी कि सब मिलाके ई संग्रह भोजपुरी के उत्कृष्ट, अनूठा आ पठनीय निबंध संग्रह कहल जा सकेला. डॉ. जयकांत सिंह ‘जय’ के कहनाम बा कि भोजपुरी निबंध साहित्य एह ललित निबंध संग्रह के पाके ओह ऊँचाई के जरूर प्राप्त करी, जवना के ओकरा दरकार बा.
(“माया माहाठगिनि” से)
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
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बहुत – बहुत बधाई। ख़ुशी भइल की भोजपुरी एक डेग आउरी आगे बढ़ल।