आधी आबादी के बदलत चेहरा
– आस्था
जिनिगी में, हार, असफलता आ पीछे छूटि गइल आम बात हऽ. सपना पूरा ना भइल त एकर मतलब ई ना हऽ कि सपना देखले छोड़ दिहल जाव. उमेद मुए के ना चाहीं. उमीद आ सपना जिया के राखल आ ओके पूरा करे खातिर, लगातार कोशिश कइल ‘खास’ बात हऽ. एही खास बात आ प्रवृत्ति का कारन, लाख भेदभाव, उपेक्षा आ अन्याय का बावजूद ‘नारी’ आगा बढ़ि पवले बिया. उमेद के दामन थमले चेतना आपन लक्ष पावे खातिर, ओके सक्रिय करत रहल. सत्तर का दशक से शुरू भइल ‘नारी आंदोलन’ का बाद नारी का भीतर ‘अन्याय’, ‘शोषण’ आ भेदभाव के खिलाफ लड़े आ आवाज उठावे का बल में बढ़ोत्तरी आइल. ‘नारी लेखन’ आ ‘स्त्री-विमर्श’ नारी पक्ष के असुरक्षा चिन्ता, दुख, पीड़ा आ कुण्ठा के मुखर अभिव्यक्ति कइलस. एसे नारी के सोच-विचार में बदलाव आइल. समाज, सरकार आ प्रशासन ‘नारी’ के हक आ सम्मान खातिर सचेत भइल आ हरकत में आइल.
श्रम में जबर्दस्त भगीदारी स्वालंबन आदि से समाज में मेहरारूअन के बढ़त साख आ रसूख से, नया उमेद जागल. जीवन का हरेक क्षेत्र में नारी अपना प्रतिभा-लगन से आपन नया मुकाम बनावत लउकत बिया. पढ़ाई, व्यवसाय, नौकरी, खेल, उद्यम प्रशासन राजनीति कवनो अइसन क्षेत्र नइखे, जहाँ ओकर दमदार उपस्थिति ना होखे.बाकिर देश के जनसंख्या आ ओकर आध आबादी का लिहाज से नारी के हिस्सेदारी बहुते कम बा. देश का कई हिस्सा में, आजो औरत परिवार से लेके बाहर तक- भेदभाव, उपेक्षाआ शोषण के शिकार बिया. आजो ओके बराबरी वाला सम्मान से मरहूम राखे वाला सामन्ती, रूढ़िवादी सोच बरकार बा. आजुओ, असुरक्षा, डर आ आशंका औरत के आगे बढ़त डेग रोकत बा. आजो पुरूष सत्ता अपना शक्ति-सामर्थ आ अहंकार से ओके नीचा देखावे में कसर नइखे छोड़त. आजुओ समाज में औरत खातिर सामाजिक व्यवहार हाथी दांत लेखा देखावे वाला ढेर बा.
प्रेम, दया, करुना, ममता आ सहनशीलता के मूरत मानल जाये वाली नारी के जमात में प्रगतिशील सोच आ नया विचारन क विवेक त जाग रहल बा, बाकिर एम्मे बहुत कुछ खराबो चीज साथ-साथ घुसि आइल बा. औरत का प्रति खुद औरत के जवन पक्षधरता आ प्रेरणास्पद संवेदनाशीलता होखे के चाहीं ऊ नइखे आइल. कतने अइसन घर बा, जहाँ बेटी आ बहू में फर्क कइल जाता, जहाँ बहू के लक्ष्मी बना के घर में ले आइल जाता आ बाद में घर सँवरला-सहेजला आ खाना पकवला, सेवा-टहल कइला का बादो उपेक्षा भरल व्यवहार कइल जाता. दहेज-प्रताड़ना, मार-पिटाई जइसन घटना आजुओ मन के दुखी करत बाड़ी सन. सबसे बड़ त्रासदी त ई बा कि एह कुल्हि में खुद औरत, औरत का खिलाफ साजिश आ उत्पीड़न के प्रमुख हिस्सेदार बनत बाड़ी सन. दकियानूसी सोच, दिखावा आ झुठिया अहं के तुष्टि खातिर परिवार के औरते दुसरा औरत के नीचा दिखावे आ अपमानित करे के मोका नइखी स चूकत. ई सब भावनात्मक लगाव आ संवेदनशीलता ना रहला के कारन बा. अपना वर्ग का प्रति सहानुभूति का कमी का कारन बा.
समय का साथ-साथ दुनिया आ देश में बहुत कुछ बदल रहल बा. नारी का प्रति दकियानूसी सामन्ती सोच, पारंपरिक नजरिया बदले न बदले बाकि प्रगतिशील सोच आ आधुनिक विचारन क संघर्ष जारी बा. पुरान मान्यता टूट रहल बाड़ी स. कट्टरता आ जकड़न कम भइल बा. पुरूष समाज में खास तौर से, बाप, भाई, पति आ अन्य निकट संबंधियन के औरत के प्रति नजरिया बदलल बा. ऊ खुल के नया बदलाव खातिर लड़कियन आ औरतन के तइयार होखे आ अपना पैर पर खड़ा होखे में मदद करत बा. ऊ खुशी से अपना परिवार के लइकी आ औरत के आगा बढ़े या लक्ष हासिल करे खातिर उकसावत आ उत्साहित करत बा. एही सब क नतीजा बा कि नारी शिक्षा-दीक्षा आ काम कुशलता में बढ़ोत्तरी भइल बा. ओकरा भीतर छिपल प्रतिभा आ शक्ति-सामर्थ के फरे फुलाए में सहूलियत आ सहयोग मिल रहल बा. परिवार के सहयोग आ प्रोत्साहन क नतीजा में आज सेवा-व्यवसाय आ उद्यम में औरतन क भगीदारी बढ़ल बा.
‘नारी सशक्तीकरण’ का लेहाज से, जवन उपलब्धि हासिल भइल बा ओम्मे ‘बहुत कुछ’ त नइखे, बाकि एतना जरूर बा कि आगा अउर अच्छा होखे के संभावना आ उमेद झलकत बा. शिक्षा आ स्वास्थ्य में नारी के भागीदारी पहिलही से रहल हा, बाकि एने कुछ सालन में आई.टी., साफ्टवेयर, संचार-माध्यम आ मैनेजमेन्ट में लइकियन आ औरतन के बढ़त रूचि, सक्रियता आ उपलब्धि देख के, उमेद के अउर बल मिलत बा. ग्राम पंचायत, नगरपंचायत जइसन स्थानीय निकायन में आइल पिछड़ी, परिगणित आ अनुसूचित जातियन के औरतन क प्रतिशत ज्यादा बा. एम्मे ज्यादातर अशिक्षित भा मामूली पढ़ल-लिखल औरतन क जमात बा आ एह औरतन क कमान (पति, भाई, भतीजा का रूप में) मरदन का हाथ में बा. अगर महिला प्रधान, प्रमुख भा अन्य महत्व का जगहा पर बाटे त पढ़ल-लिखल रहलो प घर के मरदन क हस्तक्षेप ओइसहीं बा. ओके स्वतंत्र निर्णय करे आ विवेकानुसार चले के इजाजत नइखे.
भारत का राजनीतिक इतिहास में ईहो गजब संजोग बा कि देश के राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष आ सत्ता में समर्थन देबे वाली कुछ पार्टियन क अध्यक्ष ‘नारी’ बाड़ी सन. ममता बनर्जी, मायावती, जयललिता जइसन मजबूत राजनीतिक कद वाली नारी अपना इच्छाशक्ति, मजबूत संकल्प आ लगन से कठिन लक्ष साध के समाज के नया राह देख रहल बा लोग. संगठित क्षेत्र में नारी के हिस्सेदारी भले कम होखे बाकि असंगठित क्षेत्र में 92-94 प्रतिशत बा. श्रमिक क्षेत्र में 31 प्रतिशत आ प्रशासन में 8 से 10 प्रतिशत. राजनीति में महिला भागीदारी खातिर 33 प्रतिशत आरक्षण क बिल उच्चसदन में पास भइला का बाद भलहीं लटक गइल, बाकि समय जवना तेजी से करवट ले रहल बा कि महिला आरक्षण बिल पास करही के पड़ी. लिंग भेद का आधार पर भेदभाव, असमानता आ उपेक्षा के दौर ज्यादा दिन चले वाला नइखे. देश के एगो मजबूत राष्ट्र बनावे खातिर, आधी आबादी के स्वतंत्रता, अधिकार आ सम्मान के बहुत ढेर दिन ले, दबाइ के नइखे राखल जा सकत. आधुनिक भारत के सोगहग रूप तबे लउकी जब मर्द-औरत एक साथ मिल के नव समाज निर्माण क पक्का बुनियाद रखी. फेरु त कारवां बनत जाई आ लोग आवत जाई.
पिछला कई बेर से भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका “पाती” के पूरा के पूरा अंक अँजोरिया पर् दिहल जात रहल बा. अबकी एह पत्रिका के जनवरी 2012 वाला अंक के सामग्री सीधे अँजोरिया पर दिहल जा रहल बा जेहसे कि अधिका से अधिका पाठक तक ई पहुँच पावे. पीडीएफ फाइल एक त बहुते बड़ हो जाला आ कई पाठक ओकरा के डाउनलोड ना करसु. आशा बा जे ई बदलाव रउरा सभे के नीक लागी.
पाती के संपर्क सूत्र
द्वारा डा॰ अशोक द्विवेदी
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