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– केशव मोहन पाण्डेय

दहशत के किस्सा त दर्दनाक होइबे करी।
ग़म के दौर में ख़ुशी इत्तेफाक होइबे करी।।

माचिस के तिल्ली कबले खैर मनाई आपन,
जरावल काम बा त खुद खाक होइबे करी।।

जेकर काम होखे भरम उतारल चौराहा पर,
ओकरो बदन पर कौनो पोशाक होइबे करी।।

जवान बिटिया बिआ गरीब घर के तिजोरी में,
दुआरी-दुआरी ऊ रगड़त नाक होइबे करी।।

उनका पाछे-पाछे जे कबो घूमल होइब बाबू,
जवार में आज तहरो धाक होइबे करी।।

मुहब्बत साँच बा त ई यकीन क ल तुहूँ,
देर-सबेर एगो तहरो डाक होइबे करी।।


तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र. के केशव मोहन पाण्डेय, एम.ए.(हिंदी), बी. एड.हउवन. जुलाई 2002 से मई 2009 ले एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन कइलन, अलग अलग मंच ला दर्जनो नाटक लिखले आ निर्देशित कइले, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान आ अउरी पत्र-पत्रिकन में डेढ़ सौ से अधिका लेख, आधा दर्जन कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित. आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण, टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन-निर्देशन, अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना. साल 2002 से शिक्षण में लागल आ अब दिल्ली में बिरला एड्यूटेक में हिंदी पाठ्यक्रम के निर्माण आ स्वतंत्र लेखन.

संपर्क – kmpandey76@gmail.com

केशव मोहन पाण्डेय के ब्लॉग

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2 thoughts on “केशव के गजल – 3”
  1. सुन्दर आ भावनात्मक गजल .बहुत -बहुत बधाई .

कुछ त कहीं......

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