बतकुच्चन – ५२

by | Mar 19, 2012 | 0 comments

पिछला दिने भइल चुनाव परिणाम अवते यूपी में जीते वाला दल के समर्थक बवाल, खुराफात कइल शुरू कर दिहले. आलोचना होखे लागल त ओह लोग के नेता कहलन कि ई सब उनुका पार्टीवालन के खुराफात ना ह, ई त हारल पार्टी के खुरचाल के नतीजा ह. हँ हँ मानत बानी कि ऊ खुरचाल ना कहले बलुक षडयन्त्र कहले. आजु का राजनीति में भ्रष्टाचार आ षडयन्त्र के बोलबाला बा. कवनो नेता के बयान एह शब्द के इस्तेमाल कइला बिना पूरा ना होखे. हम ठहरनी भोजपुरिया आ कोशिश करीले कि जहाँ ले संभव होखे भोजपुरिये शब्द इस्तेमाल करीं. दोसरो भाषा के शब्द में ओह शब्द के पहिले राखीं जवन भोजपुरी के प्रकृति बा सुभाव का नियरा होखे. भ्रष्टाचार खातिर सबले नीमन शब्द लागल भठियरपन आ भ्रष्टाचारी खातिर भठियारा. ओही तरह षडयन्त्र खातिर सबले नीमन शब्द होखी खुरचाल आ षडयन्त्रकारी खातिर खुरचाली. खुरचाली में खुर आ चाल दुनु शामिल बा. खुर जानवरन के गोड़ के सबले नीचे वाला हिस्सा ह जवना के शरीर शास्त्र का हिसाब से आदमी के गोड़ के नोह से तुलना कइल जा सकेला. अब ई जानवर जब चलेले त जमीन के अपना खुर से खोरत जाले. बाकिर जानवर के चाल के खुरचाल ना कहल जा सके. खुरचाल खुराफातो के ना कहल जाव काहे कि खुराफात खुरचाल का चलते कइल जाला, खुराफात का चलते खुरचाल ना होखे. खुरचाल पहिले होखी तबे खुराफात हो सकेला. बाकिर इहो साँच होला कि हर खुराफात का पाछा खुरचाल ना होखे. कुछ लोग के सुभावे हो जाला खुराफात करे के आ ओह खुराफातियन के सगरी समाज जानेला. ऊ लुका छिपा के खुराफात ना करे. जबकि खुरचाल के असल तत्वे ई होला कि खुरचाली के असली चेहरा समाज का सोझा ना आ पावे आ ऊ आपन ढकोसला बनवले राखत खुरचाल करेला. एहीसे कवनो खेल में चाल त होला खुरचाल ना होखे. खुरचाल राजनीति, समाज आ संगठने में बेसी होला. खुरचाली के लोग चिह्न ना पावे आ ऊ आपन खुरचाल चलत नेक बनल रहेला. जहिया ओकरा चाल के पता चल जाला तहिया से ऊ खुरचाली ना रहि जाव खुराफाती हो जाला. काहे कि तब ओकरा चाल के चाल्हाकी हेरा गइल रहेला. एह खुर खुर के चरचा करत करत खरखर दिमाग में आ गइल. सोचे लगनी कि खरखर आ खुरखुर में का अन्तर होखेला. सोचला पर लागल कि खुरखुर आ खरखर में बेसी के फरक नइखे, पतई पर चलला से खरखर होला छाती में कफ चलला से खुरखुर. एह खर आ खुर के एक दोसरा का बदले इस्तेमाल से अइसन अंतर ना पड़े कि सुने वाला के मतिभ्रम हो जाव. हालांकि खुरचल आ खरचल का बारे में इहे बाति ना कहल जा सके. खखोरला के खुरचल कहल जाला आ खरचा कइला के खरचल. छपरा जिला के दिघवारा में एगो मिठाईवाला के खुरचन बहुते मशहूर हो गइल बा. ई खुरचन आइल त मथुरा से जहाँ दूध के खउलावत कड़ाही के किनारा पर जमत दूध के पपरा के खुरच के निकालल जाला आ ओकरे के एक पर एक तहियावत खुरचन बनि जाला. एह खुरचन के चरचा चलते जीभ ललचाये लागल बा. एहसे अब आजु बेसी ना खुरचब.

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(4)

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(7)
19 नवम्बर 2023
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